नई दिल्ली।
देश में महंगाई के मोर्चे पर सरकार को राहत देने वाली खबर सामने आई है। अप्रैल 2025 में थोक मूल्य आधारित मुद्रास्फीति (WPI) घटकर सिर्फ 0.85 प्रतिशत रह गई, जबकि मार्च में यह आंकड़ा 2.05 प्रतिशत था। इस गिरावट का प्रमुख कारण खाने-पीने की चीजों, ईंधन और बने हुए उत्पादों की कीमतों में कमी माना जा रहा है।
उद्योग एवं आंतरिक व्यापार संवर्धन विभाग (DPIIT) द्वारा बुधवार को जारी आंकड़ों के मुताबिक, पिछले वर्ष अप्रैल में थोक महंगाई दर 1.19 फीसदी रही थी। हालांकि, इस वर्ष के अप्रैल में भी महंगाई की दर सकारात्मक रही है, लेकिन इसमें उल्लेखनीय गिरावट देखी गई है।
📉 किन कारणों से घटी महंगाई?
विभाग के अनुसार, खाद्य पदार्थों में अप्रैल 2025 में 0.86 प्रतिशत की गिरावट दर्ज की गई, जबकि मार्च में यह दर 1.57 प्रतिशत थी। सब्जियों की कीमतों में तेज गिरावट इसका बड़ा कारण रही। इसके अलावा, ईंधन, रसायन उत्पाद, परिवहन उपकरण और मशीनरी की कीमतों में भी नरमी देखने को मिली।
हालांकि मंत्रालय ने यह भी स्पष्ट किया कि महंगाई की सकारात्मक दर कुछ अन्य क्षेत्रों में कीमतों में इज़ाफ़ा होने की वजह से बनी रही, जैसे खाद्य प्रसंस्कृत उत्पाद, रसायन और मशीनरी निर्माण।

📊 पिछले कुछ महीनों की तुलना में बड़ी राहत
महीना | थोक महंगाई दर |
---|---|
अप्रैल 2024 | 1.19% |
मार्च 2025 | 2.05% |
अप्रैल 2025 | 0.85% |
इस तुलना से साफ है कि अप्रैल 2025 में महंगाई की दर में गिरावट तेज़ी से आई है। यह संकेत है कि आपूर्ति श्रृंखला बेहतर हो रही है और कुछ आवश्यक वस्तुओं की कीमतों पर नियंत्रण शुरू हो चुका है।
🌾 उपभोक्ताओं के लिए क्या है मतलब?
थोक महंगाई दर घटने से यह उम्मीद की जा रही है कि इसका असर धीरे-धीरे खुदरा महंगाई (CPI) पर भी पड़ेगा, जिससे आम उपभोक्ताओं को राहत मिल सकती है। विशेषकर खाद्य वस्तुओं जैसे सब्जी, फल, दाल आदि की कीमतें यदि नियंत्रित रहती हैं, तो इससे घर का बजट संतुलित रहने में मदद मिलेगी।
सरकार द्वारा महंगाई नियंत्रण के प्रयास और वैश्विक आपूर्ति की स्थिरता के चलते थोक महंगाई दर में कमी एक सकारात्मक संकेत है। यदि यह ट्रेंड जारी रहा, तो आने वाले महीनों में खुदरा महंगाई भी काबू में आ सकती है, जिससे आम जनता को वास्तविक राहत मिलेगी।
स्वदेश ज्योति के द्वारा
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