अटल बिहारी वाजपेयी: संसदीय लोकतंत्र का प्रिय चेहरा
लेखक: अशोक टंडन, पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी के मीडिया सलाहकार
राजनीति में पारदर्शिता, व्यक्तिगत जीवन में सादगी और सरकार में सुशासन—अटल बिहारी वाजपेयी के जीवन मूल्यों का त्रिवेणी संगम था। स्वतंत्र भारत में संसदीय लोकतंत्र को सुदृढ़ करने और समाज को सकारात्मक दिशा देने में उनके योगदान को युगों तक याद किया जाएगा। 25 दिसंबर 2024 को जब भारत उनका 100वां जन्मदिन मना रहा है, यह उनके जीवन और व्यक्तित्व को फिर से याद करने और उनसे प्रेरणा लेने का एक विशेष अवसर है।
व्यक्तित्व का प्रभाव: सरलता से महानता तक
अटल बिहारी वाजपेयी का व्यक्तित्व उनकी सहजता, सादगी और उच्च विचारों का अद्वितीय उदाहरण था। चाहे उनके बचपन के संघर्ष हों, पत्रकारिता और राजनीति में योगदान, या प्रधानमंत्री के रूप में उनकी अद्वितीय भूमिका, उन्होंने हर पड़ाव पर अपने विचारों और कार्यों से प्रेरित किया।
बाल्यकाल से प्रारंभिक जीवन तक: संस्कारों की नींव
25 दिसंबर 1924 को ग्वालियर के एक मध्यमवर्गीय परिवार में जन्मे अटलजी को उनके पिता, कृष्ण बिहारी वाजपेयी से लेखन और काव्य का संस्कार विरासत में मिला। स्कूल शिक्षक पिता की शिक्षा और राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) के विचारों ने उनके व्यक्तित्व को गढ़ा।
1942 के भारत छोड़ो आंदोलन में भाग लेने पर उन्हें जेल भी जाना पड़ा। यह घटना उनकी देशभक्ति और दृढ़ता का शुरुआती प्रमाण थी।
पत्रकारिता और राजनीति का संगम
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के प्रचारक रहते हुए अटलजी ने पत्रकारिता में कदम रखा। उन्होंने दैनिक स्वदेश और पांचजन्य जैसे प्रकाशनों के जरिए राष्ट्रवादी विचारधारा को आगे बढ़ाया। 1951 में भारतीय जनसंघ की स्थापना के साथ उन्होंने राजनीति में प्रवेश किया और डॉ. श्यामा प्रसाद मुखर्जी के सहयोगी बने।
विदेश मंत्री के रूप में ऐतिहासिक योगदान
1977 में मोरारजी देसाई सरकार में विदेश मंत्री रहते हुए अटलजी ने संयुक्त राष्ट्र महासभा में हिंदी में भाषण देकर अंतरराष्ट्रीय मंच पर भारतीयता को गौरवान्वित किया। उन्होंने पड़ोसी देशों के साथ मैत्रीपूर्ण संबंधों की नीति अपनाई और पासपोर्ट सेवाओं को आम जनता के लिए सुगम बनाया।
विशिष्ट राजनेता: विपरीत विचारधारा के प्रति सहजता
अटल बिहारी वाजपेयी की सबसे बड़ी विशेषता थी, विपरीत विचारधारा के नेताओं के साथ भी मधुर और व्यक्तिगत संबंध बनाए रखना। पंडित नेहरू की कश्मीर नीति की आलोचना करते हुए उनके निधन पर अटलजी ने जिस भावुकता और आदर के साथ श्रद्धांजलि दी, वह उनकी विचारधारा और संवेदनशीलता का प्रमाण था।
उनकी भाषण शैली इतनी प्रभावशाली थी कि संसद में दिए उनके ओजस्वी भाषण आज भी प्रेरणा स्रोत बने हुए हैं। वह राजनीतिक विरोधियों पर कभी कटु व्यक्तिगत प्रहार नहीं करते थे, बल्कि अपनी बात तार्किकता और मर्यादा के साथ रखते थे।
प्रधानमंत्री के रूप में स्वर्णिम युग
अटलजी तीन बार भारत के प्रधानमंत्री बने, जिनमें 1998-2004 का कार्यकाल विशेष उल्लेखनीय है। उन्होंने देश को परमाणु शक्ति संपन्न बनाया और पोखरण परीक्षण के जरिए भारत की रणनीतिक स्थिति को मजबूत किया।
भारत को वैश्विक मानचित्र पर पहचान दिलाई
- परमाणु परीक्षण: पोखरण-2 परीक्षण (1998) ने भारत को एक मजबूत और आत्मनिर्भर राष्ट्र के रूप में प्रस्तुत किया।
- कारगिल विजय: कारगिल युद्ध के दौरान अटलजी के नेतृत्व ने न केवल सेना का मनोबल बढ़ाया, बल्कि अंतरराष्ट्रीय मंच पर भारत की प्रतिष्ठा को भी ऊंचा किया।
- सड़क विकास परियोजना: स्वर्णिम चतुर्भुज परियोजना और ग्रामीण सड़कों का विकास उनकी दूरदृष्टि और जनहितकारी सोच का उदाहरण है।
सामाजिक और आर्थिक सुधार
अटलजी के कार्यकाल में भारत में आर्थिक उदारीकरण को गति मिली। उन्होंने सूचना प्रौद्योगिकी और दूरसंचार के क्षेत्र में क्रांति लाई, जिससे भारत एक वैश्विक आईटी केंद्र के रूप में उभरा।
कवि और मानवतावादी का व्यक्तित्व
अटलजी का कवि हृदय उनके राजनैतिक व्यक्तित्व का अहम हिस्सा था। उनकी कविताएँ केवल उनकी संवेदनशीलता ही नहीं, बल्कि उनके दृष्टिकोण को भी दर्शाती हैं।
उनकी कविता “हार नहीं मानूंगा, रार नहीं ठानूंगा…” आज भी संघर्ष के समय प्रेरणा देती है।
महापुरुष की सरलता और नेतृत्व शैली
अटलजी के साथ काम करने का अनुभव उनकी महानता को समझने का अवसर था। वह अपने सहयोगियों के सुझावों को गंभीरता से सुनते और उन पर विचार करते थे। उनके निर्णय प्रभावशाली लेकिन मानवीय होते थे।
विशेष स्मृतियाँ और प्रेरणादायक क्षण
- गुजरात के मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी से संबंध: 2004-2014 के दौरान नरेंद्र मोदी जब भी दिल्ली आते थे, तो अटलजी से मिलने उनके घर अवश्य जाते थे।
- व्यक्तिगत जीवन का आदर्श: प्रधानमंत्री के रूप में भी अटलजी का जीवन सादगी और अनुशासन का प्रतीक था।
- सहज नेतृत्व: सहयोगियों और विपक्ष के साथ समान व्यवहार करना उनके नेतृत्व की पहचान थी।
अवसान और अमिट विरासत
16 अगस्त 2018 को भारत ने एक महानायक को खो दिया। उनका जाना एक ऐसी रिक्तता छोड़ गया, जिसे भर पाना असंभव है। लेकिन उनके विचार, उनके शब्द और उनके कार्य सदैव प्रेरणा देते रहेंगे।
नमन: अटलजी के 100वें जन्मदिवस पर
अटल बिहारी वाजपेयी का जीवन न केवल भारतीय राजनीति, बल्कि प्रत्येक नागरिक के लिए एक आदर्श है। उनकी सौंवीं जयंती पर, कृतज्ञ राष्ट्र उन्हें सादर नमन करता है। अटलजी का जीवन हमें सिखाता है कि सादगी और पारदर्शिता के साथ भी महान कार्य किए जा सकते हैं।
“अटलजी का जीवन और उनकी विचारधारा अमर है। वह सदा हमारे हृदयों में रहेंगे।”