नई दिल्ली। भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (ASI) की एक पांच सदस्यीय टीम ने गुजरात के द्वारका के तट पर पानी के नीचे पुरातात्विक खोज शुरू की है। संस्कृति मंत्रालय ने मंगलवार को इसकी जानकारी दी। इस अभियान की खास बात यह है कि इसमें महिला पुरातत्वविदों की भी महत्वपूर्ण भागीदारी है।
संस्कृति मंत्रालय के अनुसार, यह खोज भारत की प्राचीन और समृद्ध सांस्कृतिक विरासत को संरक्षित करने के उद्देश्य से की जा रही है। यह अभियान एएसआई की अंडरवाटर आर्कियोलॉजी विंग (UAW) के तहत संचालित किया जा रहा है, जिसे हाल ही में पुनर्जीवित किया गया है। यह विंग द्वारका और बेट द्वारका के तटीय इलाकों में खोज और अनुसंधान कार्य कर रही है।
खोज का नेतृत्व कर रहे हैं प्रो. आलोक त्रिपाठी
इस अभियान का नेतृत्व एएसआई के अतिरिक्त महानिदेशक (पुरातत्व) प्रोफेसर आलोक त्रिपाठी कर रहे हैं। उनके साथ उत्खनन एवं अन्वेषण निदेशक एच.के. नायक, सहायक अधीक्षण पुरातत्वविद् अपराजिता शर्मा, पूनम विंद और राजकुमारी बारबीना शामिल हैं।
टीम ने शुरुआती खोज के लिए गोमती क्रीक के पास एक क्षेत्र का चयन किया है। पानी के भीतर खोज और अनुसंधान का उद्देश्य प्राचीन संरचनाओं, मूर्तियों, पत्थरों और अन्य ऐतिहासिक अवशेषों की तलाश करना है, जिससे द्वारका के पौराणिक और ऐतिहासिक महत्व को और अधिक प्रमाणिकता मिल सके।
महिला पुरातत्वविदों की ऐतिहासिक भागीदारी
इस अभियान में महिला पुरातत्वविदों की महत्वपूर्ण भागीदारी को लेकर भी खास चर्चा हो रही है। मंत्रालय ने बताया कि यह पहली बार है जब पानी के नीचे पुरातत्व खोज अभियान में बड़ी संख्या में महिलाओं ने सक्रिय रूप से भाग लिया है। यह महिला सशक्तिकरण और पुरातत्व के क्षेत्र में उनकी बढ़ती भूमिका को भी दर्शाता है।
यूएडब्ल्यू विंग: पानी के भीतर खोज का विशेषज्ञ दल
एएसआई की अंडरवाटर आर्कियोलॉजी विंग (UAW) 1980 के दशक से ही पानी के नीचे पुरातात्विक अनुसंधान में सक्रिय रही है।
- 2001 से, इस विंग ने विभिन्न स्थलों जैसे बंगाराम द्वीप (लक्षद्वीप), महाबलीपुरम (तमिलनाडु), द्वारका (गुजरात), लोकतक झील (मणिपुर) और एलीफेंटा द्वीप (महाराष्ट्र) में महत्वपूर्ण खोज की है।
- यूएडब्ल्यू के पुरातत्वविदों ने भारतीय नौसेना और अन्य सरकारी संस्थानों के साथ मिलकर समुद्री खोज और अनुसंधान किया है।
- इससे पहले, 2005 से 2007 के बीच द्वारका में हुए समुद्री खोज अभियान में प्राचीन मूर्तियां और पत्थर के लंगर मिले थे, जो ऐतिहासिक रूप से काफी महत्वपूर्ण माने जाते हैं।
द्वारका: ऐतिहासिक और पौराणिक महत्व का शहर
द्वारका को भगवान श्रीकृष्ण की नगरी माना जाता है, जिसका उल्लेख महाभारत और पुराणों में मिलता है।
- माना जाता है कि यह प्राचीन नगर समुद्र में डूब गया था।
- पिछले कुछ दशकों में कई अंडरवाटर खोजों में द्वारका के अवशेषों से जुड़ी महत्वपूर्ण जानकारियां मिली हैं।
- इस नई खोज से यह उम्मीद की जा रही है कि पौराणिक द्वारका के अस्तित्व और इसके ऐतिहासिक प्रमाणों को और मजबूती मिलेगी।
भविष्य की संभावनाएं और उम्मीदें
- इस खोज अभियान से भारत के समुद्री पुरातत्व को नया आयाम मिल सकता है।
- पानी के नीचे प्राचीन अवशेषों की खोज से भारत की सांस्कृतिक और ऐतिहासिक धरोहर को वैश्विक पहचान मिल सकती है।
- अगर इस खोज में प्राचीन शहर के और प्रमाण मिलते हैं, तो यह दुनिया के सबसे बड़े समुद्री पुरातात्विक खोजों में से एक बन सकती है।
अब सबकी नजरें इस खोज के नतीजों पर टिकी हैं। आने वाले समय में क्या यह अभियान द्वारका की ऐतिहासिक और पौराणिक कहानियों को प्रमाणिकता दे पाएगा? यह देखना बेहद दिलचस्प होगा।