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February 5, 2025 11:22 PM

इसरो ने स्पेस डॉकिंग एक्सपेरिमेंट 9 जनवरी तक स्थगित किया

"ISRO Space Docking Experiment SPADEx Delayed Until January 9: A Major Milestone for India"

नई दिल्ली। भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) ने 7 जनवरी को निर्धारित दो स्पेस डॉकिंग एक्सपेरिमेंट (स्पैडेक्स) उपग्रहों की डॉकिंग को 9 जनवरी तक के लिए स्थगित कर दिया है। इसरो ने सोमवार को ट्वीट कर इस फैसले की जानकारी दी। ट्वीट में बताया गया कि स्पैडेक्स डॉकिंग प्रक्रिया अब 9 तारीख तक स्थगित कर दी गई है। हालांकि, इसरो ने इस देरी के पीछे के कारणों का खुलासा नहीं किया है। बताया गया है कि डॉकिंग प्रक्रिया को अभी सत्यापन की आवश्यकता है।

स्पैडेक्स: भारत के लिए एक बड़ी उपलब्धि

स्पेस डॉकिंग एक्सपेरिमेंट (स्पैडेक्स) भारत के अंतरिक्ष कार्यक्रम के लिए एक ऐतिहासिक उपलब्धि होगी। अंतरिक्ष यान को सफलतापूर्वक कक्षा में डॉक करना एक अत्यंत चुनौतीपूर्ण कार्य है। अब तक इस उपलब्धि को केवल रूस, अमेरिका और चीन जैसे देशों ने हासिल किया है। यह मिशन न केवल इसरो की बढ़ती विशेषज्ञता को दर्शाता है, बल्कि यह भविष्य की परियोजनाओं के लिए भी आधार तैयार करता है।

डॉकिंग तकनीक भविष्य के अंतरिक्ष मिशनों के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण और जटिल है। इसमें सबसे बड़ी चुनौती यह है कि दोनों उपग्रहों को कक्षा में स्थिर रखना होता है और उन्हें एक-दूसरे से टकराने से बचाना होता है।

इसरो प्रमुख का बयान

इसरो प्रमुख एस. सोमनाथ ने कहा, “अगर भारत को चंद्रयान-4 भेजना है, अंतरिक्ष स्टेशन बनाना है और भविष्य में किसी भारतीय को चंद्रमा पर भेजना है, तो डॉकिंग तकनीक में महारत हासिल करना एक अनिवार्य कदम है।”

सोमनाथ ने आगे बताया कि डॉकिंग और अनडॉकिंग के बाद ये उपग्रह धरती की कक्षा में दो साल तक काम करेंगे। इन उपग्रहों का उद्देश्य विभिन्न वैज्ञानिक और प्रायोगिक कार्यों को अंजाम देना है।

स्पैडेक्स उपग्रहों की विशेषताएं

स्पैडेक्स मिशन के तहत दो उपग्रह लॉन्च किए गए हैं, जिन्हें एसडीएक्स-1 और एसडीएक्स-2 नाम दिया गया है। इनकी मुख्य विशेषताएं इस प्रकार हैं:

  • एसडीएक्स-1: इसमें एक उच्च-रिजॉल्यूशन कैमरा (एचआरसी) है, जो पृथ्वी की उच्च गुणवत्ता वाली तस्वीरें लेगा।
  • एसडीएक्स-2: इसमें दो पेलोड ‘मिनिएचर मल्टीस्पेक्ट्रल’ (एमएमएक्स) और ‘रेडिएशन मॉनिटर’ (रेडमॉन) हैं। ये पेलोड निम्नलिखित कार्य करेंगे:
  • उच्च रिजॉल्यूशन की तस्वीरें लेना।
  • प्राकृतिक संसाधनों की निगरानी करना।
  • वनस्पति अध्ययन और पृथ्वी की पर्यावरणीय स्थितियों का विश्लेषण करना।
  • अंतरिक्ष में विकिरण की माप करना।

भारत के लिए डॉकिंग तकनीक की प्रासंगिकता

डॉकिंग तकनीक भारत के लिए कई संभावित मिशनों का मार्ग प्रशस्त करेगी, जिसमें अंतरिक्ष स्टेशन निर्माण और मानवयुक्त अंतरिक्ष उड़ानें शामिल हैं। यह तकनीक अंतरिक्ष अनुसंधान में भारत की आत्मनिर्भरता को और मजबूत करेगी।

निष्कर्ष

स्पैडेक्स मिशन भारत के अंतरिक्ष अन्वेषण में एक महत्वपूर्ण कदम है। इसकी सफलता भारत को उन देशों की सूची में शामिल करेगी, जिन्होंने अंतरिक्ष में डॉकिंग तकनीक में महारत हासिल की है। इस मिशन की सफलता न केवल तकनीकी दृष्टिकोण से, बल्कि भारत की अंतरराष्ट्रीय पहचान को और मजबूत करने में भी सहायक होगी।

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