प्रधानमंत्री कार्यालय समेत 12 लाख सरकारी कर्मचारियों की ईमेल हुई स्वदेशी प्लेटफॉर्म पर स्थानांतरित
प्रधानमंत्री कार्यालय समेत 12 लाख कर्मचारियों की ईमेल अब स्वदेशी जोहो मेल पर, एमपी ट्रांसको ने शुरू किया अराताई एप
नई दिल्ली।
केंद्र सरकार ने आत्मनिर्भर भारत और डिजिटल संप्रभुता को मजबूती देने की दिशा में ऐतिहासिक कदम उठाया है। प्रधानमंत्री कार्यालय (पीएमओ) सहित लगभग 12 लाख से अधिक सरकारी कर्मचारियों की ईमेल सेवाएं अब नेशनल इंफॉर्मेटिक्स सेंटर (NIC) से हटाकर स्वदेशी प्लेटफॉर्म जोहो मेल (Zoho Mail) पर स्थानांतरित की जा चुकी हैं। यह पहल भारत में विकसित तकनीक को बढ़ावा देने और डेटा सुरक्षा को सर्वोच्च प्राथमिकता देने के उद्देश्य से की गई है।
सरकारी सूत्रों के अनुसार, यह परिवर्तन वर्ष 2023 में हुए एक सात वर्षीय अनुबंध के तहत किया गया था। अब सभी सरकारी कर्मचारियों की ईमेल आईडी का डोमेन (gov.in और nic.in) पूर्ववत रहेगा, किंतु डेटा का होस्टिंग और प्रबंधन जोहो के भारतीय सर्वरों पर किया जाएगा। इस कदम को भारत की डिजिटल आत्मनिर्भरता की दिशा में मील का पत्थर माना जा रहा है।
जोहो बना सरकारी ईमेल का नया ठिकाना
केंद्रीय मंत्रालयों और विभागों में कार्यरत कई वरिष्ठ अधिकारियों और मंत्रियों ने अब जोहो मेल का प्रयोग शुरू कर दिया है। हाल ही में गृह मंत्री अमित शाह ने भी अपने निजी ईमेल खाते को जोहो मेल पर स्थानांतरित करने की जानकारी दी थी। उन्होंने कहा था कि “आने वाले समय में सभी महत्वपूर्ण कार्य और संचार इसी प्लेटफॉर्म से किए जाएंगे।”

सरकारी कर्मचारियों द्वारा पहले उपयोग में लाई जा रही ओपन-सोर्स टूल्स जैसे LibreOffice आदि को अब जोहो ऑफिस सूट से प्रतिस्थापित किया गया है। सरकार ने आदेश जारी कर कहा है कि अब सभी विभाग वर्ड फाइल, प्रेजेंटेशन और स्प्रेडशीट जैसे दस्तावेज तैयार करने के लिए जोहो के स्वदेशी सॉफ्टवेयर का ही उपयोग करें। इससे सरकारी दस्तावेज और सूचनाएं भारत के भीतर ही सुरक्षित रहेंगी।
डेटा सुरक्षा बनी सर्वोच्च प्राथमिकता
शिक्षा मंत्रालय ने 3 अक्टूबर को जारी एक आधिकारिक आदेश में कहा था कि यह कदम भारत को “सेवा आधारित अर्थव्यवस्था से उत्पाद आधारित राष्ट्र” में रूपांतरित करने की दिशा में अहम है। मंत्रालय के अनुसार, यह पहल “डिजिटल संप्रभुता और डेटा सुरक्षा” को और सुदृढ़ बनाएगी।
इससे पहले सरकार ने एनआईसी और सीईआरटी-इन (CERT-IN) जैसी राष्ट्रीय साइबर सुरक्षा एजेंसियों से जोहो की सुरक्षा जांच रिपोर्ट प्राप्त की थी। संतोषजनक रिपोर्ट मिलने के बाद ही जोहो को यह जिम्मेदारी सौंपी गई।
जोहो के संस्थापक श्रीधर वेंबु ने कहा कि उनकी कंपनी भारत की गोपनीयता नीति के अनुसार कार्य करती है। “हम ग्राहक डेटा का व्यावसायिक इस्तेमाल नहीं करते और हर स्तर पर एंड-टू-एंड एन्क्रिप्शन लागू किया गया है, ताकि डेटा की पूर्ण सुरक्षा सुनिश्चित हो सके,” उन्होंने बताया।
वेंबु ने आगे कहा कि जोहो अब वैश्विक स्तर पर भारतीय तकनीक की विश्वसनीयता का प्रतीक बन चुका है और सरकार के इस निर्णय से ‘मेड इन इंडिया’ सॉफ्टवेयर को नई पहचान मिलेगी।

एमपी ट्रांसको में व्हाट्सएप की जगह ‘अराताई’
भोपाल।
मध्यप्रदेश पावर ट्रांसमिशन कंपनी (एमपी ट्रांसको) ने भी स्वदेशी तकनीक को अपनाते हुए बड़ा बदलाव किया है। कंपनी ने विदेशी मैसेजिंग एप व्हाट्सएप की जगह अब जोहो कॉर्प द्वारा विकसित ‘अराताई’ (Arattai) का प्रयोग शुरू किया है।
एमपी ट्रांसको के शहडोल डिवीजन के कार्यपालन अभियंता चंद्रभान कुशवाहा ने बताया कि “अराताई” पूरी तरह भारत में निर्मित, सुरक्षित और विश्वसनीय एप है, जो विभागीय संवाद और फाइल शेयरिंग के लिए एक सशक्त विकल्प साबित होगा।
इस एप में उच्च स्तरीय डेटा सुरक्षा, ग्रुप मैसेजिंग, मल्टी-डिवाइस सपोर्ट और तेज़ फ़ाइल शेयरिंग जैसी आधुनिक सुविधाएं उपलब्ध हैं। खास बात यह है कि इस एप का सारा डेटा भारत के सर्वरों पर ही सुरक्षित रहता है, जिससे संवेदनशील सूचनाओं की सुरक्षा सुनिश्चित होती है।

आत्मनिर्भर भारत की दिशा में सशक्त कदम
विशेषज्ञों का मानना है कि जोहो मेल और अराताई जैसे स्वदेशी सॉफ्टवेयर प्लेटफॉर्म का प्रयोग भारत की डिजिटल स्वतंत्रता और तकनीकी आत्मनिर्भरता को एक नई दिशा देगा। इससे न केवल विदेशी प्लेटफॉर्मों पर निर्भरता कम होगी, बल्कि देश में विकसित आईटी स्टार्टअप्स को भी प्रोत्साहन मिलेगा।
सरकार का यह कदम स्पष्ट संकेत है कि भारत अब केवल तकनीक उपभोक्ता नहीं, बल्कि तकनीक निर्माता देश के रूप में उभर रहा है। इस पहल से देश में विकसित सॉफ्टवेयर कंपनियों को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पहचान मिलने की संभावना और बढ़ गई है।
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