नई दिल्ली। उत्तर भारत के पहाड़ी राज्यों हिमाचल प्रदेश और उत्तराखंड में हो रही मूसलधार बारिश का असर अब राजधानी दिल्ली पर साफ दिखाई देने लगा है। यमुना नदी का जलस्तर तेजी से बढ़ रहा है और यह गुरुवार को चेतावनी स्तर 204.5 मीटर को पार कर गया। इस स्थिति ने प्रशासन और जनता—दोनों की चिंता बढ़ा दी है। आपदा प्रबंधन से लेकर नगर निगम और जल बोर्ड तक सभी विभाग 24 घंटे सतर्कता बरत रहे हैं।
हथनी कुंड बैराज से छोड़े जा रहे पानी में रिकॉर्ड बढ़ोतरी
हरियाणा के यमुनानगर स्थित हथनी कुंड बैराज से छोड़े जा रहे पानी की मात्रा में बीते दो दिनों से जबरदस्त इजाफा हुआ है। जहां कुछ दिन पहले तक प्रतिघंटा 20,000 क्यूसेक या उससे कम पानी छोड़ा जा रहा था, वहीं अब यह आंकड़ा बुधवार को सुबह चार बजे 56,491 क्यूसेक और सुबह छह बजे 61,729 क्यूसेक तक पहुंच गया। यह इस मानसून का अब तक का सबसे अधिक प्रवाह है। विशेषज्ञों का मानना है कि यदि यह सिलसिला जारी रहा तो निचले इलाकों में जलभराव और बाढ़ की स्थिति बन सकती है। 21 जुलाई को 54,000 क्यूसेक पानी छोड़ा गया था, जो तब तक का अधिकतम था, लेकिन अब यह रिकॉर्ड भी टूट चुका है।
लोहा पुल के पास यमुना सबसे ऊंचे स्तर पर पहुंची
गुरुवार को लोहा पुल के पास यमुना का जलस्तर 204.5 मीटर से ऊपर पहुंच गया, जो इस मानसून सत्र का सबसे ऊंचा स्तर है। बुधवार शाम 6 बजे जलस्तर 204.15 मीटर दर्ज किया गया था। इसके पहले 3 अगस्त को जलस्तर 204.14 मीटर और 23 जुलाई को 204.13 मीटर रहा था। लगातार बढ़ते जलस्तर से नदी किनारे बसे बस्तियों में दहशत का माहौल है।
सेनड्राप की चेतावनी: आगे और बढ़ सकता है जलस्तर
साउथ एशिया नेटवर्क ऑन डैम्स, रिवर्स एंड पीपल्स (SANDRP) के प्रमुख भीम सिंह रावत ने कहा कि हथनी कुंड बैराज से छोड़े जा रहे पानी में तेजी से बढ़ोतरी हो रही है, जिसके कारण यमुना का जलस्तर और अधिक बढ़ सकता है। उन्होंने चेतावनी दी कि यदि वर्षा का सिलसिला जारी रहा और पानी छोड़ना बंद नहीं हुआ तो बाढ़ जैसे हालात भी उत्पन्न हो सकते हैं।
24 घंटे निगरानी में जुटा प्रशासन, बनाए गए 16 नियंत्रण केंद्र
स्थिति की गंभीरता को देखते हुए दिल्ली प्रशासन ने 24 घंटे सक्रिय रहने वाला एक मुख्य नियंत्रण केंद्र स्थापित किया है। इसके अतिरिक्त 15 अन्य निगरानी केंद्र भी बनाए गए हैं जो यमुना के जलस्तर और संभावित जलभराव क्षेत्रों पर लगातार नजर बनाए हुए हैं। आपदा प्रबंधन विभाग, सिंचाई विभाग और नगर निगम के अधिकारी सभी निचले इलाकों की पहचान कर वहां संभावित खतरे से निपटने की रणनीति तैयार कर रहे हैं।
निचले इलाकों में अलर्ट, संभावित विस्थापन की तैयारी
यमुना किनारे बसे यमुना बाजार, मजनूं का टीला, उस्मानपुर, निगम बोध घाट और कुदसिया घाट जैसे इलाकों में बाढ़ की चेतावनी दी गई है। यहां रहने वाले लोगों को सतर्क रहने और आवश्यक स्थिति में सुरक्षित स्थानों पर जाने को कहा गया है। राहत शिविरों की भी तैयारी की जा रही है ताकि समय पर प्रभावित लोगों को वहां पहुंचाया जा सके।
निगरानी और समन्वय ही है एकमात्र उपाय
प्रशासनिक अधिकारियों का कहना है कि वर्तमान स्थिति पूरी तरह निगरानी और पानी की मात्रा पर निर्भर है। मौसम विभाग और सिंचाई विभाग से निरंतर जानकारी ली जा रही है। दिल्ली सरकार के संबंधित विभाग इस आपदा की आशंका को कम करने और समय रहते राहत पहुंचाने की हरसंभव कोशिश कर रहे हैं।