न्यूयॉर्क, 22 फरवरी: भारतीय जीवविज्ञानी एवं वन्यजीव संरक्षणकर्ता पूर्णिमा देवी बर्मन को प्रतिष्ठित ‘वुमन ऑफ द ईयर’ 2025 की सूची में शामिल किया गया है। टाइम मैगजीन द्वारा जारी इस सूची में वे एकमात्र भारतीय महिला हैं। इस सूची में उनके साथ प्रसिद्ध हॉलीवुड अभिनेत्री निकोल किडमैन और फ्रांस की सामाजिक कार्यकर्ता गिसेल पेलिकॉट सहित कुल 13 महिलाएं शामिल हैं।
पूर्णिमा देवी बर्मन का नाम इस सूची में शामिल होना भारतीय पर्यावरण और वन्यजीव संरक्षण के लिए एक महत्वपूर्ण उपलब्धि है। उनके अथक प्रयासों के कारण, ग्रेटर एडजुटेंट स्टॉर्क (धेनुक) नामक पक्षी को अंतर्राष्ट्रीय प्रकृति संरक्षण संघ (IUCN) की “लुप्तप्राय” (Endangered) श्रेणी से हटाकर “निकट संकटग्रस्त” (Near Threatened) श्रेणी में लाया गया।
धेनुक संरक्षण में पूर्णिमा देवी बर्मन का योगदान
असम में पाए जाने वाले ग्रेटर एडजुटेंट स्टॉर्क (जिसे स्थानीय रूप से धेनुक कहा जाता है) एक दुर्लभ और विलुप्ति के कगार पर पहुंच चुकी प्रजाति थी। जब पूर्णिमा देवी ने इस पर काम करना शुरू किया, तब असम में मात्र 450 धेनुक शेष बचे थे।
✅ उनके प्रयासों की बदौलत, 2023 तक इनकी आबादी 1,800 से अधिक हो गई।
✅ उन्होंने धेनुक के लिए समर्पित संरक्षण अभियान चलाया और इसे अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर पहचान दिलाई।
✅ उन्होंने स्थानीय समुदायों को इस अभियान से जोड़ा और उन्हें इस पक्षी की सुरक्षा के लिए जागरूक किया।
कैसे बदली पूर्णिमा की जिंदगी?
2007 में, जब पूर्णिमा असम में थीं, तो उन्हें एक फोन कॉल आया कि एक पेड़ काटा जा रहा है, जो धेनुक के घोंसलों का घर था। जब वे मौके पर पहुंचीं, तो उन्होंने देखा कि पेड़ काटे जाने से कई पक्षियों के आश्रय नष्ट हो जाएंगे। उन्होंने लोगों से पूछा कि पेड़ क्यों काटा जा रहा है?
🔹 उनका जवाब: यह पक्षी गंदा होता है, बदबू करता है और इसे देखने से अपशकुन होता है।
🔹 पूर्णिमा का संकल्प: उन्होंने धेनुक की सुरक्षा का जिम्मा उठाया और इसकी विलुप्ति रोकने का अभियान शुरू किया।
🔹 भावनात्मक जुड़ाव: उस समय पूर्णिमा की जुड़वां बेटियां बहुत छोटी थीं। उन्होंने धेनुक के बच्चों को देखकर महसूस किया कि इनका भी भविष्य सुरक्षित रखना जरूरी है।
महिलाओं को बनाया आत्मनिर्भर
✅ पूर्णिमा देवी बर्मन ने सिर्फ वन्यजीव संरक्षण ही नहीं किया, बल्कि ग्रामीण महिलाओं को आत्मनिर्भर भी बनाया।
✅ उन्होंने “हरगिला आर्मी” नामक महिला समूह का गठन किया, जिसमें महिलाओं को धेनुक संरक्षण से जोड़ा गया।
✅ यह समूह हस्तशिल्प, पारंपरिक बुनाई और पक्षी संरक्षण से जुड़ी वस्तुओं के निर्माण में सक्रिय है, जिससे वे आर्थिक रूप से सशक्त हो सकें।
✅ महिलाओं को रोज़गार के अवसर मिले और वे अपने गांवों में ही आय अर्जित करने लगीं।
टाइम मैगजीन ने अपने लेख में उल्लेख किया कि “वुमन ऑफ द ईयर” की सूची में उन्हीं महिलाओं को शामिल किया जाता है, जो समाज में वास्तविक बदलाव ला रही हैं।
निकोल किडमैन और गिसेल पेलिकॉट का संघर्ष
टाइम मैगजीन की 2025 की ‘वुमन ऑफ द ईयर’ सूची में अन्य प्रमुख नामों में निकोल किडमैन और गिसेल पेलिकॉट भी शामिल हैं।
🔸 निकोल किडमैन – हॉलीवुड अभिनेत्री निकोल किडमैन ने यौन हिंसा के खिलाफ वैश्विक अभियान चलाया और पीड़ित महिलाओं के लिए काम किया।
🔸 गिसेल पेलिकॉट – गिसेल पेलिकॉट को उनके यौन हिंसा के खिलाफ किए गए संघर्ष और जागरूकता अभियानों के लिए पहचाना गया।
गिसेल पेलिकॉट का जीवन बहुत संघर्षपूर्ण रहा। उनके पति ने उन्हें नशीली दवाएं दीं और 70 से अधिक पुरुषों ने उनके साथ दुष्कर्म किया। इस दर्दनाक अनुभव के बाद, उन्होंने महिलाओं के अधिकारों के लिए लड़ाई लड़ी और दुनिया भर में यौन हिंसा के खिलाफ आवाज उठाई।
पूर्णिमा देवी बर्मन की उपलब्धियां
🏆 2022 – UNEP (संयुक्त राष्ट्र पर्यावरण कार्यक्रम) द्वारा “चैम्पियंस ऑफ द अर्थ” अवार्ड मिला।
🏆 2023 – IUCN के संरक्षण प्रयासों में महत्वपूर्ण योगदान के लिए सम्मान।
🏆 2024 – टाइम मैगजीन की “वुमन ऑफ द ईयर” सूची में जगह बनाने वाली पहली भारतीय जीवविज्ञानी।
पूर्णिमा देवी बर्मन का नाम “वुमन ऑफ द ईयर” सूची में शामिल होना, भारत के लिए गर्व की बात है। उन्होंने न केवल एक दुर्लभ पक्षी की विलुप्ति को रोका, बल्कि महिलाओं को भी आत्मनिर्भर बनने का रास्ता दिखाया।
उनके प्रयासों से यह सिद्ध होता है कि “अगर एक व्यक्ति ठान ले, तो बड़ा बदलाव संभव है।” 🌿🐦
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