पश्चिम बंगाल में मतदाता सूची के विशेष गहन पुनरीक्षण का पहला चरण शुरू

कोलकाता, 5 नवंबर (हि.स.)। पश्चिम बंगाल में मंगलवार से निर्वाचन आयोग (ईसीआई) द्वारा मतदाता सूची के विशेष गहन पुनरीक्षण (एसआईआर) का पहला चरण शुरू हो गया है। यह प्रक्रिया राज्य में मतदाता सूची को सटीक और अद्यतन बनाने के उद्देश्य से की जा रही है। एसआईआर की यह कवायद पूरे राज्य में बड़े पैमाने पर की जा रही है, ताकि सभी योग्य मतदाताओं के नाम सूची में दर्ज हों और किसी भी प्रकार की त्रुटि या दोहराव को दूर किया जा सके।

मुख्य निर्वाचन अधिकारी (सीईओ) कार्यालय के एक वरिष्ठ अधिकारी के अनुसार, इस बार के पुनरीक्षण में वर्ष 2002 की मतदाता सूची को आधार बनाया गया है, क्योंकि उसी वर्ष आखिरी बार राज्य में एसआईआर कराया गया था। अब तक की ‘मैपिंग और मैचिंग’ प्रक्रिया में वर्तमान मतदाता सूची के केवल 32.06 प्रतिशत नाम ही वर्ष 2002 की सूची में पाए गए हैं।

7.66 करोड़ मतदाताओं की सूची में जारी जांच

अधिकारी ने बताया कि फिलहाल राज्य की वर्तमान मतदाता सूची में लगभग 7.66 करोड़ नाम शामिल हैं। अब तक की जांच में करीब 2.46 करोड़ मतदाताओं के नाम या उनके माता-पिता के नाम वर्ष 2002 की सूची में मिले हैं। यह आंकड़ा अभी प्रारंभिक है और जांच पूरी होने पर इसमें परिवर्तन हो सकता है।

निर्वाचन आयोग के अधिकारियों का कहना है कि यह प्रक्रिया अत्यंत तकनीकी और सघन तरीके से की जा रही है, ताकि एक भी पात्र मतदाता छूटे नहीं और फर्जी प्रविष्टियों को पूरी तरह समाप्त किया जा सके।

स्वतः वैध होंगे पुराने मतदाता

निर्वाचन आयोग ने स्पष्ट किया है कि जिन मतदाताओं का नाम या उनके माता-पिता का नाम 2002 की मतदाता सूची में दर्ज पाया गया है, उन्हें स्वतः वैध मतदाता माना जाएगा। ऐसे मतदाताओं को केवल विवरण सहित एन्यूमरेशन फॉर्म भरकर जमा करना होगा। उन्हें अतिरिक्त दस्तावेज प्रस्तुत करने की आवश्यकता नहीं होगी।

publive-image

नए मतदाताओं को देनी होगी पहचान संबंधी जानकारी

वहीं, जिनका नाम 2002 की सूची में नहीं है, उन्हें अपनी पहचान साबित करने के लिए निर्वाचन आयोग द्वारा निर्धारित दस्तावेजों में से कोई एक प्रस्तुत करना अनिवार्य होगा। इनमें जन्म प्रमाण पत्र, आधार कार्ड, पासपोर्ट, ड्राइविंग लाइसेंस या अन्य सरकारी प्रमाण पत्र शामिल हो सकते हैं।

2026 तक पूरी होगी प्रक्रिया

अधिकारियों के मुताबिक, एसआईआर की पूरी प्रक्रिया मार्च 2026 तक पूरी करने का लक्ष्य रखा गया है। इस दौरान हर चरण में जिला प्रशासन और चुनाव कार्यालयों की टीमें फील्ड स्तर पर जाकर सत्यापन करेंगी। इसके अलावा डिजिटल सत्यापन प्रणाली के माध्यम से भी सूची को जांचा जाएगा।

मुख्य निर्वाचन अधिकारी कार्यालय ने बताया कि इस प्रक्रिया से मतदाता सूची की सटीकता और पारदर्शिता में उल्लेखनीय सुधार आएगा। उन्होंने कहा कि “निर्वाचन आयोग का उद्देश्य है कि हर योग्य नागरिक को मतदान का अधिकार सुनिश्चित हो, जबकि गलत प्रविष्टियों और फर्जी नामों को सूची से हटाया जाए।”

पारदर्शिता और तकनीकी निगरानी

राज्यभर में इस प्रक्रिया की निगरानी के लिए एक विशेष डेटा एनालिसिस यूनिट गठित की गई है, जो नामों की डिजिटल मिलान प्रक्रिया की देखरेख करेगी। इस यूनिट की मदद से ‘मैपिंग और मैचिंग’ के दौरान डेटा को इलेक्ट्रॉनिक रूप से क्रॉस-वेरिफाई किया जा रहा है।

चुनाव आयोग का मानना है कि यह पुनरीक्षण पश्चिम बंगाल में आगामी विधानसभा चुनावों की तैयारी के लिए भी एक महत्वपूर्ण कदम साबित होगा, क्योंकि अद्यतन मतदाता सूची से चुनावी प्रक्रिया अधिक निष्पक्ष और विश्वसनीय बन सकेगी।