अहमदाबाद, गुजरात:
कांग्रेस पार्टी ने 8 और 9 अप्रैल 2025 को गुजरात के अहमदाबाद में अपने 84वें अधिवेशन का आयोजन किया, जिसमें देशभर से आए 1,700 से अधिक प्रतिनिधियों और पार्टी के शीर्ष नेतृत्व ने भाग लिया। यह अधिवेशन ऐतिहासिक रूप से भी खास रहा क्योंकि 64 साल बाद गुजरात की धरती पर कांग्रेस का अधिवेशन आयोजित किया गया। इससे पहले 1961 में भावनगर में पार्टी का अधिवेशन हुआ था।
खड़गे का भाजपा पर तीखा प्रहार
अधिवेशन के दूसरे दिन कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने अपने संबोधन में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और भाजपा सरकार पर जमकर निशाना साधा। खड़गे ने कहा कि मोदी सरकार देश की सार्वजनिक संपत्तियों को लगातार निजी हाथों में सौंप रही है, जिससे देश की अर्थव्यवस्था पर कुछ चुनिंदा कॉर्पोरेट घरानों का एकाधिकार बनता जा रहा है।
उन्होंने चेतावनी देते हुए कहा, “अगर यह सिलसिला यूं ही चलता रहा, तो एक दिन मोदी सरकार देश को भी बेच देगी।” उनके इस बयान ने अधिवेशन में मौजूद कार्यकर्ताओं में तीव्र उत्साह और जोश भर दिया।
गांधी परिवार की मौजूदगी, प्रियंका की अनुपस्थिति
अधिवेशन में कांग्रेस की पूर्व अध्यक्ष सोनिया गांधी और लोकसभा में नेता विपक्ष राहुल गांधी ने भी शिरकत की। दोनों नेताओं की मौजूदगी से कार्यकर्ताओं का मनोबल बढ़ा और नेतृत्व की एकजुटता का संदेश भी गया। हालांकि, प्रियंका गांधी की गैरहाजिरी ने राजनीतिक गलियारों में कई चर्चाओं को जन्म दिया। उनकी अनुपस्थिति को लेकर कोई आधिकारिक कारण नहीं बताया गया।



संगठन को पुनर्गठित करने पर जोर
अधिवेशन का प्रमुख उद्देश्य पार्टी संगठन को जमीनी स्तर पर फिर से मजबूत करना और 2027 में होने वाले गुजरात विधानसभा चुनावों की रणनीति तैयार करना रहा। खड़गे ने अपने भाषण में कहा, “कांग्रेस अब नकारात्मक राजनीति से हटकर एक सकारात्मक एजेंडे के साथ आगे बढ़ेगी। हम संगठन को सशक्त बनाएंगे और हर चुनौती का डटकर मुकाबला करेंगे।”
पार्टी ने इस मंच से यह भी स्पष्ट किया कि वह न केवल केंद्र की भाजपा सरकार की आलोचना करेगी, बल्कि एक वैकल्पिक नीतिगत दृष्टिकोण भी जनता के सामने रखेगी। इसके लिए राज्य स्तर पर कार्यकर्ताओं को सक्रिय करने, युवाओं को जोड़ने और बूथ स्तर पर मजबूती लाने पर विशेष योजना बनाई गई है।
अहम संकेत
कांग्रेस का यह अधिवेशन ऐसे समय पर हुआ है जब लोकसभा चुनावों के बाद पार्टी नए ऊर्जा और दिशा की तलाश में है। सोनिया और राहुल गांधी की संयुक्त उपस्थिति से यह संकेत भी गया कि नेतृत्व में स्थिरता है और पार्टी एकजुट होकर आगे बढ़ रही है।
वहीं, गुजरात जैसे राज्य में अधिवेशन का आयोजन यह दिखाता है कि कांग्रेस अपनी पुरानी जमीन को दोबारा हासिल करने के लिए प्रतिबद्ध है, जहां हाल के वर्षों में भाजपा का दबदबा रहा है।
स्वदेश ज्योति के द्वारा
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