प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने लोकसभा में कांग्रेस पर तीखा हमला बोला और संविधान में किए गए संशोधनों को लेकर पार्टी की आलोचना की। उन्होंने कांग्रेस पर आरोप लगाया कि उसने अपने फायदे के लिए बार-बार संविधान को बदला। प्रधानमंत्री मोदी ने कहा, “कांग्रेस के मुंह पर संविधान संशोधन का खून लग चुका है। उन्होंने 6 दशकों में संविधान को 75 बार बदला है।”
पीएम मोदी का भाषण: मुख्य बातें
- संविधान के साथ छेड़छाड़ का आरोप:
पीएम मोदी ने कहा कि कांग्रेस ने सत्ता में रहते हुए बार-बार संविधान में संशोधन करके अपनी राजनीतिक स्वार्थपूर्ति की। उन्होंने इस पर सवाल उठाते हुए कहा कि संविधान को जनहित के बजाय पार्टी हित के लिए इस्तेमाल किया गया। - जनता के साथ विश्वासघात:
प्रधानमंत्री ने कहा कि जब-जब कांग्रेस को अपनी सत्ता खतरे में दिखाई दी, तब-तब उन्होंने संविधान का सहारा लेकर नियमों में बदलाव किए। - आपातकाल का जिक्र:
पीएम मोदी ने अपने संबोधन में 1975 के आपातकाल का भी उल्लेख किया। उन्होंने कहा कि “आपातकाल के दौरान कांग्रेस ने संविधान को पूरी तरह से कुचलने का प्रयास किया।” - संविधान के मूल सिद्धांतों की रक्षा:
प्रधानमंत्री ने कहा कि उनकी सरकार संविधान के मूल सिद्धांतों की रक्षा के लिए प्रतिबद्ध है और इसे किसी भी प्रकार के राजनीतिक लाभ के लिए नहीं बदलेगी।
कांग्रेस पर अन्य आरोप
प्रधानमंत्री ने कांग्रेस पर देश के विकास को रोकने और संस्थाओं को कमजोर करने का भी आरोप लगाया। उन्होंने कहा कि “कांग्रेस ने हमेशा लोकतांत्रिक मूल्यों को कमजोर किया है और अपने राजनीतिक एजेंडे को आगे बढ़ाने के लिए नियमों में बदलाव किए हैं।”
संसद में बहस का माहौल गरमाया
प्रधानमंत्री मोदी के इन बयानों के बाद लोकसभा में विपक्ष ने जोरदार हंगामा किया। कांग्रेस नेताओं ने पीएम के आरोपों का खंडन करते हुए कहा कि उनके कार्यकाल में संविधान संशोधन देशहित में किए गए थे।
संविधान संशोधन पर आंकड़े
प्रधानमंत्री मोदी के अनुसार, कांग्रेस के 60 सालों के शासन में संविधान में 75 बार संशोधन किए गए, जबकि उनकी सरकार ने संविधान के मूल्यों को बनाए रखने की कोशिश की है।
निष्कर्ष:
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का यह भाषण सत्तारूढ़ दल और विपक्ष के बीच राजनीतिक खींचतान को और बढ़ा सकता है। जहां सरकार संविधान की रक्षा का दावा कर रही है, वहीं कांग्रेस ने इसे तथ्यों को तोड़-मरोड़ कर पेश करने का आरोप लगाया है।