भोपाल।
भोपाल की यूनियन कार्बाइड फैक्ट्री के गोदाम में रखे 337 मीट्रिक टन जहरीले कचरे की पैकेजिंग एक्सपर्ट्स की निगरानी में की जा रही है। इसे 12 कंटेनर में भरकर देर रात 250 किमी का ग्रीन कॉरिडोर बनाकर भोपाल से पीथमपुर ले जाया जाएगा। उधर, पीथमपुर में कचरे को जलाए जाने को लेकर प्रदर्शन हो रहा है। यहां के कई लोग दिल्ली रवाना हुए हैं, जहां वे जंतर-मंतर पर प्रदर्शन करेंगे। रविवार को एक्सपर्ट्स की मौजूदगी में कचरे को 12 कंटेनर में भरने की प्रक्रिया शुरू हुई। हालांकि, देर रात तक कचरा पीथमपुर के लिए रवाना नहीं किया जा सका। इस पूरी प्रक्रिया में कैंपस के अंदर जाने की मनाही है। 200 मीटर के दायरे को सील कर दिया गया है, और रास्ते भी बंद किए गए हैं। कैंपस में 100 से ज्यादा पुलिसकर्मी तैनात हैं। वहीं, कुल 400 से ज्यादा अधिकारी-कर्मचारी, एक्सपर्ट्स और डॉक्टरों की टीम इस काम में जुटी है। गैस कांड के 40 साल बाद पीथमपुर इंडस्ट्रियल वेस्ट मैनेजमेंट (रामकी) कंपनी के एक्सपर्ट्स की मॉनिटरिंग में यह कचरा 12 कंटेनर ट्रकों में भरा जा रहा है।
जहां जहरीला कचरा, वहां की मिट्टी भी ले जाएंगे
जहरीला कचरा भरते हुए विशेष सावधानी बरती जा रही है। हवा में यूनियन कार्बाइड गैस फैलने के कारण 1984 में 5,000 से अधिक मौतें हुई थीं। इसीलिए यूका परिसर में 3 जगहों पर एयर क्वालिटी की मॉनिटरिंग के लिए उपकरण लगाए गए हैं। इनसे पीएम 10 और पीएम 2.5 के साथ नाइट्रोजन ऑक्साइड, सल्फर डाई ऑक्साइड आदि की जांच की जा रही है। कचरा जिस स्थान पर रखा है, उस इलाके की धूल भी कचरे के साथ जाएगी। यदि कहीं कचरा गिरा है तो उस जगह की मिट्टी को भी पीथमपुर ले जाया जाएगा। इस मिट्टी और धूल की भी टेस्टिंग होगी, ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि कहीं यह भी जहरीली तो नहीं हो गई है।
फैक्ट्री के अंदर थैलियों में पैक किया जा रहा कचरा

अब 337 टन जहरीला कचरा फैक्ट्री के अंदर थैलियों में रखा गया है। इसे खास जंबू बैग में पैक किया जा रहा है। ये एचडीपीई नॉन-रिएक्टिव लाइनर से बने हैं, जिनमें मटेरियल में कोई रिएक्शन नहीं हो सकता। बैग में कचरा भरने के लिए 50 से अधिक लेबर लगे हैं, जो सभी पीपीई किट पहने हुए हैं, ताकि कैमिकल के संपर्क में आने पर शरीर को नुकसान न हो।
कचरे का निष्पादन कैसे होगा?
कंटेनर को भेजने से पहले यहां वजन होगा, और पीथमपुर में पहुंचने पर वहां भी वजन किया जाएगा। पीथमपुर में कचरे को रखने के लिए लकड़ी का प्लेटफार्म बनाया गया है, जो जमीन से करीब 25 फीट ऊपर बना है। इस कचरे को कब जलाना है, यह फैसला सीपीसीबी के वैज्ञानिकों की टीम करेगी। वही इसे जलाने की पूरी प्रक्रिया तय करेगी, जिसमें मौसम, तापमान और जलाने की मात्रा का निर्धारण किया जाएगा, और सैंपल टेस्टिंग भी की जाएगी।
कचरे को कड़ी सुरक्षा के साथ भेजा जाएगा
जहरीले कचरे को कड़ी सुरक्षा के साथ 250 किमी का ग्रीन कॉरिडोर बनाकर पीथमपुर भेजा जाएगा। यहां कचरे को रामकी एनवायरो में जलाया जाएगा। बता दें कि, हाईकोर्ट ने 6 जनवरी तक इसे हटाने के निर्देश दिए थे। 3 जनवरी को सरकार को हाईकोर्ट में रिपोर्ट पेश करनी है, यानी 2 जनवरी तक हर हाल में कचरा पीथमपुर भेजना ही है। रामकी कंपनी इसका निष्पादन करेगी।