वक्फ संपत्तियों से जुड़े विवादित वक्फ संशोधन विधेयक के खिलाफ शुक्रवार को सुप्रीम कोर्ट में दो अलग-अलग याचिकाएं दाखिल की गईं। यह याचिकाएं कांग्रेस के किशनगंज से सांसद मोहम्मद जावेद और AIMIM प्रमुख एवं हैदराबाद से सांसद असदुद्दीन ओवैसी ने दायर की हैं। दोनों नेताओं ने बिल को संविधान विरोधी बताते हुए इसे रद्द करने की मांग की है।

यह विधेयक संसद के दोनों सदनों में लंबी चर्चा के बाद पारित हुआ। 2 और 3 अप्रैल को लोकसभा और राज्यसभा में करीब 12-12 घंटे की बहस के बाद यह बिल पास हुआ। अब इसे राष्ट्रपति की मंजूरी के लिए भेजा जाएगा, जिसके बाद यह कानून का रूप ले लेगा।

कांग्रेस और DMK भी सुप्रीम कोर्ट जाने के मूड में

राज्यसभा में बिल पास होने के बाद कांग्रेस के वरिष्ठ नेता जयराम रमेश ने घोषणा की थी कि पार्टी इस बिल को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती देगी। तमिलनाडु की सत्तारूढ़ पार्टी DMK ने भी याचिका दाखिल करने का ऐलान किया है। इन दलों का कहना है कि यह कानून अल्पसंख्यकों के अधिकारों पर हमला है और इससे वक्फ बोर्ड की स्वायत्तता पर असर पड़ेगा।

प्रधानमंत्री मोदी ने बताया 'बड़ा सुधार'

बिल के पारित होने के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इसे एक महत्वपूर्ण सुधार बताया। शुक्रवार सुबह सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म X (पूर्व में ट्विटर) पर उन्होंने लिखा कि,
"यह नया कानून वक्फ संपत्तियों की पारदर्शिता बढ़ाएगा और गरीबों, विशेषकर पसमांदा मुस्लिम समुदाय और मुस्लिम महिलाओं के अधिकारों की रक्षा करेगा।"

उन्होंने कहा कि वर्षों से वक्फ संपत्तियों में गड़बड़ियां हो रही थीं, जिनका खामियाज़ा सबसे ज़्यादा कमजोर वर्गों को भुगतना पड़ रहा था। यह कानून ऐसी गड़बड़ियों को रोकने और जवाबदेही तय करने की दिशा में एक बड़ा कदम है।

क्या है वक्फ संशोधन विधेयक?

इस विधेयक के तहत वक्फ संपत्तियों के रिकॉर्ड को डिजिटाइज़ करने, ट्रांसफर प्रक्रिया को पारदर्शी बनाने और अवैध कब्जों के खिलाफ सख्त कार्रवाई के प्रावधान जोड़े गए हैं। लेकिन विपक्ष का कहना है कि इससे वक्फ बोर्ड की स्वतंत्रता कम होगी और सरकार को अधिक नियंत्रण मिल जाएगा।

अब इस विवादास्पद कानून की वैधता पर अंतिम फ़ैसला देश की सर्वोच्च अदालत में होगा।

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