लाखों श्रद्धालु पहुंचे, विदेशी पर्यटक भी शामिल
मथुरा के बरसाना में होली का जश्न पूरे उत्साह और भव्यता के साथ शुरू हो गया है। लट्ठमार होली से पहले, बरसाना में रंगों की धूम मची हुई है। हुरियारों ने जमकर अबीर-गुलाल उड़ाए, जिससे पूरे वातावरण में भक्तिमय उल्लास छा गया। राधा रानी की सखियों ने नंदगांव से आए निमंत्रण को लेकर मनमोहक नृत्य किया।
लाडलीजी मंदिर में खेली जाएगी होली
बरसाना के प्रसिद्ध लाडलीजी मंदिर में यह होली शुक्रवार शाम 5 बजे से 7 बजे तक खेली जाएगी। होली के इस विशेष आयोजन को देखने और खेलने के लिए देश-विदेश से लगभग 10 लाख श्रद्धालु बरसाना पहुंचे हैं। इनमें विदेशी पर्यटकों की भी बड़ी संख्या देखी गई, जो भारतीय संस्कृति और परंपरा का अनुभव करने के लिए इस उत्सव में भाग ले रहे हैं।

लड्डू लुटाने की परंपरा
लड्डमार होली के लिए लाडलीजी मंदिर में बनी रसोई में 1,000 किलो शगुन के लड्डू तैयार किए गए हैं। इसके अलावा, बरसाना, वृंदावन, मथुरा, गोवर्धन और नंदगांव की 950 दुकानों में कुल 9,000 किलो लड्डू बनाए गए हैं, जिन्हें श्रद्धालुओं के बीच लुटाया जाएगा।
फाग का निमंत्रण और नंदगांव से संदेश
लट्ठमार होली से एक दिन पहले, शुक्रवार को लाडली जी के महल में विशेष आयोजन किया जाता है। परंपरा के अनुसार, राधा रानी की दासी फाग का निमंत्रण लेकर नंदगांव जाती है। वह अपने साथ एक मटके में गुलाल, पान बीड़ा, प्रसाद और इत्र लेकर नंदभवन पहुंचेगी। नंदगांव में उसका भव्य स्वागत किया जाएगा।
इस गुलाल को नंदगांव के हर घर में बांटा जाता है, जिससे पूरे गांव में उत्सव का माहौल बन जाता है। निमंत्रण देने के बाद दासी बरसाना लौट आएगी।
शाम को करीब 4 बजे, नंदभवन से होली आमंत्रण की स्वीकृति का संदेश लेकर एक पंडा बरसाना पहुंचेगा। इस संदेशवाहक पंडा का राधा जी के महल में भव्य स्वागत किया जाएगा। परंपरा के अनुसार, पंडा को खाने के लिए ढेर सारे लड्डू दिए जाएंगे। खुशी के इस माहौल में वह लड्डू खाने के बजाय श्रद्धालुओं पर लुटाने लगेंगे।

लड्डू लुटाने का अनूठा उत्सव
हजारों किलो लड्डू श्रद्धालुओं के बीच लुटाए जाएंगे, और यह सिलसिला लगभग 2 घंटे तक चलता रहेगा। भक्तजन इन लड्डुओं को प्रसाद के रूप में ग्रहण करेंगे और आनंद से झूम उठेंगे।
लट्ठमार होली का बेसब्री से इंतजार
बरसाना में इस रंगभरी होली के बाद, 8 मार्च को विश्वप्रसिद्ध लट्ठमार होली खेली जाएगी। इस परंपरा के दौरान, बरसाना की महिलाएं नंदगांव से आए हुरियारों को प्रेमपूर्वक लाठियों से मारती हैं, जबकि पुरुष ढाल लेकर उन्हें रोकने का प्रयास करते हैं। यह आयोजन पूरे विश्व में प्रसिद्ध है और हर साल लाखों श्रद्धालुओं को आकर्षित करता है।

संस्कृति और आस्था का संगम
बरसाना की होली केवल एक त्योहार नहीं, बल्कि संस्कृति, परंपरा और आस्था का जीवंत संगम है। भक्तजन यहां न केवल रंगों से होली खेलते हैं, बल्कि भक्ति रस में डूबकर भगवान श्रीकृष्ण और राधा रानी की दिव्य लीलाओं का आनंद लेते हैं।
इस बार का आयोजन भी पहले से कहीं अधिक भव्य और आकर्षक होने की उम्मीद है, जिसमें श्रद्धालु प्रेम और भक्ति के रंगों में सराबोर हो उठेंगे।
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