यमन नौका हादसे में 142 प्रवासियों की मौत, केवल 12 को बचाया जा सका
सना। यमन के तट पर रविवार को एक भयावह नौका हादसे में 142 प्रवासियों की जान चली गई, जबकि केवल 12 यात्रियों को ही जिंदा बचाया जा सका। यह सभी प्रवासी इथियोपिया के नागरिक थे, जो बेहतर भविष्य और रोजगार की तलाश में खतरनाक समुद्री रास्तों से होकर अमीर खाड़ी देशों की ओर जा रहे थे।
यह त्रासदी अदन की खाड़ी में घटी, जहां नाव के डूबने से सैकड़ों जिंदगियां समंदर में समा गईं। संयुक्त राष्ट्र अंतर्राष्ट्रीय प्रवासन संगठन (IOM) के यमन प्रमुख अब्दुसत्तोर एसोव ने इस हादसे की पुष्टि करते हुए बताया कि अब तक 68 शव बरामद किए जा चुके हैं। शेष यात्रियों को मृत मान लिया गया है।

खानफा तट बना प्रवासियों की कब्र
स्थानीय प्रशासन और सुरक्षा बलों के अनुसार, अधिकतर शव पश्चिमी यमन के खानफा तट पर पाए गए हैं। अबयान सुरक्षा निदेशालय की ओर से बड़े स्तर पर खोज और बचाव अभियान चलाया जा रहा है। अधिकारियों का कहना है कि अभी कई शव समुद्र में ही हो सकते हैं, जिन्हें निकालने की कोशिश जारी है।

हर साल दोहराई जाती है ये त्रासदी
संयुक्त प्रवासन केंद्र की रिपोर्ट के अनुसार, हर साल हजारों प्रवासी, जिनमें ज्यादातर इथियोपियाई नागरिक होते हैं, अफ्रीका के हॉर्न से यमन होते हुए खाड़ी देशों की ओर यात्रा करते हैं। यह रास्ता भले ही कम दूरी का हो, लेकिन इसे दुनिया के सबसे खतरनाक प्रवासी मार्गों में गिना जाता है।
इस मार्ग में ना तो पर्याप्त सुरक्षा होती है, ना ही यात्रियों को कोई कानूनी या मानवीय सहायता उपलब्ध होती है। समुद्र की तेज लहरें, पुरानी नावें, ओवरलोडिंग और मानव तस्करी के खतरनाक नेटवर्क – इन सबके बीच फंसे ये प्रवासी नरक से भी बदतर हालात में अपनी किस्मत आजमाते हैं।

अफ्रीकी देशों के नागरिक अपना सब कुछ दांव पर लगाकर खतरनाक रास्तों से पलायन करते हैं। लेकिन गंतव्य तक पहुंचने से पहले ही कई लोग समंदर की लहरों में समा जाते हैं।
अंतरराष्ट्रीय स्तर पर गूंजे हादसे के सुर
संयुक्त राष्ट्र और मानवाधिकार संगठनों ने इस हादसे पर गहरा शोक जताया है और अंतरराष्ट्रीय समुदाय से अपील की है कि प्रवासी सुरक्षा को लेकर ठोस और मानवीय नीति बनाई जाए। साथ ही मानव तस्करी रैकेट के खिलाफ सख्त कार्रवाई की मांग भी तेज हो गई है।
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