कोर्ट ने कहा—अब लगातार निगरानी और दीर्घकालिक समाधान की जरूरत
नई दिल्ली । दिल्ली और राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र (एनसीआर) में बढ़ते वायु प्रदूषण को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को कड़ा रुख अपनाया। राजधानी में हवा की गुणवत्ता लगातार खराब होने के मुद्दे पर दायर याचिकाओं की सुनवाई करते हुए सर्वोच्च अदालत ने कहा कि यह समस्या अब केवल मौसमी नहीं रही, बल्कि ऐसे हालात बन गए हैं जिन पर निरंतर निगरानी और दीर्घकालिक समाधान की आवश्यकता है। कोर्ट ने इस मामले पर अगली सुनवाई की तारीख 3 दिसंबर तय की है।
“यह स्वास्थ्य आपातकाल जैसी स्थिति” — एमिकस क्यूरी की दलील पर ध्यान
सुनवाई के दौरान वरिष्ठ वकील अपराजिता सिंह, जो इस मामले में कोर्ट की सहयोगी (एमिकस क्यूरी) नियुक्त हैं, ने कहा कि दिल्ली-एनसीआर में प्रदूषण का स्तर इस समय बेहद भयावह है और इसे “स्वास्थ्य आपातकाल” कहा जा सकता है। उन्होंने बताया कि लाखों लोगों के स्वास्थ्य पर इसका गंभीर असर पड़ रहा है, खासकर बच्चों और बुजुर्गों पर।
“न्यायपालिका के पास कोई जादुई छड़ी नहीं” — चीफ जस्टिस
चीफ जस्टिस सूर्यकांत, जस्टिस जॉयमाल्या बागची की पीठ ने कहा “न्यायपालिका के पास ऐसी कोई जादुई छड़ी नहीं है कि हम एक आदेश दें और तुरंत हवा साफ हो जाए। समस्या सब जानते हैं, मुद्दा यह है कि इसका समाधान क्या है। इसके लिए विशेषज्ञों को आगे आना होगा।” अदालत ने केंद्र और दिल्ली-एनसीआर की सरकारों के प्रयासों की समीक्षा की आवश्यकता पर भी जोर दिया और कहा कि अब यह मामला केवल त्योहारों के समय उठाने भर की बात नहीं, बल्कि वर्षभर निगरानी की मांग करता है। “हर क्षेत्र की समस्या अलग, समाधान भी उसी हिसाब से तलाशना होगा” कोर्ट ने कहा कि दिल्ली-एनसीआर में हर इलाके की अपनी अलग स्थितियां हैं, इसलिए एक समान समाधान संभव नहीं। मुख्य न्यायाधीश ने कहा “हमें बताएं कि न्यायालय क्या निर्देश दे सकता है? हर जगह हालात अलग हैं और व्यापक समाधान सरकार व वैज्ञानिक विशेषज्ञ ही दे सकते हैं।”
स्कूलों में खेल गतिविधियों को टालने पर पहले ही दिया था निर्देश
19 नवंबर को सुप्रीम कोर्ट ने वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग को निर्देश दिया था कि नवंबर-दिसंबर में स्कूलों में खुले मैदान वाले खेल आयोजनों को सुरक्षित महीनों तक टालने पर विचार करे, क्योंकि इस दौरान एयर क्वालिटी ‘‘बेहद खराब’’ स्तर तक पहुंच जाती है।
सालभर GRAP लागू करने के सुझाव को कोर्ट ने किया था खारिज
सुप्रीम कोर्ट ने पूरे वर्ष ग्रेडेड रिस्पांस एक्शन प्लान लागू करने के सुझाव को अस्वीकार करते हुए कहा था कि GRAP एक आपातकालीन ढांचा है, जो प्रदूषण बढ़ने पर कुछ गतिविधियों पर प्रतिबंध लगाता है। कोर्ट ने यह स्पष्ट किया कि समस्या का समाधान सिर्फ प्रतिबंधों से नहीं, बल्कि दीर्घकालिक और टिकाऊ उपायों से होगा।
सरकारों से मांगी गई रिपोर्ट, अब होगी नियमित निगरानी
सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र और एनसीआर की राज्य सरकारों से उनकी तैयारियों, नीतिगत कदमों और प्रदूषण नियंत्रण रणनीतियों की विस्तृत रिपोर्ट मांगी है। कोर्ट ने कहा कि हवा की गुणवत्ता लगातार गिर रही है, इसलिए इस मामले की नियमित निगरानी अब अनिवार्य है।
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