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April 18, 2025 3:10 PM

रक्षा निर्यात 21,000 करोड़ के पार, एक दशक में 30 गुना विस्तार

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आत्मनिर्भर भारत के चलते रक्षा उत्पादन में 174% की वृद्धि

2029 तक का लक्ष्य:
  • 3 लाख करोड़ का रक्षा उत्पादन
  • 50 हजार करोड़ का रक्षा निर्यात

स्वदेश ज्योति ब्यूरो

भारत का रक्षा उत्पादन “मेक इन इंडिया” पहल के शुभारंभ के बाद से असाधारण गति से बढ़ा है, जो वित्त वर्ष 2023-24 में रिकॉर्ड 1.27 लाख करोड़ रुपये तक पहुंच गया है। कभी विदेशी आपूर्तिकर्ताओं पर निर्भर रहने वाला हमारा देश अब स्वदेशी विनिर्माण में एक उभरती हुई शक्ति के रूप में स्थापित हो चुका है। यह बदलाव आत्मनिर्भरता के प्रति मजबूत वचनबद्धता को दर्शाता है, जो यह सुनिश्चित करता है कि भारत न केवल अपनी सुरक्षा आवश्यकताओं को पूरा करे, बल्कि एक मजबूत रक्षा उद्योग का निर्माण भी करे जो आर्थिक विकास में योगदान देता हो।

भारत का रक्षा उत्पादन मेक इन इंडिया पहल से प्रेरित होकर 2014-15 से 174% की वृद्धि दर्शाता है। वित्त वर्ष 2023-24 में रक्षा निर्यात रिकॉर्ड 21,083 करोड़ रुपये पर पहुंच गया। एक दशक में इसमें 30 गुना विस्तार हुआ है, और भारत अब 100 से अधिक देशों में रक्षा उपकरणों का निर्यात कर रहा है। आईडेक्स और सामर्थ्य जैसी पहल एआई, साइबर युद्ध तथा स्वदेशी हथियार प्रणालियों में तकनीकी प्रगति को बढ़ावा दे रही हैं। सृजन योजना के अंतर्गत 14,000 से अधिक वस्तुओं का स्वदेशीकरण किया गया और सकारात्मक देशीकरण सूची के अंतर्गत 3,000 से अधिक वस्तुओं को स्थानीय स्तर पर विकसित किया गया है। भारत का लक्ष्य साल 2029 तक 3 लाख करोड़ रुपए का उत्पादन और 50,000 करोड़ रुपए का रक्षा निर्यात करना है।

रणनीतिक नीतियों ने इस वृद्धि को गति दी है, जिसमें निजी भागीदारी, तकनीकी नवाचार तथा उन्नत सैन्य प्लेटफार्मों का विकास शामिल है। रक्षा बजट में 2013-14 के 2.53 लाख करोड़ रुपये से 2025-26 में 6.81 लाख करोड़ रुपये तक की वृद्धि, सैन्य बुनियादी ढांचे को मजबूत करने के लिए देश के दृढ़ संकल्प को उजागर करती है।

आधुनिकीकरण और नई परियोजनाएं
आत्मनिर्भरता और आधुनिकीकरण की इस प्रतिबद्धता का उदाहरण हाल ही में सुरक्षा मामलों की कैबिनेट समिति (सीसीएस) द्वारा एडवांस्ड टोड आर्टिलरी गन सिस्टम (एटीएजीएस) की खरीद को दी गई मंजूरी में देखा जा सकता है। यह सेना की मारक क्षमता बढ़ाने में एक महत्वपूर्ण कदम है। इस सौदे में 155 मिमी/52 कैलिबर की 307 इकाइयों के साथ 327 हाई मोबिलिटी 6×6 गन टोइंग वाहन शामिल हैं, जो 7,000 करोड़ रुपये की अनुमानित लागत से भारतीय-स्वदेशी रूप से डिजाइन, विकसित व निर्मित (आईडीडीएम) श्रेणी के तहत 15 आर्टिलरी रेजिमेंटों को सुसज्जित करेंगे।

भारत फोर्ज और टाटा एडवांस्ड सिस्टम्स के साथ डीआरडीओ द्वारा विकसित एटीएजीएस एक अत्याधुनिक तोपखाना प्रणाली है, जिसमें 40+ किलोमीटर रेंज, उन्नत फायर कंट्रोल, सटीक लक्ष्यीकरण, स्वचालित लोडिंग तथा रिकॉइल प्रबंधन है, जिसका भारतीय सेना द्वारा सभी इलाकों में गहन परीक्षण किया गया है।

देश में निर्मित आधुनिक युद्धपोतों, लड़ाकू विमानों, तोपखाना प्रणालियों और अत्याधुनिक हथियारों के साथ, भारत अब वैश्विक रक्षा विनिर्माण परिदृश्य में एक प्रमुख राष्ट्र के रूप में खड़ा है।

रक्षा औद्योगिक गलियारे
रक्षा विनिर्माण को बढ़ावा देने के लिए उत्तर प्रदेश और तमिलनाडु में दो रक्षा औद्योगिक गलियारे (डीआईसी) स्थापित किए गए हैं। ये गलियारे इस क्षेत्र में निवेश करने वाली कंपनियों को प्रोत्साहन प्रदान करते हैं। उत्तर प्रदेश के 6 नोड्स—आगरा, अलीगढ़, चित्रकूट, झांसी, कानपुर और लखनऊ तथा तमिलनाडु के 5 नोड्स—चेन्नई, कोयम्बटूर, होसुर, सलेम और तिरुचिरापल्ली में 8,658 करोड़ रुपये से अधिक का निवेश पहले ही किया जा चुका है। फरवरी 2025 तक 53,439 करोड़ रुपये के संभावित निवेश के साथ 253 समझौता ज्ञापनों पर हस्ताक्षर किए जा चुके हैं।

राष्ट्रीय सुरक्षा एवं आर्थिक विकास को बढ़ावा
रक्षा उत्पादन और निर्यात में भारत की उल्लेखनीय प्रगति इसके आत्मनिर्भर तथा विश्व स्तर पर प्रतिस्पर्धी सैन्य विनिर्माण केंद्र के रूप में परिवर्तन को रेखांकित करती है। 2029 तक के लिए महत्वाकांक्षी लक्ष्य निर्धारित करने के साथ, भारत अपनी वैश्विक उपस्थिति को और अधिक विस्तारित करने के लिए तैयार है। इससे राष्ट्रीय सुरक्षा एवं आर्थिक विकास को बढ़ावा मिलेगा और भारत अंतर्राष्ट्रीय रक्षा बाजार में एक भरोसेमंद भागीदार के रूप में अपनी स्थिति को मजबूत कर सकेगा।

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