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April 20, 2025 10:29 AM

BIMSTEC 2025: समिट में पीएम मोदी की सक्रिय भूमिका, बांग्लादेश व म्यांमार नेताओं से की मुलाकात

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BIMSTEC समिट 2025: क्षेत्रीय एकजुटता का मंच

थाईलैंड की राजधानी बैंकॉक में आयोजित BIMSTEC (बंगाल की खाड़ी बहु-क्षेत्रीय तकनीकी और आर्थिक सहयोग पहल) समिट 2025 में सदस्य देशों ने क्षेत्रीय विकास, कनेक्टिविटी, ऊर्जा सहयोग, जलवायु परिवर्तन और आतंकवाद से मुकाबले जैसे अहम मुद्दों पर विचार-विमर्श किया। भारत ने इस मंच के ज़रिए अपने पड़ोसी देशों के साथ आर्थिक और रणनीतिक भागीदारी को और मजबूत करने की दिशा में कदम बढ़ाया। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की मौजूदगी ने भारत की ‘एक्ट ईस्ट पॉलिसी’ को और धार दी, जिससे BIMSTEC एक प्रभावशाली क्षेत्रीय संगठन के रूप में उभरता नजर आया।

थाईलैंड में आयोजित BIMSTEC समिट 2025 का पहला दिन भारत और बांग्लादेश के रिश्तों के लिहाज से अहम साबित हुआ। शुक्रवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और बांग्लादेश के अंतरिम प्रमुख सलाहकार मोहम्मद यूनुस के बीच एक खास बैठक हुई, जो दोनों देशों के बीच हालिया घटनाक्रम के बाद पहली उच्च स्तरीय मुलाकात मानी जा रही है।

पिछले साल बांग्लादेश में हुए राजनीतिक बदलाव के बाद यह पहली बार था जब पीएम मोदी और यूनुस आमने-सामने बैठे। इस मुलाकात में आपसी सहयोग, आर्थिक जुड़ाव और क्षेत्रीय स्थिरता जैसे अहम मुद्दों पर बातचीत हुई।

इससे पहले दोनों नेता BIMSTEC डिनर में भी साथ देखे गए थे, जो कि इस बैठक की भूमिका के तौर पर देखा जा रहा है। बांग्लादेश के विदेश मंत्रालय ने कुछ दिन पहले ही इस संभावित मुलाकात के संकेत दिए थे।

म्यांमार के सैन्य प्रमुख से भी की वार्ता

समिट से पहले प्रधानमंत्री मोदी ने म्यांमार के सैन्य नेता जनरल मिन आंग ह्लाइंग से भी मुलाकात की। पीएम मोदी ने म्यांमार में हाल ही में आए भूकंप पर दुख जताया और आश्वासन दिया कि भारत हरसंभव मदद के लिए तैयार है।

BIMSTEC: भारत के लिए क्यों महत्वपूर्ण?

BIMSTEC यानी बंगाल की खाड़ी सहयोग संगठन, एक ऐसा मंच है जो भारत, बांग्लादेश, श्रीलंका, नेपाल, भूटान, म्यांमार और थाईलैंड जैसे देशों को साथ लाता है। इसका उद्देश्य तकनीकी, आर्थिक और रणनीतिक क्षेत्रों में सहयोग बढ़ाना है।

इस संगठन की नींव 1990 के दशक में पड़ी, जब ग्लोबल स्तर पर नए सहयोगी ढांचे की आवश्यकता महसूस की गई। थाईलैंड ने ‘लुक वेस्ट’ नीति के तहत और भारत ने ‘लुक ईस्ट’ नीति के तहत इस संगठन को आगे बढ़ाया। 1997 में BIMSTEC की औपचारिक शुरुआत हुई।

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भारत और BIMSTEC देशों के साथ संबंध

BIMSTEC समिट भारत के लिए केवल एक औपचारिक मंच नहीं, बल्कि अपने पड़ोसी देशों के साथ मजबूत साझेदारी को नया आयाम देने का अवसर है। भारत और बांग्लादेश के बीच ऊर्जा, व्यापार और सीमा सुरक्षा जैसे मुद्दों पर लगातार सहयोग बढ़ रहा है। श्रीलंका के साथ भारत का सांस्कृतिक और रणनीतिक रिश्ता भी इस मंच पर और प्रगाढ़ हुआ है। नेपाल और भूटान के साथ भारत की कनेक्टिविटी परियोजनाएं क्षेत्रीय विकास में अहम भूमिका निभा रही हैं। वहीं, म्यांमार के साथ भारत की सीमाएं जुड़ी होने के कारण सुरक्षा और मानवीय सहायता का आदान-प्रदान ज़रूरी हो जाता है। थाईलैंड के साथ भारत का समुद्री संपर्क और व्यापारिक भागीदारी ASEAN और BIMSTEC दोनों के ज़रिए मज़बूत हो रही है। इस समिट ने यह दिखा दिया कि भारत, अपने पड़ोसी देशों के साथ मिलकर एक स्थिर, समृद्ध और सहयोगात्मक एशियाई क्षेत्र की दिशा में संकल्पबद्ध है।

भारत की भूमिका और रणनीति

BIMSTEC भारत के लिए केवल एक कूटनीतिक मंच नहीं है, बल्कि यह क्षेत्रीय कनेक्टिविटी, व्यापारिक भागीदारी और रणनीतिक सुरक्षा का एक अहम जरिया है। भारत, दक्षिण-पूर्व एशिया के साथ मजबूत संबंध बनाकर न केवल अपने पूर्वी हिस्से को विकसित करना चाहता है, बल्कि चीन के बढ़ते प्रभाव का भी संतुलन बनाना चाहता है।

पीएम मोदी की BIMSTEC में भागीदारी और उनके द्वारा किए गए संवाद यह स्पष्ट करते हैं कि भारत अब क्षेत्रीय नेतृत्व की दिशा में और भी गंभीरता से काम कर रहा है।

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