चीन को अमेरिका से ढाई गुना ज्यादा नुकसान, भारत पर भी असर
बीजिंग। चीन और अमेरिका के बीच व्यापार युद्ध एक बार फिर से तेज हो गया है। चीन ने अमेरिकी उत्पादों पर 15 फीसदी तक का नया टैरिफ लगाने का फैसला किया है, जो आज यानी सोमवार से लागू हो जाएगा। यह कदम अमेरिका की ओर से चीनी उत्पादों पर लगाए गए 20 फीसदी अतिरिक्त टैरिफ के जवाब में उठाया गया है।
दरअसल, अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने 1 फरवरी को चीन से आने वाले उत्पादों पर 10 फीसदी अतिरिक्त टैरिफ लगाने का निर्णय लिया था। एक महीने बाद, उन्होंने इसे बढ़ाकर 20 फीसदी कर दिया। इसके जवाब में, चीन ने भी अमेरिका से आने वाले कोयला और रसायनों (केमिकल्स) पर 15 फीसदी तथा कच्चे तेल, कृषि मशीनरी और बड़ी इंजन क्षमता वाली कारों पर 10 फीसदी टैरिफ लगाने की घोषणा की।
चीन को अमेरिका से ज्यादा नुकसान होने की संभावना
विशेषज्ञों का मानना है कि इस टैरिफ वॉर से चीन को अमेरिका की तुलना में ढाई गुना ज्यादा नुकसान उठाना पड़ेगा।
- अमेरिका द्वारा लगाए गए टैरिफ से लगभग 39 लाख करोड़ रुपए मूल्य के चीनी उत्पाद प्रभावित होंगे।
- चीन द्वारा लगाए गए टैरिफ का प्रभाव सिर्फ 1.73 लाख करोड़ रुपए मूल्य के अमेरिकी उत्पादों पर पड़ेगा।
इस व्यापार युद्ध का चीन की अर्थव्यवस्था पर सीधा असर पड़ सकता है। विशेषज्ञों का अनुमान है कि 2025 में चीन की अर्थव्यवस्था की विकास दर घटकर 4.1 फीसदी रह सकती है, जबकि 2024 की चौथी तिमाही में यह 5.4 फीसदी थी।
भारत पर भी पड़ेगा असर
चीन और अमेरिका के बीच बढ़ते इस व्यापार युद्ध का असर भारत पर भी पड़ने की संभावना है।
- भारतीय निर्यात पर दबाव: चूंकि अमेरिका और चीन दोनों ही भारत के बड़े व्यापारिक साझेदार हैं, ऐसे में अगर इन दोनों देशों के बीच व्यापार में गिरावट आती है तो भारतीय निर्यातकों को भी नुकसान हो सकता है।
- कच्चे तेल की कीमतें: चीन द्वारा अमेरिकी कच्चे तेल पर टैरिफ लगाने से वैश्विक तेल बाजार में अस्थिरता बढ़ सकती है, जिसका प्रभाव भारत की तेल कीमतों पर भी पड़ सकता है।
- मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर: भारत के मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर को भी इस संघर्ष का असर झेलना पड़ सकता है, क्योंकि कई कच्चे माल की कीमतें अप्रत्याशित रूप से बदल सकती हैं।
अमेरिका और चीन के बीच टैरिफ युद्ध की पृष्ठभूमि
अमेरिका और चीन के बीच व्यापार विवाद पिछले कई वर्षों से चला आ रहा है।
- 2018-19 में ट्रम्प प्रशासन ने चीन पर कई कड़े टैरिफ लगाए थे, जिसके जवाब में चीन ने भी अमेरिकी उत्पादों पर शुल्क बढ़ा दिया था।
- इसके बाद 2020 में कोरोना महामारी के दौरान दोनों देशों के बीच व्यापार तनाव कुछ हद तक कम हुआ था।
- 2023-24 में दोनों देशों ने अपने व्यापार संबंधों को सुधारने की कोशिश की, लेकिन अमेरिका द्वारा चीन पर नई व्यापार नीतियां लागू करने के कारण यह विवाद फिर से बढ़ गया।
आगे की राह
विशेषज्ञों का मानना है कि अगर यह टैरिफ युद्ध लंबा चला, तो इससे न केवल चीन और अमेरिका बल्कि पूरी वैश्विक अर्थव्यवस्था पर भी प्रतिकूल प्रभाव पड़ सकता है। इससे निवेश में गिरावट, व्यापार में अनिश्चितता और महंगाई में बढ़ोतरी हो सकती है।
भारत को इस स्थिति में अपने हितों को ध्यान में रखते हुए व्यापार रणनीति तैयार करनी होगी, ताकि उसे इस संघर्ष से होने वाले संभावित नुकसान से बचाया जा सके।