नई दिल्ली: संसद की संयुक्त समिति (जेपीसी) ने बुधवार को वक्फ संशोधन विधेयक से संबंधित अपनी रिपोर्ट और मसौदा विधेयक के संशोधित प्रारूप को बहुमत के आधार पर मंजूरी दे दी। समिति ने 15 बनाम 11 मतों के अनुपात से इस विधेयक को स्वीकार किया है। समिति ने विधेयक के 14 खंडों में संशोधन को अपनाया है, जो वक्फ संपत्तियों के प्रबंधन और प्रशासन में सुधार लाने की दिशा में महत्वपूर्ण माना जा रहा है।
संशोधित विधेयक की प्रमुख बातें
समिति के अध्यक्ष जगदंबिका पाल ने बुधवार को जेपीसी की बैठक के बाद मीडिया को जानकारी दी। उन्होंने बताया कि गुरुवार को लोकसभा अध्यक्ष को रिपोर्ट सौंपी जाएगी। इस संशोधित विधेयक में वक्फ संपत्तियों के बेहतर प्रबंधन, पारदर्शिता बढ़ाने और विवादों के निपटारे की प्रक्रियाओं को और प्रभावी बनाने के प्रावधान जोड़े गए हैं।
विधेयक को लेकर विपक्षी दलों ने कड़ा विरोध जताया है। विपक्ष का कहना है कि यह विधेयक असंवैधानिक है और इससे वक्फ बोर्ड की स्वायत्तता पर असर पड़ेगा। विपक्षी नेताओं ने आशंका जताई है कि इस विधेयक के जरिए सरकार को वक्फ संपत्तियों के मामलों में सीधा हस्तक्षेप करने की शक्ति मिल जाएगी।
विपक्ष की नाराजगी और विरोध
विपक्षी दलों ने संयुक्त संसदीय समिति पर विधेयक की समीक्षा के दौरान पर्याप्त समय न देने का आरोप लगाया है। तृणमूल कांग्रेस के सांसद कल्याण बनर्जी ने कहा कि विपक्षी दलों ने इस पर 32 पृष्ठों का ‘डिसेंट नोट’ (असहमति पत्र) दिया है। उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि 653 पृष्ठों की ड्राफ्ट रिपोर्ट उन्हें केवल एक शाम पहले, 7:55 बजे मिली थी, जिससे इतने बड़े दस्तावेज का अध्ययन कर पाना संभव नहीं था।
एआईएमआईएम प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी ने भी इस मुद्दे पर सरकार को घेरा और कहा, “इतने कम समय में 653 पेजों की ड्राफ्ट रिपोर्ट का अध्ययन करना असंभव है। यह पूरी प्रक्रिया पारदर्शिता और लोकतांत्रिक सिद्धांतों के खिलाफ है।” विपक्ष का आरोप है कि यह विधेयक वक्फ संपत्तियों के प्रशासन में सरकार के हस्तक्षेप का मार्ग प्रशस्त करेगा और इससे धार्मिक अल्पसंख्यकों के अधिकारों पर खतरा उत्पन्न होगा।
समिति के अध्यक्ष का स्पष्टीकरण
वहीं, समिति के अध्यक्ष जगदंबिका पाल ने स्पष्ट किया कि विपक्ष द्वारा उठाए गए कई मुद्दों को ध्यान में रखते हुए संशोधित विधेयक तैयार किया गया है। उन्होंने कहा कि संशोधित विधेयक के लागू होने के बाद वक्फ बोर्ड की कार्यप्रणाली अधिक पारदर्शी और प्रभावी हो जाएगी।
उन्होंने आगे कहा कि इस विधेयक में वक्फ संपत्तियों के बेहतर प्रबंधन के लिए नई निगरानी प्रक्रियाएं और विवाद समाधान तंत्र जोड़े गए हैं, जिससे किसी भी प्रकार की अनियमितताओं को कम किया जा सकेगा।
अगले कदम
संशोधित वक्फ विधेयक को जल्द ही संसद में पेश किया जाएगा, जहां इस पर विस्तृत चर्चा होगी। अगर यह विधेयक संसद के दोनों सदनों में पारित हो जाता है, तो इसे कानून का रूप मिल जाएगा।
इस विधेयक पर विपक्ष और सरकार के बीच मतभेद जारी हैं, और यह देखना दिलचस्प होगा कि संसद में इस पर क्या रुख अपनाया जाता है।