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February 9, 2025 7:12 AM

पोखरण परमाणु परीक्षण के नायक डॉ. राजगोपाल चिदंबरम का निधन: देश ने खोया एक महान वैज्ञानिक

डॉ. राजगोपाल चिदंबरम का निधन: पोखरण परमाणु परीक्षण के नायक का अंतिम संस्कार"

मुंबई। भारत को परमाणु शक्ति संपन्न राष्ट्र बनाने में अग्रणी भूमिका निभाने वाले प्रख्यात वैज्ञानिक डॉ. राजगोपाल चिदंबरम का शुक्रवार देर रात मुंबई में निधन हो गया। 88 वर्षीय डॉ. चिदंबरम ने शनिवार तड़के 3:20 बजे अंतिम सांस ली। वह पिछले कुछ समय से बीमार चल रहे थे और उनका इलाज जसलोक अस्पताल में चल रहा था। उनके निधन से देश ने एक ऐसे महान वैज्ञानिक को खो दिया, जिन्होंने अपने जीवन को भारत की रणनीतिक और वैज्ञानिक शक्ति के उत्थान के लिए समर्पित कर दिया।

परमाणु परीक्षणों में महत्वपूर्ण भूमिका

डॉ. चिदंबरम का नाम भारत के दो ऐतिहासिक परमाणु परीक्षणों से जुड़ा है। उन्होंने 18 मई 1974 को हुए भारत के पहले परमाणु परीक्षण पोखरण-1 (ऑपरेशन स्माइलिंग बुद्धा) और 1998 में किए गए पोखरण-2 (ऑपरेशन शक्ति) में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। इन परीक्षणों ने भारत को वैश्विक स्तर पर एक परमाणु शक्ति संपन्न राष्ट्र के रूप में स्थापित किया।

जीवन परिचय और शैक्षणिक यात्रा

1936 में चेन्नई में जन्मे डॉ. चिदंबरम ने अपनी प्रारंभिक शिक्षा प्रेसीडेंसी कॉलेज, चेन्नई से प्राप्त की। इसके बाद उन्होंने भारतीय विज्ञान संस्थान, बेंगलुरु से पीएचडी की। 1962 में उन्होंने भाभा परमाणु अनुसंधान केंद्र (BARC) में वैज्ञानिक के रूप में अपना करियर शुरू किया।

उनकी असाधारण प्रतिभा और नेतृत्व क्षमता ने उन्हें 1990 में BARC का निदेशक बनाया। 1993 में, वह परमाणु ऊर्जा आयोग के अध्यक्ष नियुक्त हुए और इस पद पर 2000 तक रहे। उनके कार्यकाल में भारत ने 1998 में अपनी दूसरी परमाणु परीक्षण श्रृंखला को सफलतापूर्वक अंजाम दिया।

परमाणु कूटनीति में अहम योगदान

डॉ. चिदंबरम ने भारत-अमेरिका असैन्य परमाणु समझौते में भी अहम भूमिका निभाई। इस समझौते ने भारत को वैश्विक परमाणु समुदाय में अलग-थलग पड़ने से बचाया और देश की परमाणु प्रौद्योगिकी क्षमताओं को विश्व स्तर पर मान्यता दिलाई।

वैज्ञानिक सलाहकार के रूप में उल्लेखनीय कार्य

2002 में, उन्होंने एपीजे अब्दुल कलाम के बाद भारत सरकार के वैज्ञानिक सलाहकार का पद संभाला। इस भूमिका में उन्होंने 2018 तक अपनी सेवाएं दीं। इस दौरान उन्होंने कई पहल कीं, जैसे:

  • ग्रामीण प्रौद्योगिकी कार्रवाई समूह (C-TAG): ग्रामीण इलाकों में तकनीकी विकास और सशक्तिकरण के लिए।
  • राष्ट्रीय ज्ञान नेटवर्क (NKN): भारत के शैक्षणिक और अनुसंधान संस्थानों को जोड़ने के लिए।
  • साइबर सुरक्षा: सोसाइटी फॉर इलेक्ट्रॉनिक ट्रांजेक्शन एंड सिक्योरिटी (SETS) का गठन किया।

सम्मान और पुरस्कार

डॉ. चिदंबरम के उत्कृष्ट योगदान को देखते हुए उन्हें कई प्रतिष्ठित पुरस्कारों से नवाजा गया:

  • पद्म श्री (1975)
  • पद्म विभूषण (1999)

प्रधानमंत्री मोदी और खड़गे ने दी श्रद्धांजलि

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने डॉ. चिदंबरम के निधन पर शोक व्यक्त करते हुए कहा, “डॉ. चिदंबरम भारत के परमाणु कार्यक्रम के प्रमुख वास्तुकारों में से एक थे। उन्होंने भारत की वैज्ञानिक और रणनीतिक क्षमताओं को मजबूत करने में महत्वपूर्ण योगदान दिया। उनका जीवन और कार्य आने वाली पीढ़ियों को प्रेरणा देंगे।”

कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने भी शोक व्यक्त करते हुए कहा, “राष्ट्र डॉ. चिदंबरम के योगदान का ऋणी है। उनके नेतृत्व में भारत ने परमाणु क्षेत्र में जो प्रगति की, वह असाधारण है। उनके परिवार और पूरे वैज्ञानिक समुदाय के प्रति मेरी गहरी संवेदनाएं।”

भारत के लिए अपूरणीय क्षति

डॉ. राजगोपाल चिदंबरम का योगदान केवल परमाणु क्षेत्र तक सीमित नहीं था। उन्होंने भारत के वैज्ञानिक और तकनीकी विकास की नींव को मजबूत किया और देश को आत्मनिर्भरता की राह पर अग्रसर किया। उनका निधन न केवल भारतीय विज्ञान के लिए बल्कि पूरे राष्ट्र के लिए एक अपूरणीय क्षति है।

देश के इस महान वैज्ञानिक को विनम्र श्रद्धांजलि।

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