विश्व खाद्य भारत शिखर सम्मेलन 2025: पहले दो दिनों में 1 लाख करोड़ रुपये के निवेश समझौते

नई दिल्ली, 27 सितंबर। भारत के खाद्य प्रसंस्करण क्षेत्र को एक बड़ी उपलब्धि हासिल हुई है। खाद्य प्रसंस्करण उद्योग मंत्रालय द्वारा आयोजित विश्व खाद्य भारत 2025 शिखर सम्मेलन में पहले दो दिनों के दौरान ही 1 लाख करोड़ रुपये से अधिक के निवेश समझौता ज्ञापनों (एमओयू) पर हस्ताक्षर हो चुके हैं। यह आंकड़ा न केवल भारतीय खाद्य उद्योग की बढ़ती ताकत को दर्शाता है, बल्कि यह भी साबित करता है कि भारत वैश्विक निवेशकों के लिए एक बड़े आकर्षण का केंद्र बनता जा रहा है।


25 से अधिक ज्ञान सत्र, 21 कंपनियों से 25 हजार करोड़ का निवेश

कार्यक्रम का आयोजन राजधानी दिल्ली स्थित भारत मंडपम में किया गया, जहां दुनियाभर से निवेशक, उद्योग जगत के प्रतिनिधि और नीति निर्माता जुटे। पहले दो दिनों में 25 से अधिक ज्ञान सत्र आयोजित किए गए, जिनमें स्थिरता, प्रौद्योगिकी, निवेश अवसर और अंतरराष्ट्रीय साझेदारियां मुख्य विषय रहे।
खास बात यह रही कि सिर्फ शुक्रवार को ही 21 कंपनियों ने 25 हजार करोड़ रुपये से अधिक मूल्य के एमओयू पर हस्ताक्षर किए। इससे खाद्य प्रसंस्करण उद्योग में न केवल पूंजी प्रवाह बढ़ेगा, बल्कि रोजगार और तकनीकी नवाचार को भी बढ़ावा मिलेगा।

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भारत बनेगा "भविष्य की वैश्विक खाद्य टोकरी"

सरकार का उद्देश्य इस शिखर सम्मेलन के जरिए भारत को "फ्यूचर ग्लोबल फूड बास्केट" के रूप में स्थापित करना है। कृषि उत्पादन, प्रसंस्करण और निर्यात क्षमता को देखते हुए भारत में यह क्षमता मौजूद है कि वह आने वाले वर्षों में विश्व खाद्य आपूर्ति श्रृंखला का प्रमुख केंद्र बने।


साझेदार राज्यों और अंतरराष्ट्रीय भागीदारी

कार्यक्रम के दूसरे दिन कई राज्यों और देशों ने सक्रिय भागीदारी की।

  • उत्तर प्रदेश, गुजरात, पंजाब, झारखंड और बिहार जैसे राज्य इस आयोजन में साझेदार और फोकस स्टेट के रूप में शामिल हुए।
  • अंतरराष्ट्रीय स्तर पर न्यूज़ीलैंड, वियतनाम, जापान और रूस जैसे देशों ने निवेश और सहयोग पर जोर दिया।

इसके अलावा, कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय, आयुष मंत्रालय, एपीडा और विश्व बैंक ने भी चर्चाओं का नेतृत्व किया। इन सत्रों में कृषि उत्पादों के मूल्यवर्धन, जैविक खेती, आयुष उत्पादों के निर्यात और वित्तीय सहयोग पर विशेष ध्यान दिया गया।


समानांतर चल रहे वैश्विक आयोजन

विश्व खाद्य भारत 2025 शिखर सम्मेलन के साथ-साथ दो बड़े वैश्विक आयोजन भी हुए।

  1. एफएसएसएआई का तीसरा वैश्विक खाद्य नियामक शिखर सम्मेलन – इसका उद्देश्य खाद्य सुरक्षा मानकों में सामंजस्य स्थापित करना और वैश्विक स्तर पर नियामक सहयोग को बढ़ाना था।
  2. 24वां भारत अंतरराष्ट्रीय समुद्री खाद्य शो (IISS) – इसे भारतीय समुद्री खाद्य निर्यातक संघ ने आयोजित किया। इसमें भारत की समुद्री खाद्य निर्यात क्षमता और वैश्विक बाजार में उसकी संभावनाओं को प्रदर्शित किया गया।

अंतरराष्ट्रीय सहयोग और निवेश पर चर्चा

भारत ने इस मंच का उपयोग अंतरराष्ट्रीय साझेदारियों को मजबूत करने के लिए भी किया। रूस और पुर्तगाल के साथ सरकार-दर-सरकार बैठकों का आयोजन हुआ, जिसमें कृषि और खाद्य प्रसंस्करण क्षेत्र में सहयोग बढ़ाने पर सहमति बनी। ये चर्चाएं भारत की खाद्य आपूर्ति प्रणाली को और मजबूत बनाने की दिशा में अहम साबित होंगी।


खाद्य प्रसंस्करण मंत्रालय का दृष्टिकोण

खाद्य प्रसंस्करण उद्योग मंत्रालय ने अपने बयान में कहा कि भारत "फूड सिक्योरिटी से न्यूट्रिशन सिक्योरिटी" यानी खाद्य सुरक्षा से पोषण सुरक्षा की ओर बढ़ रहा है। इसके लिए निवेश, नवाचार और स्थायी तकनीकों पर विशेष जोर दिया जा रहा है। मंत्रालय ने उद्योग जगत के हितधारकों से अपील की कि वे इस क्षेत्र में निवेश को और बढ़ाएं और भारत की खाद्य प्रणाली को मजबूत करने में साझेदार बनें।


रोजगार और किसानों को लाभ

विशेषज्ञों का मानना है कि इस शिखर सम्मेलन से हुए निवेश से ग्रामीण अर्थव्यवस्था को सीधा फायदा मिलेगा। खाद्य प्रसंस्करण इकाइयों के बढ़ने से किसानों को अपने उत्पादों का उचित मूल्य मिलेगा। साथ ही, लाखों नए रोजगार सृजित होने की संभावना है।


वैश्विक निवेशकों की नजर भारत पर

वैश्विक निवेशक भारत को एक स्थिर और उभरते बाजार के रूप में देख रहे हैं। यहां का विशाल उपभोक्ता आधार, बढ़ती मध्यमवर्गीय आबादी और सरकारी नीतियों का समर्थन विदेशी कंपनियों को आकर्षित कर रहा है। यही वजह है कि पहले ही दो दिनों में 1 लाख करोड़ रुपये के निवेश समझौते संभव हो पाए।