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February 8, 2025 2:40 AM

भविष्य के लिए तैयार भारत की डिजिटल अर्थव्यवस्था

2029-30 तक राष्ट्रीय आय में पाँचवें हिस्से के बराबर योगदान करेगी

  • देश में डिजिटल अर्थव्यवस्था का हिस्सा कृषि या विनिर्माण से अधिक हो जाएगा
  • एआई, क्लाउड सेवाएँ और वैश्विक क्षमता केंद्र (जीसीसी) प्रमुख विकास संचालक होंगे

स्वदेश ज्योति ब्यूरो, नई दिल्ली
भारतीय अर्थव्यवस्था बीते दशक में उल्लेखनीय रूप से डिजिटल होती गई है। डिजिटल तकनीकों और सेवाओं का तीव्र विकास देश की आर्थिक वृद्धि का एक महत्वपूर्ण घटक बन चुका है। हाल ही में प्रकाशित भारत की डिजिटल अर्थव्यवस्था रिपोर्ट 2024 के अनुसार, डिजिटल अर्थव्यवस्था के विस्तार के मामले में भारत दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा देश बन गया है। यह प्रवृत्ति आगे भी जारी रहने की संभावना है और 2029-30 तक डिजिटल अर्थव्यवस्था का योगदान राष्ट्रीय आय में पाँचवें हिस्से के बराबर होगा।

भारत की डिजिटल अर्थव्यवस्था की तेज़ी से बढ़ती भागीदारी

रिपोर्ट के अनुसार, भारत की डिजिटल अर्थव्यवस्था समग्र अर्थव्यवस्था की तुलना में लगभग दोगुनी गति से बढ़ रही है। इसके चलते, अगले छह वर्षों में देश की डिजिटल अर्थव्यवस्था कृषि और विनिर्माण क्षेत्रों से आगे निकल जाएगी। इस विकास में सबसे बड़ी भूमिका डिजिटल इंटरमीडियरीज और प्लेटफ़ॉर्म्स के विकास की होगी, जिसके बाद अन्य उद्योगों का व्यापक डिजिटलीकरण और डिजिटल प्रसार होगा।

वर्तमान में डिजिटल अर्थव्यवस्था की स्थिति:

  • वित्त वर्ष 2022-23 में, भारत की जीडीपी में डिजिटल अर्थव्यवस्था की हिस्सेदारी 11.74% थी, जो 31.64 लाख करोड़ रुपये के बराबर थी।
  • डिजिटल अर्थव्यवस्था ने 14.67 मिलियन श्रमिकों को रोजगार प्रदान किया, जो देश के कुल कार्यबल का 2.55% है।
  • डिजिटल रूप से सक्षम उद्योगों (आईसीटी सेवाएँ, इलेक्ट्रॉनिक घटकों और कंप्यूटर निर्माण) ने सकल मूल्य वर्धित (जीवीए) में 7.83% का योगदान दिया।
  • डिजिटल प्लेटफ़ॉर्म्स और इंटरमीडियरीज ने 2% और पारंपरिक क्षेत्रों (बीएफएसआई, खुदरा, शिक्षा) में डिजिटलीकरण से 2% का अतिरिक्त योगदान हुआ।
  • अनुमानों के अनुसार, 2029-30 तक डिजिटल अर्थव्यवस्था की हिस्सेदारी 20% तक पहुँच जाएगी, जो कृषि और विनिर्माण से अधिक होगी।

विकास के प्रमुख कारक

  1. एआई और क्लाउड सेवाओं का उन्नत उपयोग: उभरती प्रौद्योगिकियों के बढ़ते उपयोग से डिजिटल क्षेत्र का दायरा लगातार बढ़ रहा है।
  2. वैश्विक क्षमता केंद्र (जीसीसी) का विस्तार: भारत दुनिया के 55% वैश्विक क्षमता केंद्रों की मेजबानी कर रहा है, जो अनुसंधान, आईटी सहायता और बिजनेस प्रोसेस मैनेजमेंट जैसी सेवाएँ प्रदान कर रहे हैं।
  3. डिजिटल भुगतान का व्यापक प्रसार: वित्त वर्ष 2023-24 में, भारत में 1644 बिलियन से अधिक डिजिटल लेन-देन हुए, जो किसी भी देश के लिए सर्वाधिक है।
  4. आईसीटी सेवाओं का निर्यात: भारत का आईसीटी सेवा निर्यात 2023 में 162 बिलियन अमेरिकी डॉलर था, जो विश्व में दूसरा सबसे बड़ा आँकड़ा है।
  5. एआई आधारित परियोजनाएँ: भारत गिफ्टहब पर 23% एआई परियोजनाओं के साथ अमेरिका (14%) से भी आगे है।
  6. डिजिटल पहचान और यूनिकॉर्न वृद्धि: भारत ने 1.3 बिलियन से अधिक बायोमेट्रिक आईडी जारी किए हैं, और यूनिकॉर्न स्टार्टअप्स की संख्या के मामले में यह अमेरिका और चीन के बाद तीसरे स्थान पर है।

भारत की डिजिटल उन्नति के महत्वपूर्ण आँकड़े

  • मोबाइल सब्सक्रिप्शन: वैश्विक 8.36 बिलियन मोबाइल सब्सक्रिप्शन में से भारत में 1.14 बिलियन हैं।
  • इंटरनेट ट्रैफ़िक: सऊदी अरब (35 जीबी) और रूस (18.4 जीबी) के बाद भारत (16.9 जीबी) तीसरे स्थान पर है।
  • 5जी परिनियोजन: भारत 2024 में चीन के बाद 5जी स्मार्टफोन का दूसरा सबसे बड़ा बाज़ार बन गया है।

भारत की डिजिटल अर्थव्यवस्था देश की आर्थिक संरचना को पुनः परिभाषित कर रही है। जहाँ पहले कृषि और विनिर्माण मुख्य आधार थे, अब डिजिटल क्षेत्र उनकी तुलना में अधिक प्रभावी साबित हो रहा है। इस तेज़ी से बढ़ते डिजिटल परिवर्तन से न केवल आर्थिक उत्पादकता में वृद्धि हो रही है, बल्कि नए अवसर और नवाचार भी उत्पन्न हो रहे हैं।

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