भारत में मई 2025 में टेलीफोन उपभोक्ताओं की संख्या में बढ़ोतरी, शहरी और ग्रामीण दोनों क्षेत्रों में दर्ज हुई वृद्धि

नई दिल्ली। भारत में डिजिटल कनेक्टिविटी और संचार सेवाओं का दायरा लगातार बढ़ रहा है। संचार मंत्रालय द्वारा जारी आंकड़ों के अनुसार, मई 2025 में देश में टेलीफोन उपभोक्ताओं की संख्या में उल्लेखनीय वृद्धि दर्ज की गई है। अप्रैल 2025 के मुकाबले मई के अंत तक देश में 3.24 मिलियन यानी लगभग 32.4 लाख नए उपभोक्ता जुड़े हैं, जिससे कुल टेलीफोन उपभोक्ताओं की संख्या 1,207.08 मिलियन (120.71 करोड़) पहुंच गई है।

📈 कुल वृद्धि और मासिक दर

  • अप्रैल 2025 के अंत तक उपभोक्ता: 1,203.84 मिलियन
  • मई 2025 के अंत तक उपभोक्ता: 1,207.08 मिलियन
  • मासिक वृद्धि दर: 0.27%

यह बढ़ोतरी टेली-कनेक्टिविटी के क्षेत्र में भारत की मजबूती को दर्शाती है, जिसमें शहरी और ग्रामीण दोनों क्षेत्रों का अहम योगदान है।

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🏙️ शहरी बनाम ग्रामीण टेलीफोन उपभोक्ता

मई महीने में शहरी और ग्रामीण दोनों क्षेत्रों में उपभोक्ताओं की संख्या में वृद्धि दर्ज की गई:

क्षेत्रअप्रैल 2025मई 2025मासिक वृद्धि
शहरी667.19 मिलियन669.69 मिलियन0.37%
ग्रामीण536.65 मिलियन537.39 मिलियन0.14%

इससे स्पष्ट है कि शहरी क्षेत्रों में वृद्धि की दर ग्रामीण क्षेत्रों की तुलना में अधिक रही है।


📊 टेली-घनत्व में भी वृद्धि

टेली-घनत्व किसी क्षेत्र में प्रति 100 व्यक्तियों पर टेलीफोन कनेक्शन की संख्या को दर्शाता है। मई 2025 में इसमें भी वृद्धि देखी गई:

  • समग्र टेली-घनत्व:
  • अप्रैल 2025: 85.19%
  • मई 2025: 85.36%
  • शहरी टेली-घनत्व:
  • अप्रैल: 131.46%
  • मई: 131.76%
  • ग्रामीण टेली-घनत्व:
  • अप्रैल: 59.26%
  • मई: 59.33%

इससे यह सिद्ध होता है कि देश में टेलीफोन कनेक्टिविटी का दायरा निरंतर विस्तार कर रहा है, खासकर डिजिटल इंडिया के लक्ष्यों को आगे बढ़ाते हुए।

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📍 दिल्ली में सर्वाधिक, बिहार में न्यूनतम दूरसंचार घनत्व

मई 2025 के अंत तक दिल्ली देश का सबसे अधिक टेली-घनत्व वाला सेवा क्षेत्र रहा, जहां प्रति 100 व्यक्ति पर 274.29 कनेक्शन दर्ज किए गए। इसके उलट, बिहार सेवा क्षेत्र में यह आंकड़ा 57.57% रहा, जो देश में सबसे कम है।

इससे क्षेत्रीय असंतुलन की ओर भी इशारा मिलता है, जिसे सुधारने की आवश्यकता है।


🔁 मोबाइल नंबर पोर्टेबिलिटी (एमएनपी) के तहत 14.03 मिलियन उपभोक्ताओं ने ऑपरेटर बदलने की इच्छा जताई

मोबाइल नंबर पोर्टेबिलिटी (MNP) की लोकप्रियता लगातार बनी हुई है। मई 2025 में 14.03 मिलियन (1.4 करोड़) उपभोक्ताओं ने अपने ऑपरेटर को बदलने की मांग दर्ज की।

एमएनपी की सुविधा से उपभोक्ता अपना पुराना नंबर बनाए रखते हुए सर्विस प्रोवाइडर बदल सकते हैं।

  • MNP की शुरुआत:
  • हरियाणा सेवा क्षेत्र में नवंबर 2010
  • बाकी देश में जनवरी 2011
  • अंतर-सेवा क्षेत्र एमएनपी: जुलाई 2015 से लागू

यह सुविधा अब मोबाइल उपभोक्ताओं को अधिक लचीलापन और स्वतंत्रता देती है, जिससे वे बेहतर सेवा प्रदाता का चयन कर पाते हैं।


🔢 शहरी बनाम ग्रामीण हिस्सेदारी

  • शहरी उपभोक्ताओं की हिस्सेदारी: 55.48%
  • ग्रामीण उपभोक्ताओं की हिस्सेदारी: 44.52%

यह विभाजन दर्शाता है कि अब भी शहरी क्षेत्रों में टेलीफोन कनेक्टिविटी ग्रामीण क्षेत्रों की तुलना में आगे है, लेकिन धीरे-धीरे यह अंतर घट रहा है।


भारत की टेली-कम्युनिकेशन सेवाएं लगातार विस्तार की दिशा में हैं। मई 2025 के आंकड़े यह दर्शाते हैं कि देश भर में कनेक्टिविटी बेहतर हो रही है। हालांकि क्षेत्रीय असंतुलन, विशेषकर बिहार जैसे क्षेत्रों में, सरकार की विशेष नीति और निवेश की मांग करता है। मोबाइल नंबर पोर्टेबिलिटी जैसी सुविधाएं उपभोक्ताओं को बेहतर विकल्प देने में सफल हो रही हैं।



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