पहला ट्रायल आज से, सुरक्षा के कड़े इंतजाम
भोपाल, 27 फरवरी 2025: यूनियन कार्बाइड फैक्ट्री में वर्षों से जमा जहरीले रासायनिक कचरे के निपटान को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने हस्तक्षेप करने से इनकार कर दिया है। अदालत ने स्पष्ट किया कि मध्यप्रदेश हाईकोर्ट ने इस मुद्दे पर पहले ही विचार कर लिया है और उचित निर्णय लिया है, इसलिए फिलहाल सुप्रीम कोर्ट इसमें कोई हस्तक्षेप नहीं करेगा। इस फैसले के बाद अब पीथमपुर में जहरीले कचरे को जलाने का ट्रायल आज (27 फरवरी) से शुरू होगा।
इस परीक्षण के दौरान 30 मीट्रिक टन जहरीले कचरे को तीन चरणों में जलाया जाएगा। प्रशासन और पुलिस किसी भी अप्रिय स्थिति से बचने के लिए पूरी तरह सतर्क हैं, और पीथमपुर में 500 से अधिक पुलिसकर्मियों को तैनात किया गया है।
सुप्रीम कोर्ट का फैसला: हाईकोर्ट के आदेश के तहत होगा कचरे का निपटान
सुप्रीम कोर्ट में इस मामले की सुनवाई जस्टिस बी. आर. गवई और जस्टिस पी. एस. मसीह की डबल बेंच के समक्ष हुई। याचिकाकर्ताओं ने दलील दी थी कि जहरीले कचरे के निपटान से आसपास के इलाकों में गंभीर स्वास्थ्य और पर्यावरणीय खतरे उत्पन्न हो सकते हैं। हालांकि, सुप्रीम कोर्ट ने यह कहते हुए याचिका खारिज कर दी कि इस मुद्दे पर पहले ही मध्यप्रदेश हाईकोर्ट में व्यापक रूप से विचार किया जा चुका है।
कोर्ट ने कहा कि विशेषज्ञों और तकनीकी समितियों द्वारा इस मामले का आकलन किया गया है और उनके मार्गदर्शन में ही ट्रायल रन किया जाएगा। अगर याचिकाकर्ताओं को इस फैसले पर कोई आपत्ति है, तो वे इसे मध्यप्रदेश हाईकोर्ट में प्रस्तुत कर सकते हैं।
पहला ट्रायल रन आज से, दो और ट्रायल 4 और 12 मार्च को
भोपाल की यूनियन कार्बाइड फैक्ट्री में 1984 की गैस त्रासदी के बाद से हजारों टन जहरीला कचरा जमा था। इस कचरे के सुरक्षित निपटान के लिए लंबे समय से प्रयास किए जा रहे थे, और अब इसे पीथमपुर स्थित रामकी एनवायरो इंजीनियर्स लिमिटेड की इकाई में जलाने का निर्णय लिया गया है।
पहले ट्रायल रन में 135 किलो कचरा प्रति घंटा जलाया जाएगा, दूसरे ट्रायल में 180 किलो और तीसरे ट्रायल में 270 किलो प्रति घंटे की दर से कचरे का निपटान किया जाएगा। यह प्रक्रिया पूरी तरह वैज्ञानिक और नियंत्रित वातावरण में की जाएगी, ताकि पर्यावरण और स्वास्थ्य पर कोई प्रतिकूल प्रभाव न पड़े।
सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम, 24 थानों की पुलिस तैनात
कचरा जलाने को लेकर कई स्थानीय संगठनों और निवासियों ने विरोध जताया था। इसी को ध्यान में रखते हुए प्रशासन ने सुरक्षा के कड़े इंतजाम किए हैं। इंदौर ग्रामीण और धार जिले के 24 थानों के 500 से अधिक पुलिसकर्मियों को पीथमपुर में तैनात किया गया है।
प्रशासन ने यह सुनिश्चित किया है कि ट्रायल रन के दौरान किसी भी अप्रिय स्थिति से बचने के लिए पर्याप्त सुरक्षा बल मौजूद रहे। इससे पहले, 3 जनवरी को इस मुद्दे पर हुए विरोध प्रदर्शन को देखते हुए इस बार अतिरिक्त सावधानी बरती जा रही है।
सुप्रीम कोर्ट ने 2013 और 2015 के ट्रायल रन का भी लिया संज्ञान
सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में उल्लेख किया कि इससे पहले 2013 और 2015 में भी इसी तरह के ट्रायल रन किए गए थे। उन परीक्षणों के परिणामों की समीक्षा के बाद ही विशेषज्ञों की सिफारिश पर अब दोबारा ट्रायल करने की अनुमति दी गई है।
इसके अलावा, केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (CPCB) द्वारा किए गए परीक्षणों और रिपोर्ट्स का भी अवलोकन किया गया, जिसके बाद अदालत ने ट्रायल रन को जारी रखने का आदेश दिया।
याचिकाकर्ताओं की प्रतिक्रिया: आगे की रणनीति पर विचार करेंगे
पीथमपुर में जहरीला कचरा जलाने के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल करने वाले सामाजिक कार्यकर्ता चिन्मय मिश्रा ने कहा कि स्थानीय लोगों की स्वास्थ्य संबंधी चिंताओं को लेकर वे कोर्ट गए थे। अब, सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद वे विधि विशेषज्ञों से परामर्श करेंगे और आगे की रणनीति पर विचार करेंगे।
पर्यावरण और स्वास्थ्य प्रभावों की निगरानी जरूरी
हालांकि सरकार और अदालत ने इस प्रक्रिया को वैज्ञानिक दृष्टिकोण से मंजूरी दी है, लेकिन स्थानीय लोग अभी भी इस फैसले से पूरी तरह आश्वस्त नहीं हैं। पर्यावरणविदों का कहना है कि कचरा जलाने से निकलने वाले रासायनिक तत्वों की बारीकी से निगरानी जरूरी होगी ताकि इसका दीर्घकालिक प्रभाव पता चल सके।
भोपाल गैस त्रासदी से जुड़े जहरीले कचरे का निपटान दशकों से एक गंभीर मुद्दा बना हुआ था। अब सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद इसे वैज्ञानिक रूप से जलाने की प्रक्रिया शुरू होगी। प्रशासन ने सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम किए हैं, लेकिन स्थानीय समुदायों में अभी भी चिंता बनी हुई है। आने वाले दिनों में यह देखना महत्वपूर्ण होगा कि ट्रायल रन के परिणाम क्या होते हैं और इससे पर्यावरण पर क्या प्रभाव पड़ता है।
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