नई दिल्ली। आसाराम के ‘कल्ट ऑफ फियर’ को उजागर करने वाली डिस्कवरी की डॉक्यूमेंट्री के बाद अब उसके कर्मचारी खुद उसी डर का सामना कर रहे हैं। ओटीटी प्लेटफॉर्म डिस्कवरी प्लस के 100 से ज्यादा कर्मचारी खौफ में जी रहे हैं। उन्हें लगातार जान से मारने की धमकियां मिल रही हैं, जिस वजह से वे दफ्तर जाने से बच रहे हैं और अपने घरों में कैद होकर रह गए हैं। चैनल ने इस मामले को गंभीर मानते हुए पुलिस में शिकायत की, लेकिन जब कोई ठोस कार्रवाई नहीं हुई, तो सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया।
डॉक्यूमेंट्री के बाद बढ़ा आतंक
डिस्कवरी प्लस ने ‘कल्ट ऑफ फियर: आसाराम बापू’ नाम से एक डॉक्यूमेंट्री सीरीज बनाई थी, जो हाल ही में रिलीज हुई। यह डॉक्यूमेंट्री आसाराम और उसके संगठन की सच्चाई उजागर करने का दावा करती है। इसमें बताया गया है कि किस तरह आसाराम ने अपने अनुयायियों के साथ विश्वासघात किया और उसके खिलाफ कानूनी मामले चले। लेकिन जैसे ही यह सीरीज रिलीज हुई, आसाराम के समर्थकों ने इसका विरोध शुरू कर दिया।
डिस्कवरी कम्युनिकेशंस इंडिया ने सुप्रीम कोर्ट में दायर याचिका में बताया कि इस डॉक्यूमेंट्री के चलते उसके कर्मचारियों की जान को खतरा हो गया है। उन्होंने कहा कि चैनल ने यह डॉक्यूमेंट्री सार्वजनिक रिकॉर्ड, अदालती गवाही और ठोस सबूतों के आधार पर बनाई है, लेकिन इसके बावजूद उनके कर्मचारियों को टारगेट किया जा रहा है।
डर के साए में जी रहे हैं कर्मचारी
चैनल ने कोर्ट को बताया कि उसके कई कर्मचारियों को धमकी भरे फोन कॉल्स और सोशल मीडिया पर हिंसक संदेश मिल रहे हैं। कुछ कर्मचारियों के घरों के बाहर अज्ञात लोगों की संदिग्ध गतिविधियां भी देखी गईं, जिससे उनकी सुरक्षा को लेकर चिंता बढ़ गई है। डर के कारण अधिकांश कर्मचारी ऑफिस नहीं जा रहे हैं और वर्क फ्रॉम होम कर रहे हैं।
सुप्रीम कोर्ट का बड़ा फैसला
डिस्कवरी की याचिका पर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश संजीव खन्ना की बेंच ने कर्नाटक, महाराष्ट्र, पश्चिम बंगाल, दिल्ली, हरियाणा, तेलंगाना और तमिलनाडु की पुलिस को आदेश दिया कि वे डिस्कवरी प्लस के कर्मचारियों को अंतरिम सुरक्षा मुहैया कराएं। अदालत ने यह भी कहा कि किसी भी तरह की हिंसा या धमकी को गंभीरता से लिया जाए और दोषियों पर सख्त कार्रवाई की जाए।
डिस्कवरी प्लस का बयान
डिस्कवरी कम्युनिकेशंस इंडिया ने इस पूरे मामले पर बयान जारी कर कहा, “हमने यह डॉक्यूमेंट्री सत्य पर आधारित तथ्यों के आधार पर बनाई है। हमारा उद्देश्य सिर्फ सच दिखाना था, लेकिन अब हमारे कर्मचारी खतरे में हैं। हम चाहते हैं कि उन्हें जल्द से जल्द सुरक्षा दी जाए।”
कानूनी कार्रवाई की मांग
डिस्कवरी ने स्थानीय पुलिस प्रशासन से भी मदद की गुहार लगाई है। कंपनी का कहना है कि अगर धमकियों का सिलसिला जारी रहा, तो वह कानूनी कार्रवाई करेगी और दोषियों के खिलाफ सख्त कदम उठाएगी।
आसाराम पर पहले भी लगे हैं गंभीर आरोप
गौरतलब है कि आसाराम पहले ही बलात्कार और यौन शोषण के मामलों में आजीवन कारावास की सजा काट रहा है। राजस्थान के जोधपुर कोर्ट ने 2018 में आसाराम को दोषी करार दिया था। इसके बावजूद उसके समर्थकों का प्रभाव अभी भी बना हुआ है, जिससे कई बार कानून-व्यवस्था पर असर पड़ता है।
डिस्कवरी प्लस की डॉक्यूमेंट्री ने एक बार फिर आसाराम और उसके संगठन के कामकाज पर सवाल खड़े कर दिए हैं। लेकिन इसके बाद पैदा हुए विवाद ने मीडिया की आज़ादी और सुरक्षा को भी एक बड़ा मुद्दा बना दिया है। अब देखना होगा कि सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद प्रशासन किस हद तक कार्रवाई करता है और कर्मचारियों को सुरक्षा मिलती है या नहीं।