ब्रह्मोस से बढ़ेगी भारत की ताकत: वायुसेना-नौसेना करेंगी बड़ा ऑर्डर, ऑपरेशन सिंदूर में दिखी शक्ति

नई दिल्ली। भारतीय सेना की मारक क्षमताओं को और अधिक धार देने के लिए स्वदेशी ब्रह्मोस मिसाइल की ताकत को वायुसेना और नौसेना में और गहराई से शामिल किया जा रहा है। रक्षा मंत्रालय द्वारा एक बड़ा ऑर्डर दिए जाने की तैयारी है, जिसके तहत वायुसेना और नौसेना को ब्रह्मोस मिसाइलों की नई खेप सौंपी जाएगी। यह मिसाइल प्रणाली हाल ही में "ऑपरेशन सिंदूर" के दौरान अपनी अभूतपूर्व सटीकता और विध्वंसक क्षमता का परिचय दे चुकी है।


🔴 ऑपरेशन सिंदूर: ब्रह्मोस की मार से कांपा पाकिस्तान

22 अप्रैल को जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकी हमले में 26 निर्दोष पर्यटकों की हत्या के बाद भारत ने निर्णायक जवाब देते हुए 7 मई को "ऑपरेशन सिंदूर" चलाया था। इस अभियान के तहत पाकिस्तान और पीओके में स्थित नौ प्रमुख आतंकी ठिकानों पर सर्जिकल स्ट्राइक जैसी कार्यवाही करते हुए उन्हें ध्वस्त कर दिया गया।

इन हमलों में प्रमुख भूमिका ब्रह्मोस मिसाइलों ने निभाई, जो सटीकता से लक्ष्यों को भेदते हुए आतंक के गढ़ को नेस्तनाबूद कर गई। यह पहली बार था जब भारत ने अंतरराष्ट्रीय मंच पर अपने स्वदेशी हथियारों की विश्वसनीयता और प्रभाव को इस स्तर पर दिखाया।

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🔸 वायुसेना और नौसेना से मिलेगा नया बल

रक्षा मंत्रालय के सूत्रों के अनुसार, एक उच्च स्तरीय बैठक जल्द आयोजित की जाएगी, जिसमें ब्रह्मोस मिसाइलों के लिए एक विशाल खरीद प्रस्ताव को मंजूरी दी जा सकती है। यह प्रस्ताव भारतीय नौसेना के वीर-क्लास युद्धपोतों और वायुसेना के एसयू-30 एमकेआई लड़ाकू विमानों के लिए है, जिनमें इन मिसाइलों की तैनाती की जाएगी।

इससे भारत की हवाई और समुद्री सीमाओं की सुरक्षा पहले से कई गुना अधिक मजबूत होगी।


🌐 क्या है ब्रह्मोस मिसाइल?

ब्रह्मोस एक लंबी दूरी की सुपरसोनिक क्रूज मिसाइल है, जिसे भारत के DRDO और रूस की NPO Mashinostroyeniya ने संयुक्त रूप से विकसित किया है। इसका नाम ब्रह्मपुत्र और मोस्कवा नदियों से मिलाकर रखा गया है।

ब्रह्मोस की प्रमुख विशेषताएं:

  • गति: 2.8 से 3.0 मैक (आवाज की गति से लगभग तीन गुना तेज)
  • मारक दूरी: 290 से 450 किलोमीटर (नई रेंज में 800 किमी तक की क्षमता संभव)
  • लॉन्चिंग प्लेटफॉर्म: ज़मीन, समुद्र, वायु और पनडुब्बी से प्रक्षेपण की क्षमता
  • विनाशक क्षमता: दुश्मन के ठिकानों पर उच्च सटीकता के साथ हमला
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🚀 प्रधानमंत्री ने की ब्रह्मोस की प्रशंसा

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी ऑपरेशन सिंदूर के बाद कहा था,

“दुनिया ने देखा कि भारत में बने हथियार किस हद तक सक्षम हैं। हमारे डिफेंस सिस्टम, ड्रोन, और विशेषकर ब्रह्मोस मिसाइल ने यह दिखा दिया कि आत्मनिर्भर भारत अब केवल एक सपना नहीं, बल्कि एक सशक्त वास्तविकता है।”


⚓ नौसेना और वायुसेना के लिए रणनीतिक बढ़त

ब्रह्मोस की तैनाती से:

  • नौसेना को समुद्र में दूरदराज के शत्रु जहाजों और ठिकानों को सटीकता से नष्ट करने की क्षमता मिलेगी।
  • वायुसेना अपने एसयू-30 एमकेआई फाइटर जेट्स से दुश्मन के ठिकानों पर दूर से ही हमला कर सकेगी, जिससे पायलटों की जान जोखिम में नहीं पड़ेगी।
  • यह मिसाइल परमाणु हथियार ले जाने में सक्षम नहीं है, लेकिन अपनी गति और सटीकता के कारण यह परंपरागत युद्ध में बेहद प्रभावशाली हथियार मानी जाती है।
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🛡️ भविष्य की दिशा: स्वदेशीकरण और आत्मनिर्भरता

ब्रह्मोस मिसाइल का बढ़ता हुआ इस्तेमाल भारत की सैन्य आत्मनिर्भरता का प्रतीक है। इसके अलावा, भारत ब्रह्मोस के निर्यात की दिशा में भी कदम बढ़ा रहा है। फिलीपींस पहले ही इस मिसाइल को खरीदने का समझौता कर चुका है, और कई अन्य देश भी इसमें रुचि दिखा रहे हैं।

ब्रह्मोस मिसाइल न केवल भारत की रक्षा क्षमताओं को सशक्त कर रही है, बल्कि यह "मेक इन इंडिया" और "आत्मनिर्भर भारत" की अवधारणाओं को सैन्य स्तर पर सफल बना रही है। ऑपरेशन सिंदूर जैसे अभियानों में इसकी निर्णायक भूमिका ने भारत को सैन्य रणनीति और तकनीकी श्रेष्ठता के वैश्विक मंच पर मजबूती से स्थापित कर दिया है।

अब जब वायुसेना और नौसेना इसकी नई खेप की तैयारी में हैं, तो यह कहना गलत नहीं होगा कि ब्रह्मोस भारत की नई युद्ध रणनीति की रीढ़ बन रही है।



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