नई दिल्ली: दिल्ली सचिवालय को सुरक्षा चिंताओं और सरकारी अभिलेखों की सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए अस्थायी रूप से सील कर दिया गया है। उपराज्यपाल (LG) के निर्देश पर यह फैसला लिया गया, जिससे किसी भी अनधिकृत व्यक्ति या सामग्री को बाहर ले जाने से रोका जा सके। इस दौरान किसी भी सरकारी दस्तावेज़, फाइल, कंप्यूटर हार्डवेयर या अन्य महत्वपूर्ण सामग्री को बिना अनुमति परिसर से बाहर ले जाने पर प्रतिबंध लगा दिया गया है।
सुरक्षा कारणों से लिया गया बड़ा फैसला
दिल्ली सरकार के सामान्य प्रशासन विभाग (GAD) द्वारा जारी नोटिस में सभी विभागों को निर्देश दिया गया है कि वे अपने कार्यालयों में मौजूद सरकारी फाइलों, डिजिटल डेटा और महत्वपूर्ण अभिलेखों की सुरक्षा सुनिश्चित करें। चुनावी माहौल को देखते हुए प्रशासन की ओर से यह कदम उठाया गया है, जिससे किसी भी प्रकार की अनियमितता या गड़बड़ी को रोका जा सके।
दिल्ली विधानसभा चुनाव के नतीजों के बीच आया यह फैसला
दिल्ली सचिवालय को सील करने का यह फैसला ऐसे समय में लिया गया है जब दिल्ली विधानसभा चुनाव 2025 की मतगणना जारी है। अब तक के रुझानों के अनुसार, भारतीय जनता पार्टी (BJP) ने बहुमत का आंकड़ा पार कर लिया है। प्रशासन को आशंका थी कि इस दौरान सरकारी अभिलेखों के साथ छेड़छाड़ हो सकती है, इसलिए सचिवालय में सुरक्षा को मजबूत करने के लिए यह कदम उठाया गया।
सचिवालय में प्रवेश पर सख्त निगरानी
सुरक्षा बढ़ाने के लिए सचिवालय में प्रवेश और निकासी पर कड़ी निगरानी रखी जा रही है। बिना अधिकृत अनुमति के किसी भी कर्मचारी को महत्वपूर्ण दस्तावेज या अन्य सामग्री बाहर ले जाने की अनुमति नहीं होगी।
उपराज्यपाल के निर्देश पर सख्ती
सूत्रों के अनुसार, दिल्ली के उपराज्यपाल ने सरकारी संपत्तियों और दस्तावेजों की सुरक्षा को लेकर चिंता जताई थी, जिसके बाद यह कदम उठाया गया। प्रशासन ने कहा कि जब तक सुरक्षा स्थिति सामान्य नहीं हो जाती, तब तक यह आदेश प्रभावी रहेगा।
राजनीतिक हलचल तेज, विपक्ष के सवाल
इस फैसले के बाद आम आदमी पार्टी (AAP) और अन्य विपक्षी दल इसे लेकर सवाल उठा सकते हैं। हालांकि, प्रशासन और भाजपा का कहना है कि यह फैसला पूरी तरह से सुरक्षा और पारदर्शिता बनाए रखने के लिए लिया गया है।
आगे की कार्रवाई पर नजर
अब सभी की नजर इस बात पर है कि दिल्ली सचिवालय कब तक बंद रहेगा और सुरक्षा उपायों को और किस तरह मजबूत किया जाएगा। चुनावी नतीजों के बाद राजनीतिक दलों की प्रतिक्रियाएं और प्रशासन के अगले कदम इस मुद्दे पर और स्पष्टता लाएंगे।