Trending News

March 18, 2025 11:05 PM

महाकुंभ में अनेक अमृत निकले, एकता इसका पवित्र प्रसाद: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी

**mahakumbh-2025-pm-modi-unity-india-heritage**

पूरे विश्व ने भारत के विराट स्वरूप के दर्शन किए: प्रधानमंत्री

नई दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी मंगलवार को लोकसभा में महाकुंभ के आयोजन पर बोले। उन्होंने इस दौरान इस आयोजन में योगदान देने वाले सभी लोगों का धन्यवाद किया और इस भव्य आयोजन को भारत की सांस्कृतिक एकता और गौरवशाली परंपरा का प्रतीक बताया।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा, “मैं प्रयागराज में हुए महाकुंभ पर वक्तव्य देने के लिए उपस्थित हुआ हूं। आज मैं सदन के माध्यम से देशवासियों को कोटि-कोटि नमन करता हूं, जिनकी वजह से महाकुंभ का सफल आयोजन संभव हो सका। इस आयोजन की सफलता में अनेक लोगों का योगदान रहा है। मैं सरकार, समाज के सभी कर्मयोगियों, संत-महात्माओं, प्रशासनिक अधिकारियों, सुरक्षाबलों, सफाईकर्मियों और स्वयंसेवकों का अभिनंदन करता हूं। विशेष रूप से मैं उत्तर प्रदेश की जनता और प्रयागराज के नागरिकों का आभार व्यक्त करता हूं, जिनकी सहभागिता और समर्पण ने इसे अद्वितीय बनाया।”

महाकुंभ और भारत की सांस्कृतिक विरासत

प्रधानमंत्री ने आगे कहा कि महाकुंभ का आयोजन केवल एक धार्मिक उत्सव नहीं, बल्कि यह भारत की सांस्कृतिक विरासत का भव्य प्रतीक है। उन्होंने कहा कि पिछले वर्ष अयोध्या में श्रीराम जन्मभूमि पर भव्य राम मंदिर प्राण प्रतिष्ठा समारोह ने यह अहसास कराया कि देश अगले 1000 वर्षों के लिए कैसे तैयार हो रहा है। इस वर्ष महाकुंभ ने हमारी सोच को और अधिक मजबूत किया है और हमारी सामूहिक चेतना को एक नई दिशा दी है।

“महाकुंभ केवल एक धार्मिक अनुष्ठान नहीं, बल्कि भारत की आध्यात्मिक ऊर्जा, सामाजिक समरसता और सांस्कृतिक गौरव का परिचायक है। जब दुनिया इस आयोजन को देखती है, तो उसे भारत की विराटता, हमारी परंपराओं की शक्ति और हमारे समाज की एकता का अनुभव होता है।”

महाकुंभ और सामूहिक चेतना

प्रधानमंत्री ने महाकुंभ के ऐतिहासिक और आध्यात्मिक महत्व पर प्रकाश डालते हुए कहा कि मानव जीवन के इतिहास में ऐसे कई मोड़ आते हैं जो पीढ़ियों को दिशा देते हैं। महाकुंभ भी एक ऐसा ही आयोजन है, जो भारत की आत्मा को जीवंत बनाता है।

“महाकुंभ में करोड़ों श्रद्धालु सुविधा और असुविधा की चिंता छोड़कर केवल आस्था और श्रद्धा के साथ आते हैं। यह आयोजन भारत की आध्यात्मिकता और सामाजिक एकता को सशक्त बनाता है। इस पवित्र आयोजन में शामिल होने वाले हर व्यक्ति के मन में एक नई ऊर्जा, एक नई प्रेरणा का संचार होता है।”

युवा पीढ़ी और भारत की परंपरा

प्रधानमंत्री मोदी ने इस बात पर भी बल दिया कि आज का भारतीय युवा अपनी परंपराओं और आस्था के प्रति गर्व का अनुभव कर रहा है। उन्होंने कहा कि भारत का युवा आज अपनी जड़ों से जुड़ने में गर्व महसूस कर रहा है और यही हमारी सबसे बड़ी पूंजी है।

“हमारी परंपराओं की यह निरंतरता ही हमें बड़े लक्ष्यों को प्राप्त करने की शक्ति देती है। आने वाली पीढ़ियों के लिए यह आवश्यक है कि वे अपने अतीत की महान विरासत को समझें और उसे आगे बढ़ाएं। महाकुंभ जैसे आयोजन हमें यह सिखाते हैं कि किस प्रकार हमारी परंपराएं और संस्कार पीढ़ी दर पीढ़ी प्रवाहित होते रहते हैं।”

विश्वभर में भारत की छवि

प्रधानमंत्री ने कहा कि महाकुंभ जैसे आयोजनों के माध्यम से भारत की छवि विश्व पटल पर और अधिक मजबूत हुई है। उन्होंने कहा कि पूरे विश्व ने भारत के विराट स्वरूप के दर्शन किए हैं और यह हमारी सांस्कृतिक शक्ति का प्रतीक है।

“भारत केवल एक भौगोलिक इकाई नहीं, बल्कि एक आध्यात्मिक और सांस्कृतिक शक्ति भी है। जब दुनिया महाकुंभ को देखती है, तो वह हमारे देश की आत्मा को महसूस करती है। यह आयोजन विश्व में हमारी प्रतिष्ठा को और अधिक ऊंचा उठाता है।”

समापन

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अंत में कहा कि महाकुंभ केवल एक धार्मिक अनुष्ठान नहीं, बल्कि यह भारत की सामूहिक चेतना का प्रतीक है। उन्होंने इस आयोजन के सफल आयोजन के लिए सभी लोगों को पुनः धन्यवाद दिया और देशवासियों से आग्रह किया कि वे अपनी संस्कृति और परंपराओं से जुड़े रहें।

“हमारी विरासत से जुड़ने की परंपरा ही आज के भारत की सबसे बड़ी पूंजी है। हमें अपनी संस्कृति और मूल्यों को संजोकर रखना होगा, ताकि आने वाली पीढ़ियां भी इससे प्रेरणा ले सकें।”

Share on facebook
Share on twitter
Share on linkedin
Share on whatsapp
Share on telegram