संयुक्त राष्ट्र में जेलेंस्की ने ट्रंप के आरोपों को खारिज किया, कहा भारत हमारे साथ है
नई दिल्ली। संयुक्त राष्ट्र महासभा (UNGA) के 80वें सत्र में यूक्रेन युद्ध को लेकर अमेरिका, यूरोप और एशिया के बीच कूटनीतिक तनाव खुलकर सामने आया। अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने हाल ही में भारत और चीन पर रूस से तेल आयात कर युद्ध को परोक्ष रूप से फंड करने का आरोप लगाया था। लेकिन यूक्रेन के राष्ट्रपति वोलोदिमिर जेलेंस्की ने संयुक्त राष्ट्र मंच से ट्रंप के इन दावों को खारिज करते हुए साफ कहा कि भारत हमारे साथ है और उसे रूस के साथ व्यापार के लिए दोषी ठहराना गलत होगा।
ट्रंप के आरोपों पर जवाब
ट्रंप ने आरोप लगाया था कि रूस से ऊर्जा आयात कर भारत और चीन युद्ध को लंबा खींचने में योगदान दे रहे हैं। लेकिन जेलेंस्की ने स्पष्ट किया कि भारत की स्थिति को गलत तरीके से प्रस्तुत किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि भारत ने ऊर्जा के क्षेत्र में रूस से तेल खरीद को अपनी राष्ट्रीय ऊर्जा सुरक्षा और आर्थिक हितों की आवश्यकता बताया है।
जेलेंस्की ने कहा, “भारत ज्यादातर हमारे पक्ष में है। ऊर्जा के मुद्दे पर कुछ कठिनाइयाँ हैं, लेकिन इन्हें संवाद और सहयोग से सुलझाया जा सकता है।” उनके इस बयान को भारत के लिए एक महत्वपूर्ण समर्थन के रूप में देखा जा रहा है।
यूरोप को दी सलाह
जेलेंस्की ने यूरोपीय देशों को सलाह दी कि वे भारत से दूरी बनाने के बजाय उसके साथ अपने संबंध और मजबूत करें। उन्होंने कहा, “हमें भारतीयों से पीछे नहीं हटना चाहिए। नई दिल्ली के साथ मजबूत रिश्ते बनाना हमारे साझा हित में है।” यह बयान ट्रंप की आलोचना के ठीक उलट था, जो भारत पर रूस के साथ व्यापार करने को लेकर सख्त कार्रवाई की बात कर रहे थे।
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चीन को लेकर कठोर रुख
जेलेंस्की ने अपने भाषण में चीन का भी जिक्र किया। उन्होंने आरोप लगाया कि बीजिंग लंबे समय से रूस को परोक्ष रूप से सहारा दे रहा है। कीव की शिकायत रही है कि चीन ने रूस को ऐसे उपकरण उपलब्ध कराए हैं जिनका इस्तेमाल यूक्रेन के खिलाफ युद्ध में किया जा सकता है। इसके अलावा, चीन रूसी ऊर्जा का बड़ा खरीदार बना हुआ है।
जेलेंस्की ने कहा, “अगर चीन सचमुच इस युद्ध को रोकना चाहता है, तो उसे मॉस्को पर दबाव डालना होगा। रूस अब पूरी तरह से चीन पर निर्भर है। चीन के बिना पुतिन का रूस कुछ भी नहीं है।” उन्होंने कहा कि शांति के नाम पर अक्सर चुप रहने के बजाय चीन को सक्रिय भूमिका निभानी चाहिए।
भारत को अलग-थलग करना बड़ी गलती
जेलेंस्की ने भारत को वैश्विक मंच से अलग-थलग करने की किसी भी कोशिश को गंभीर गलती करार दिया। उन्होंने जोर देकर कहा कि भारत जैसे लोकतांत्रिक और उभरती अर्थव्यवस्था वाले राष्ट्र के साथ यूरोप को मजबूत साझेदारी की जरूरत है। यह संदेश यूरोपियन यूनियन के लिए विशेष महत्व रखता है, क्योंकि हाल के वर्षों में भारत और यूरोप के बीच व्यापारिक और सामरिक रिश्तों में तेजी आई है।
अमेरिका में भी मतभेद
इस पूरे विवाद के बीच अमेरिकी विदेश मंत्री मार्को रुबियो ने माहौल को शांत करने की कोशिश की। उन्होंने कहा कि भारत और अमेरिका के बीच संबंध गहरे और बहुआयामी हैं। रूस-यूक्रेन युद्ध के संदर्भ में मतभेद हो सकते हैं, लेकिन यह रणनीतिक साझेदारी को कमजोर नहीं करेंगे।
भारत की स्थिति
भारत लगातार यह स्पष्ट करता रहा है कि रूस से कच्चा तेल खरीदने का फैसला पूरी तरह उसकी ऊर्जा सुरक्षा और जनता के हित में है। भारत ने अंतरराष्ट्रीय मंचों पर कई बार कहा है कि उसकी प्राथमिकता सस्ती ऊर्जा उपलब्ध कराना है ताकि आम नागरिकों पर बोझ न बढ़े। साथ ही भारत ने यूक्रेन संकट के समाधान के लिए संवाद और कूटनीति पर जोर दिया है।
कूटनीतिक महत्व
जेलेंस्की का यह बयान भारत के लिए कूटनीतिक दृष्टि से बड़ी राहत है। जहां एक ओर ट्रंप जैसे नेता भारत को कटघरे में खड़ा कर रहे थे, वहीं यूक्रेन का आधिकारिक पक्ष भारत के समर्थन में सामने आया है। यह संदेश यूरोप और पश्चिमी देशों के लिए भी महत्वपूर्ण है, जो यूक्रेन संकट में भारत की भूमिका को लेकर विभाजित नजर आते हैं।
संयुक्त राष्ट्र महासभा के मंच से आई यह टिप्पणी न केवल भारत की वैश्विक स्थिति को मजबूती देती है, बल्कि यह भी दर्शाती है कि यूक्रेन भारत को एक महत्वपूर्ण रणनीतिक साझेदार मानता है। आने वाले समय में यह कूटनीतिक घटनाक्रम भारत-यूरोप संबंधों को और गहरा कर सकता है।
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