अहमदाबाद। नाबालिग से दुष्कर्म के मामले में उम्रकैद की सजा काट रहे आसाराम बापू को सर्वोच्च न्यायालय से जमानत मिलने के बाद जोधपुर जेल से रिहा कर दिया गया है। 10 साल बाद वह अब अहमदाबाद के साबरमती स्थित अपने आश्रम में वापस लौट आए हैं। हालांकि, इस रिहाई के साथ कुछ शर्तें जुड़ी हुई हैं, जिनमें सबसे महत्वपूर्ण शर्त यह है कि आसाराम अपने अनुयायियों से नहीं मिल सकेंगे।
सर्वोच्च न्यायालय से मिली अंतरिम जमानत
आसाराम को सर्वोच्च न्यायालय ने चिकित्सा कारणों के आधार पर अंतरिम जमानत दी है, जो 31 मार्च 2025 तक प्रभावी रहेगी। जमानत मिलने के बाद वह जोधपुर जेल से बाहर आकर गुजरात के अहमदाबाद स्थित अपने मोटेरा आश्रम में दाखिल हो गए हैं। जमानत की शर्तों के तहत, आसाराम को अनुयायियों से मिलने या आश्रम में किसी भी प्रकार की सार्वजनिक गतिविधि में शामिल होने की अनुमति नहीं है।
शर्तों का उल्लंघन होने का खतरा
आसाराम की रिहाई के बाद, जैसे-जैसे यह खबर फैली, उनके अनुयायी अहमदाबाद आश्रम पहुंचने लगे हैं। हालांकि, आसाराम के अनुयायी आश्रम में किसी प्रकार का शोरगुल या विवाद न करें, यह सुनिश्चित करने के लिए पुलिस ने कड़ा सुरक्षा इंतजाम किया है। चांदखेड़ा पुलिस स्टेशन की टीम 24 घंटे गश्त पर है, ताकि शांति बनाए रखी जा सके और कोई नया विवाद न खड़ा हो।
अहमदाबाद आश्रम का विवादों से जुड़ा इतिहास
आसाराम का अहमदाबाद आश्रम पहले भी कई विवादों में घिर चुका है। आश्रम में हुए कुछ अप्राकृतिक मौतों, दुष्कर्म के आरोपों और अन्य अपराधिक घटनाओं ने इसे लगातार सुर्खियों में रखा। विशेष रूप से दीपेश और अभिषेक की अप्राकृतिक मौत और उसके बाद आसाराम के खिलाफ दुष्कर्म की शिकायतें इस आश्रम को विवादों में डाल चुकी हैं। इसके अलावा, आश्रम के कुछ अनुयायियों के खिलाफ भी कई जांचें चल रही हैं।
आसाराम के खिलाफ दुष्कर्म का मामला
आसाराम को 2018 में जोधपुर स्थित अपने आश्रम में एक नाबालिग लड़की से दुष्कर्म के आरोप में दोषी ठहराया गया था। जोधपुर कोर्ट ने उन्हें आजीवन कारावास की सजा सुनाई थी। इसके बाद, 2019 में सूरत की एक अदालत ने उनके बेटे नारायण साईं को भी दुष्कर्म के आरोप में दोषी ठहराया था। इस फैसले से आसाराम और उनके परिवार की मुश्किलें बढ़ गई थीं।
आसाराम के खिलाफ विवादों की लंबी सूची
आसाराम बापू का नाम हमेशा से विवादों में रहा है, और उनका आश्रम भी कई बार जांच के दायरे में आ चुका है। इस नए घटनाक्रम में, आसाराम की रिहाई और अहमदाबाद आश्रम में उनका वापस आना फिर से सवालों के घेरे में है। पुलिस प्रशासन ने आश्रम में शांति बनाए रखने के लिए पूरी ताकत झोंकी है ताकि इस दौरान कोई नया विवाद न उत्पन्न हो।
आखिरकार, यह स्पष्ट है कि आसाराम की जमानत मिलने के बाद उनके खिलाफ चल रहे विवादों की निगरानी और बढ़ गई है, और पुलिस प्रशासन को उनकी गतिविधियों पर कड़ी नजर रखनी होगी।