उत्तराखंड के चमोली जिले में 28 फरवरी को हुए भीषण हिमस्खलन (एवलांच) में फंसे मजदूरों को निकालने का काम लगातार जारी है। तीसरे दिन भी बचाव अभियान पूरी तेजी से चलाया जा रहा है। अब तक कुल 51 मजदूरों को सुरक्षित बाहर निकाला जा चुका है, जबकि 4 मजदूर अभी भी लापता हैं। इस आपदा में अब तक 5 लोगों की मौत हो चुकी है।
एक मजदूर लापता नहीं, बल्कि गांव लौट गया था
शुरुआत में प्रशासन ने लापता मजदूरों की संख्या 55 बताई थी, लेकिन शुक्रवार को जानकारी मिली कि हिमाचल प्रदेश के कांगड़ा जिले का रहने वाला सुनील कुमार घटना से पहले ही बिना किसी को बताए अपने गांव चला गया था। उसके परिवार ने इसकी सूचना प्रशासन को दी, जिसके बाद लापता लोगों की सूची को संशोधित किया गया और संख्या 54 कर दी गई।
तेजी से चल रहा रेस्क्यू ऑपरेशन
रविवार को मौसम साफ रहने के कारण बचाव दलों ने सुबह जल्दी ही ऑपरेशन शुरू कर दिया। इस दौरान अत्याधुनिक उपकरणों का सहारा लिया जा रहा है, जिनमें ड्रोन, रडार सिस्टम, स्निफर डॉग, विक्टिम लोकेटिंग डिवाइस और थर्मल इमेजिंग कैमरे शामिल हैं। इसके अलावा, 7 हेलिकॉप्टर भी राहत एवं बचाव कार्यों में जुटे हुए हैं।
बचाव अभियान में भारतीय सेना, वायुसेना, भारत-तिब्बत सीमा पुलिस (ITBP), बॉर्डर रोड ऑर्गेनाइजेशन (BRO), राज्य आपदा प्रतिक्रिया बल (SDRF) और राष्ट्रीय आपदा प्रतिक्रिया बल (NDRF) के 200 से अधिक जवान लगे हुए हैं। घटनास्थल पर बड़ी मात्रा में जमी बर्फ को मैन्युअली हटाकर लापता मजदूरों की तलाश की जा रही है।
कैसे हुआ हादसा?
यह हादसा 28 फरवरी की सुबह 7:15 बजे उत्तराखंड के चमोली जिले के माणा गांव में हुआ। बॉर्डर रोड ऑर्गेनाइजेशन (BRO) के मजदूर मोली-बद्रीनाथ हाईवे पर एक अस्थायी कंटेनर हाउस में रह रहे थे। अचानक एक बड़ा हिमखंड खिसककर इस कैंप पर गिर गया, जिससे मजदूर इसकी चपेट में आ गए।
अब प्रशासन और बचाव दलों की पूरी कोशिश है कि जल्द से जल्द बचे हुए 4 मजदूरों को भी सुरक्षित बाहर निकाला जाए। इस बीच, सरकार ने इस त्रासदी में जान गंवाने वालों के परिजनों को सहायता राशि देने की भी घोषणा की है।