कांग्रेस सांसद ने उठाए गंभीर आरोपनई दिल्ली, 2 फरवरी 2025 – वक्फ (संशोधन) विधेयक, 2024 को लेकर संसद की जॉइंट पार्लियामेंट्री कमेटी (जेपीसी) सोमवार को अपनी रिपोर्ट लोकसभा में पेश करेगी। इस विधेयक को लेकर विपक्षी दलों में विरोध है और इस बीच, कांग्रेस सांसद सैयद नसीर हुसैन ने जेपीसी पर गंभीर आरोप लगाए हैं।
सैयद नसीर हुसैन, जो जेपीसी के सदस्य भी हैं, ने दावा किया कि रिपोर्ट में उनके द्वारा पेश की गई असहमति के हिस्से को उनकी अनुमति के बिना संपादित किया गया है। उन्होंने सोशल मीडिया पर इस मामले की जानकारी साझा की और आरोप लगाया कि उनकी असहमति नोट के कुछ हिस्सों को बिना उनकी जानकारी के बदला गया है। हुसैन ने यह भी कहा कि “विपक्ष को चुप कराने का प्रयास क्यों किया जा रहा है?”
हुसैन ने वक्फ (संशोधन) विधेयक, 2024 पर अपने असहमति नोट के साथ-साथ फाइनल रिपोर्ट के कुछ पन्नों को सोशल मीडिया पर शेयर किया। उन्होंने लिखा, “वक्फ (संशोधन) विधेयक, 2024 पर जेपीसी के सदस्य के रूप में, मैंने विधेयक का विरोध करते हुए असहमति नोट प्रस्तुत किया था। चौंकाने वाली बात यह है कि मेरे असहमति नोट के कुछ हिस्सों को मेरी जानकारी के बिना एडिट किया गया है! वक्फ (संशोधन) विधेयक, 2024 पर संयुक्त समिति पहले ही एक तमाशा बनकर रह गई थी, लेकिन अब वे और भी नीचे गिर गए हैं।”
जेपीसी की रिपोर्ट और विपक्षी सांसदों की आपत्ति
जेपीसी ने 30 जनवरी को अपनी ड्राफ्ट रिपोर्ट लोकसभा स्पीकर ओम बिरला को सौंप दी थी। इस दौरान जेपीसी अध्यक्ष जगदंबिका पाल, निशिकांत दुबे और अन्य भाजपा सांसद उपस्थित थे। हालांकि, विपक्ष का कोई सांसद इस बैठक में मौजूद नहीं था, जिससे यह मामला और अधिक संवेदनशील हो गया।
जेपीसी ने 29 जनवरी को ड्राफ्ट रिपोर्ट को मंजूरी दी थी, जिसमें 16 सदस्यों ने विधेयक के पक्ष में मतदान किया, जबकि 11 सदस्य विरोध में थे। कमेटी में शामिल विपक्षी सांसदों ने इस विधेयक पर कड़ी आपत्ति जताई थी और इसे लोकतांत्रिक प्रक्रिया का उल्लंघन बताया था।
वक्फ (संशोधन) विधेयक, 2024 पर विवाद
वक्फ (संशोधन) विधेयक, 2024 में वक्फ बोर्डों की संरचना, कार्यप्रणाली और प्रशासन को लेकर कई महत्वपूर्ण बदलाव प्रस्तावित किए गए हैं। विपक्षी दलों का आरोप है कि यह विधेयक अल्पसंख्यक समुदाय के धार्मिक संस्थानों पर सरकारी नियंत्रण बढ़ाने की कोशिश है, जो संविधान की स्वतंत्रता के सिद्धांतों के खिलाफ है।
विधेयक का विरोध करने वाले सांसदों का कहना है कि इसे पारित करने से वक्फ बोर्डों में राजनीतिक हस्तक्षेप बढ़ सकता है, जो इन बोर्डों के कार्यों को स्वतंत्र और निष्पक्ष बनाए रखने में बाधक हो सकता है। वहीं, सरकार इस विधेयक को अल्पसंख्यकों के लिए एक सकारात्मक सुधार मान रही है।
जेपीसी में उठाए गए इस विवाद और असहमति के बावजूद, विधेयक पर अंतिम निर्णय अब संसद में होगा, जहां इसे पेश किए जाने के बाद चर्चा और मतदान की प्रक्रिया होगी। इस विवादित मुद्दे ने देशभर में राजनीतिक और धार्मिक दृष्टिकोण से अलग-अलग प्रतिक्रियाएं उत्पन्न की हैं।