- कोल्ड्रिफ, रेस्पिफ्रेश टीआर और रीलाइफ सिरप में घातक रसायन की पुष्टि, श्रीसन फार्मा का लाइसेंस रद्द
नई दिल्ली। विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) ने भारत में निर्मित तीन कफ सिरप को लेकर गंभीर चेतावनी जारी की है। संगठन ने कहा है कि इन सिरपों में मिलावट और घातक रसायनों की मौजूदगी पाई गई है, जो मानव जीवन के लिए खतरनाक हैं। इनमें प्रमुख रूप से शामिल हैं — श्रीसन फार्मास्यूटिकल की कोल्ड्रिफ, रेडनेक्स फार्मास्यूटिकल्स की रेस्पिफ्रेश टीआर और शेप फार्मा की रीलाइफ।
डब्ल्यूएचओ ने स्पष्ट किया है कि ये तीनों दवाएं गंभीर विषाक्त प्रभाव डाल सकती हैं और इनसे बच्चों तथा बुजुर्गों की जान को सीधा खतरा है। संगठन ने सभी देशों से अपील की है कि यदि इन दवाओं की खेप उनके यहां उपलब्ध हो, तो तुरंत इसकी सूचना डब्ल्यूएचओ को दें।
कोल्ड्रिफ सिरप से मध्य प्रदेश में 25 बच्चों की मौत
इन दवाओं में सबसे ज्यादा विवादास्पद कोल्ड्रिफ कफ सिरप है, जो तमिलनाडु की श्रीसन फार्मास्यूटिकल कंपनी द्वारा निर्मित किया जा रहा था। इस सिरप के सेवन से मध्य प्रदेश में सितंबर से अब तक 5 साल से कम उम्र के 25 बच्चों की मौत हो चुकी है।
जांच रिपोर्ट में सामने आया कि कोल्ड्रिफ सिरप में डाइएथिलीन ग्लाइकॉल (Diethylene Glycol) नामक जहरीला रसायन निर्धारित सीमा से लगभग 500 गुना अधिक मात्रा में मौजूद था। यह रसायन शरीर में गुर्दे और यकृत को गंभीर रूप से क्षतिग्रस्त करता है और अंततः मृत्यु का कारण बनता है।
डब्ल्यूएचओ की भारत से पूछताछ
डब्ल्यूएचओ ने 9 अक्टूबर को भारत सरकार से यह स्पष्ट करने के लिए कहा था कि क्या इन सिरपों का निर्यात विदेशी देशों में भी हुआ है। संगठन को आशंका थी कि ये दवाएं अंतरराष्ट्रीय बाजारों में भी पहुंच चुकी हैं।
इसके जवाब में भारत की सेंट्रल ड्रग्स स्टैंडर्ड कंट्रोल ऑर्गनाइजेशन (सीडीएससीओ) ने कहा कि अभी तक किसी भी अवैध निर्यात या विदेशी वितरण का सबूत नहीं मिला है। संगठन ने बताया कि मिलावटी सिरप केवल देश के अंदर ही वितरित किए गए थे।
श्रीसन फार्मा का लाइसेंस रद्द, कंपनी पर ताला
तमिलनाडु के कांचीपुरम स्थित श्रीसन फार्मास्यूटिकल कंपनी पर राज्य सरकार ने सख्त कार्रवाई की है। तमिलनाडु ड्रग्स कंट्रोल विभाग ने सोमवार को कंपनी का लाइसेंस रद्द कर दिया और आदेश जारी किया कि कंपनी को स्थायी रूप से बंद किया जाए।
जांच में यह भी पाया गया कि कंपनी ने उत्पादन के दौरान गुणवत्ता परीक्षण के मानकों का पालन नहीं किया और असुरक्षित रासायनिक पदार्थों का उपयोग किया था।
कंपनी के मालिक रंगनाथन गोविंदन गिरफ्तार
कोल्ड्रिफ सिरप मामले में कंपनी के मालिक रंगनाथन गोविंदन (75 वर्ष) को 9 अक्टूबर को चेन्नई के कोडम्बक्कम स्थित उसके अपार्टमेंट से गिरफ्तार किया गया।
उसे मध्य प्रदेश पुलिस की स्पेशल इन्वेस्टिगेशन टीम (SIT) ने पकड़ा था। फिलहाल वह 10 दिन की पुलिस रिमांड (20 अक्टूबर तक) पर है।
स्रोतों के अनुसार, जांच में यह भी खुलासा हुआ है कि गोविंदन ने सस्ते कच्चे रसायन खरीदकर उनका उपयोग बच्चों की दवाओं में किया, जिससे उनकी जान गई। टीम अब यह जांच कर रही है कि कंपनी की सप्लाई चेन किन राज्यों तक फैली थी और क्या अन्य दवा वितरक भी इस नेटवर्क से जुड़े थे।
पहले भी भारत की दवाओं पर उठ चुके हैं सवाल
यह पहली बार नहीं है जब डब्ल्यूएचओ ने भारत निर्मित दवाओं पर सवाल उठाया हो। इससे पहले गाम्बिया, उज्बेकिस्तान और कैमरून में भी भारतीय दवा कंपनियों के बने सिरपों से बच्चों की मौत के मामले सामने आए थे।
इन घटनाओं के बाद अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भारत की फार्मा इंडस्ट्री की साख पर भी प्रश्नचिह्न लग चुका है।
सरकार ने बढ़ाई निगरानी
भारत सरकार ने इस पूरे मामले के बाद देशभर में दवा निर्माण इकाइयों की सख्त जांच शुरू कर दी है। सीडीएससीओ और राज्य ड्रग्स कंट्रोल विभागों को निर्देश दिया गया है कि वे सिरप, एंटीबायोटिक और बच्चों की दवाओं की रैंडम सैंपलिंग करें और रिपोर्ट सार्वजनिक करें।
स्वास्थ्य मंत्रालय ने कहा कि “भारत की फार्मा इंडस्ट्री विश्व की सबसे बड़ी है, लेकिन किसी भी प्रकार की लापरवाही या मानव जीवन को खतरे में डालने वाले उत्पादों को बर्दाश्त नहीं किया जाएगा।”
डब्ल्यूएचओ की चेतावनी को लेकर सतर्कता बढ़ी
डब्ल्यूएचओ की चेतावनी के बाद अब देश के कई राज्यों ने मिलावटी सिरपों की जांच तेज कर दी है। दुकानों, डिपो और मेडिकल डिस्ट्रीब्यूटर्स से नमूने लेकर जांच की जा रही है।
विशेषज्ञों का कहना है कि सरकार को दवा उत्पादन से लेकर वितरण तक एक सेंट्रल ट्रैकिंग सिस्टम लागू करना चाहिए, ताकि भविष्य में इस तरह की घटनाओं को रोका जा सके।
भारत में स्वास्थ्य सुरक्षा के लिए यह मामला एक चेतावनी संकेत है कि मानक परीक्षण और निगरानी को और अधिक सख्त बनाया जाए, ताकि किसी भी बच्चे की जान घटिया दवाओं से न जाए।
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