सर्दियों का मौसम आते ही बहुत से लोगों की दिनचर्या अपने आप बदल जाती है। सुबह बिस्तर छोड़ने का मन नहीं करता, दिन भर शरीर में भारीपन रहता है और काम करने की इच्छा धीरे-धीरे कम हो जाती है। इसे आम भाषा में सर्दियों की सुस्ती या आलस कहा जाता है। यह समस्या देखने में छोटी लगती है, लेकिन यदि लंबे समय तक बनी रहे तो स्वास्थ्य पर गहरा असर डाल सकती है।
ठंड के मौसम में शरीर खुद को गर्म रखने के लिए अधिक ऊर्जा खर्च करता है। इसी कारण व्यक्ति जल्दी थकान महसूस करता है। इसके साथ ही धूप कम मिलना, बाहर कम निकलना और खानपान में बदलाव इस सुस्ती को और बढ़ा देते हैं। कई लोग इसे मौसम का असर मानकर अनदेखा कर देते हैं, जबकि यही आदतें आगे चलकर बड़ी समस्याओं का कारण बन सकती हैं।
सर्दियों में सुस्ती बढ़ने के मुख्य कारण
सर्दियों में सुस्ती बढ़ने के पीछे कई कारण होते हैं। सबसे बड़ा कारण शारीरिक गतिविधि की कमी है। ठंड के कारण लोग सुबह की सैर, टहलना या हल्का व्यायाम करना छोड़ देते हैं। जब शरीर लंबे समय तक निष्क्रिय रहता है, तो ऊर्जा का स्तर धीरे-धीरे कम होने लगता है।
दूसरा अहम कारण खानपान है। सर्दियों में तला हुआ, भारी और ज्यादा मसालेदार भोजन अधिक खाया जाता है। ऐसा भोजन पचने में समय लेता है और शरीर में सुस्ती पैदा करता है। इसके अलावा ठंड के कारण पानी कम पीने की आदत भी थकान और आलस को बढ़ा देती है।
धूप की कमी भी मौसम का एक बड़ा असर है। धूप न केवल शरीर को गर्म रखती है, बल्कि मन को भी प्रसन्न करती है। जब धूप कम मिलती है, तो व्यक्ति उदास और सुस्त महसूस करने लगता है।
सर्दियों की सुस्ती का स्वास्थ्य पर असर
अगर सर्दियों की सुस्ती को समय रहते न रोका जाए, तो इसका सीधा असर स्वास्थ्य पर पड़ता है। सबसे पहले वजन बढ़ने लगता है क्योंकि शरीर कम चलता-फिरता है। इसके साथ ही पाचन से जुड़ी समस्याएं भी सामने आने लगती हैं।
लगातार आलस रहने से काम में मन नहीं लगता और चिड़चिड़ापन बढ़ जाता है। धीरे-धीरे रोग प्रतिरोधक क्षमता भी कमजोर हो सकती है, जिससे सर्दी-खांसी और अन्य मौसमी परेशानियां बार-बार होने लगती हैं।
सर्दियों की सुस्ती दूर करने के आसान उपाय
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सही दिनचर्या अपनाएं
सर्दियों में भी समय पर सोना और सुबह समय पर उठना बहुत जरूरी है। देर तक सोने की आदत सुस्ती को और बढ़ा देती है। सुबह उठकर थोड़ी देर चलना-फिरना शरीर को सक्रिय बनाता है।
धूप का लाभ लें
रोज कुछ समय धूप में जरूर बैठें। यह शरीर को गर्म रखने के साथ-साथ मन को भी ताजगी देता है। धूप में बैठना सर्दियों में स्वास्थ्य के लिए बहुत लाभकारी माना जाता है।
घर के भीतर व्यायाम करें
अगर बाहर ठंड ज्यादा हो तो घर के भीतर ही हल्का व्यायाम किया जा सकता है।
इसमें शामिल हो सकते हैं:
शरीर को मोड़ने वाले सरल अभ्यास
एक ही जगह चलना
हाथ और पैरों की हल्की गतिविधियां
इनसे शरीर में रक्त संचार बेहतर होता है और आलस कम होता है।
पानी पीने की आदत न छोड़ें
ठंड में प्यास कम लगती है, लेकिन शरीर को पानी की उतनी ही जरूरत होती है। गुनगुना पानी पीने से शरीर भीतर से सक्रिय रहता है और थकान कम होती है।
सर्दियों में क्या खाएं जिससे सुस्ती न आए
सर्दियों में खानपान का खास ध्यान रखना चाहिए। ऐसा भोजन चुनें जो शरीर को ऊर्जा दे और पचने में आसान हो।
फायदेमंद आहार में शामिल करें:
हरी सब्जियां जैसे पालक, मेथी और गाजर
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मौसमी फल
गुनगुना दूध
हल्का सूप
घर का बना ताजा भोजन
सूखे मेवे भी सर्दियों में फायदेमंद होते हैं, लेकिन इन्हें सीमित मात्रा में ही लेना चाहिए।
किन आदतों से बचना जरूरी है
सर्दियों में कुछ आदतें सुस्ती को और बढ़ा देती हैं।
इनसे बचना चाहिए:
बहुत ज्यादा तला हुआ भोजन
देर रात तक जागना
दिन भर बैठे रहना
ठंडा और बासी भोजन
सकारात्मक सोच का महत्व
सर्दियों के मौसम में मन जल्दी उदास हो जाता है। ऐसे में सकारात्मक सोच बहुत जरूरी है। पसंदीदा काम करना, परिवार के साथ समय बिताना और हल्का संगीत सुनना मन को प्रसन्न रखता है। जब मन खुश रहता है, तो शरीर भी खुद को ऊर्जावान महसूस करता है।
निष्कर्ष
सर्दियों में सुस्ती आना स्वाभाविक है, लेकिन इसे आदत बना लेना स्वास्थ्य के लिए नुकसानदायक हो सकता है। सही दिनचर्या, संतुलित आहार, हल्का व्यायाम और सकारात्मक सोच से इस समस्या को आसानी से दूर किया जा सकता है। यदि आप मौसम के अनुसार अपनी आदतों में थोड़ा सा बदलाव करेंगे, तो सर्दियों का मौसम भी आपके लिए स्वास्थ्य और ताजगी से भरपूर रहेगा।
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