शादी में 10 से ज्यादा लोग नाचे तो दूल्हे समेत गिरफ्तारी जैसे गैर जरूरी कानून हमारी सरकार ने हटाए
नई दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने एनएक्सटी के एक कार्यक्रम में अपनी सरकार द्वारा हटाए गए पुराने और अप्रासंगिक कानूनों पर चर्चा की। उन्होंने इस दौरान अंग्रेजों द्वारा बनाए गए कुछ कानूनों का जिक्र करते हुए कहा कि उनकी सरकार ने ऐसे गैर-जरूरी कानूनों को समाप्त करने का कार्य किया है। प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि वे लुटियन जमात और खान मार्केट गैंग की चुप्पी से हैरान हैं, जो कि ऐसे विषयों पर कभी आवाज नहीं उठाते।
अंग्रेजों द्वारा बनाया गया ड्रामेटिक परफॉर्मेंस एक्ट
प्रधानमंत्री मोदी ने अपने संबोधन में बताया कि अंग्रेजों द्वारा बनाया गया एक कानून “ड्रामेटिक परफॉर्मेंस एक्ट” 150 साल पहले लागू किया गया था। इस कानून के तहत सार्वजनिक स्थानों पर 10 लोग यदि एक साथ नाचते-गाते मिल जाएं, तो उन्हें गिरफ्तार किया जा सकता था। अंग्रेजों ने यह कानून इसलिए बनाया था ताकि थिएटर और नाटकों के जरिए उनके खिलाफ कोई विद्रोह न पनपे। यह कानून आजादी के 75 साल बाद भी जारी रहा, लेकिन किसी ने इस पर सवाल नहीं उठाया। मोदी ने कहा कि उनकी सरकार ने इस कानून को खत्म कर दिया।
उन्होंने कहा, “सोचिए, अगर शादी के दौरान 10 लोग मिलकर नाच रहे हैं, तो पुलिस उन्हें गिरफ्तार कर सकती थी। यह कितना हास्यास्पद है! हमारी सरकार ने इस कानून को हटाकर जनता को एक अनावश्यक कानून से मुक्त किया। लेकिन मुझे आश्चर्य होता है कि जो लोग खुद को जनहित याचिकाओं के ठेकेदार बताते हैं, वे 75 साल तक इस कानून के खिलाफ आवाज क्यों नहीं उठाते?”
पहले बांस काटने पर हो जाती थी जेल
प्रधानमंत्री ने एक अन्य उदाहरण देते हुए कहा कि देश में ऐसा कानून भी था जिसमें बांस को पेड़ माना जाता था। अगर कोई व्यक्ति बांस काटता तो उसे जेल जाना पड़ता। उन्होंने कहा कि हमारी सरकार ने इस कानून को भी समाप्त किया। मोदी ने कहा कि पिछली सरकारें यह समझने में नाकाम रहीं कि बांस एक घास की प्रजाति का पौधा है, न कि पेड़।
उन्होंने कहा, “हमने बांस को पेड़ की श्रेणी से हटाकर इसे घास घोषित किया, जिससे अब किसान और उद्यमी इसका बेहतर उपयोग कर सकते हैं। यह एक बड़ा सुधार है, जिससे लाखों लोगों को लाभ मिला है।”
भारत के संगठन और नवाचार कौशल से दुनिया प्रभावित
प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि आज पूरी दुनिया भारत को जानना और समझना चाहती है। उन्होंने हाल ही में प्रयागराज में संपन्न हुए कुंभ मेले का उदाहरण देते हुए कहा कि 26 फरवरी को एकता का महाकुंभ संपन्न हुआ, जिसमें करोड़ों लोगों ने संगम में स्नान किया। यह विश्व का सबसे बड़ा धार्मिक आयोजन है, जहां इतनी विशाल भीड़ एक अस्थायी स्थल पर इकट्ठा होती है और बिना किसी बड़ी अव्यवस्था के आयोजन संपन्न हो जाता है।
उन्होंने कहा, “दुनिया इस बात से हैरान है कि इतने लोग एक साथ एकत्र होकर भी अनुशासित रहते हैं। भारत का संगठन कौशल और नवाचार क्षमता इतनी प्रभावी है कि इससे कई देशों को सीखने की जरूरत है।”
गैर-जरूरी कानूनों को हटाने पर जोर
प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि उनकी सरकार का उद्देश्य देश को पुराने और गैर-जरूरी कानूनों से मुक्त करना है। उन्होंने बताया कि बीते वर्षों में उनकी सरकार ने हजारों पुराने और अप्रासंगिक कानूनों को समाप्त किया है। इससे नागरिकों को अनावश्यक कानूनी परेशानियों से बचाने में मदद मिली है।
उन्होंने कहा, “हमने लालफीताशाही को खत्म करने का काम किया है और लोगों की स्वतंत्रता सुनिश्चित करने के लिए कई सुधार किए हैं। पुराने और अनुपयोगी कानूनों को हटाना हमारी प्राथमिकता रही है और आगे भी हम इस दिशा में कार्य करते रहेंगे।”
प्रधानमंत्री मोदी के इस संबोधन के बाद राजनीतिक गलियारों में हलचल मच गई है। विपक्षी दलों ने इस पर अपनी प्रतिक्रिया देना शुरू कर दिया है। वहीं, सोशल मीडिया पर भी मोदी के भाषण को लेकर चर्चाएं हो रही हैं।
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