🍛 पोहा: वो नाश्ता, जो सुबह का सुकून बन गया
भारत की विविध व्यंजन परंपराओं में पोहा एक ऐसा नाम है, जो लगभग हर घर में किसी न किसी रूप में शामिल है। लेकिन 7 जून को ‘वर्ल्ड पोहा डे’ मनाने के पीछे एक खास वजह है—यह सिर्फ एक व्यंजन नहीं, बल्कि एक सांस्कृतिक भाव है जो स्वाद, सरलता और अपनापन तीनों को समेटे हुए है।
📍 महाराष्ट्र: जहां से पोहा ने जन्म लिया
पोहा की ऐतिहासिक शुरुआत महाराष्ट्र से मानी जाती है। यहां इसे पारंपरिक रूप से ‘कांदा पोहा’ कहा जाता है—जहां कांदा यानी प्याज, सरसों, करी पत्ता, हरी मिर्च, नींबू और कभी-कभी ताजा नारियल से इसे सजाया जाता है। यह हल्का, सुपाच्य और बेहद स्वादिष्ट व्यंजन महाराष्ट्र में हर सुबह की शुरुआत का हिस्सा रहा है।
- महाराष्ट्र में “पोहा देखने आना” जैसी सामाजिक कहावतें भी हैं, जहां यह व्यंजन पारंपरिक रिश्ता देखने की रस्म का हिस्सा होता है।
- कांदा पोहा पुणे, मुंबई और नागपुर जैसे शहरों में वर्षों से लोकप्रिय रहा है और आज भी यहां का आम ब्रेकफास्ट है।

❤️ मध्यप्रदेश: जहां पोहा को दिल से अपनाया गया
अगर महाराष्ट्र ने पोहा को जन्म दिया, तो मध्यप्रदेश ने उसे संवारा और नया स्वरूप दिया। खासतौर पर इंदौर, जहां पोहा केवल नाश्ता नहीं बल्कि एक संस्कृति बन चुका है।
- यहां सेव पोहा सबसे लोकप्रिय है—जिसमें पोहे पर क्रंची सेव, नींबू, हरा धनिया और मसाले डाले जाते हैं।
- पोहा-जलेबी की जोड़ी इंदौर का ट्रेडमार्क बन चुकी है। लोग सुबह-सुबह गर्म जलेबी और ठंडा-स्वादिष्ट पोहा खाने के लिए लाइन लगाते हैं।
- यहां तक कि बटर पोहा, भुट्टा पोहा, पनीर पोहा जैसे नए प्रयोग भी मध्यप्रदेश ने किए हैं।
📊 क्यों है पोहा इतना खास?
- स्वास्थ्यवर्धक: पोहा लो कैलोरी, ग्लूटन फ्री और आयरन से भरपूर होता है।
- तेज़ बनता है: मात्र 10-15 मिनट में तैयार हो जाता है।
- पचाने में आसान: बच्चों से बुज़ुर्गों तक, सभी के लिए उपयुक्त।
- सस्ता और सुलभ: आम भारतीय परिवार के बजट में फिट बैठने वाला भोजन।
🌍 वर्ल्ड पोहा डे का मकसद
हर साल 7 जून को वर्ल्ड पोहा डे मनाने का उद्देश्य है—भारत के इस पारंपरिक व्यंजन को वैश्विक मंच पर पहचान दिलाना और इसके सांस्कृतिक महत्व को रेखांकित करना। सोशल मीडिया पर #WorldPohaDay के साथ लोग अपनी पोहा प्लेट्स साझा करते हैं।
पोहा केवल एक व्यंजन नहीं, महाराष्ट्र की विरासत और मध्यप्रदेश की आत्मा है। ये दोनों राज्यों का सांस्कृतिक मिलन इस साधारण-से दिखने वाले नाश्ते को असाधारण बना देता है। वर्ल्ड पोहा डे 2025 पर आइए, हम सब मिलकर इस भारतीय नाश्ते को अंतरराष्ट्रीय पहचान दिलाएं।

🌾 एक कटोरी पोहा में बसी है पूरे मध्यप्रदेश की आत्मा
हर साल 7 जून को वर्ल्ड पोहा डे मनाया जाता है और 2025 में भी यह दिन स्वाद, परंपरा और आत्मीयता से भरा हुआ है। ‘पोहा’, यानी चूड़े से बना हल्का-फुल्का नाश्ता, भारत के कई राज्यों में खाया जाता है, लेकिन इसकी असली पहचान बनी मध्यप्रदेश में—खासकर इंदौर, भोपाल, उज्जैन और जबलपुर जैसे शहरों में।
📍 कहां से आया पोहा और कैसे बना MP का स्ट्रीट स्टार?
पोहा की उत्पत्ति तो महाराष्ट्र से मानी जाती है, लेकिन इसे मध्यप्रदेश ने अपनी आत्मा में इस तरह बसाया कि आज यह राज्य की सांस्कृतिक पहचान बन चुका है। इंदौर के चौराहों, भोपाल के नुक्कड़ों और उज्जैन के मंदिर मार्गों पर सुबह के समय गरम पोहा की खुशबू एक आम बात है।
इंदौर को तो ‘पोहा-जलेबी की राजधानी’ कहा जाए तो अतिशयोक्ति नहीं होगी। यहां आपको सुबह 6 बजे से लेकर रात 11 बजे तक भी पोहा मिलता है। इंदौर के 56 दुकानों की गलियों में पोहा एक स्थायी स्टार है।

💬 पोहा का सोशल और सांस्कृतिक महत्व
- सामूहिकता का प्रतीक: पोहा को अक्सर चाय के साथ बैठकर दोस्तों और परिवार के साथ खाया जाता है। यह सिर्फ पेट भरने का नहीं, दिल जोड़ने का जरिया है।
- सस्ता, स्वादिष्ट और सुपाच्य: स्टूडेंट्स, मजदूरों से लेकर ऑफिस जाने वाले कर्मचारियों तक, पोहा सभी का पसंदीदा नाश्ता है।
- विविधता में एकता: हर शहर का पोहा थोड़ा अलग है—कहीं मिर्च कम, कहीं सेव खास, कहीं नींबू ज़रूरी, तो कहीं भुनी मूंगफली का दबदबा।
🛍️ इंदौरी पोहा क्यों बना सबसे फेमस?
- खास मसाला और सेव की टॉपिंग: इंदौर में पोहा पर सेव, अनारदाना, हरी चटनी और नींबू की ऐसी टॉपिंग होती है, जो इसे बाकियों से अलग बनाती है।
- बटर वाला पोहा: कुछ दुकानों पर बटर में बने पोहे भी मिलते हैं जो इसे और भी स्वादिष्ट बनाते हैं।
- नाश्ते का स्टाइल: यहां लोग पोहा को सिर्फ खाने के लिए नहीं, ‘जीने’ के लिए खाते हैं—सड़क किनारे ठेले पर खड़े होकर, चाय की चुस्कियों के साथ।
📸 इंस्टा फूड से लेकर स्ट्रीट किंग तक
वर्ल्ड पोहा डे के अवसर पर सोशल मीडिया पर #WorldPohaDay ट्रेंड करने लगा है। फूड ब्लॉगर से लेकर आम लोग अपनी-अपनी प्लेट की तस्वीरें शेयर कर रहे हैं। इंदौर, भोपाल और जबलपुर की फेमस दुकानों पर विशेष सजावट और छूट के साथ इस दिन को मनाया जा रहा है।

🌍 विदेशों में भी बन गया है देसी राजदूत
अब पोहा सिर्फ भारत तक सीमित नहीं रहा। अमेरिका, यूके, ऑस्ट्रेलिया और खाड़ी देशों में रहने वाले भारतीयों ने इसे अपनी संस्कृति के रूप में दुनिया तक पहुंचाया है। हेल्दी ब्रेकफास्ट के रूप में पोहा अब ग्लोबल पहचान बना चुका है।
📅 वर्ल्ड पोहा डे क्यों जरूरी है?
इस दिन को मनाने का उद्देश्य सिर्फ एक व्यंजन का उत्सव नहीं है, बल्कि यह स्थानीय स्वाद, विरासत और सामूहिकता की भावना को सेलिब्रेट करने का जरिया है। यह बताता है कि साधारण चीजों में भी असाधारण मिठास हो सकती है।
✨ पोहा है, तो अपनापन है
चाहे इंदौर की तंग गलियों में खाया जाए या किसी मल्टीनेशनल ऑफिस की कैंटीन में—पोहा हर जगह एक ही एहसास लाता है—घर जैसा अपनापन। वर्ल्ड पोहा डे पर इस स्वाद की कदर करना सिर्फ जरूरी नहीं, जरूरी भी है!
स्वदेश ज्योति के द्वारा और भी दिलचस्प खबरें आपके लिए… सिर्फ़ स्वदेश ज्योति पर!