वोटर लिस्ट में नाम जोड़ने-हटाने के लिए अब ई-वेरिफिकेशन अनिवार्य, चुनाव आयोग ने लॉन्च किया ई-साइन फीचर
नई दिल्ली, 24 सितंबर (हि.स.)। चुनाव आयोग ने मतदाता सूची से संबंधित प्रक्रियाओं में पारदर्शिता और सुरक्षा बढ़ाने के लिए बड़ा कदम उठाया है। अब वोटर लिस्ट में नाम जोड़ने, हटाने या उस पर आपत्ति दर्ज कराने के लिए ई-वेरिफिकेशन जरूरी होगा। इसके लिए चुनाव आयोग ने अपने पोर्टल और मोबाइल एप पर एक नया ‘ई-साइन’ फीचर शुरू किया है।
क्या है नई प्रक्रिया
मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, पहले जहां कोई भी व्यक्ति मतदाता सूची में नाम जोड़ने या हटाने के लिए फार्म भर सकता था, वहीं अब इस प्रक्रिया में आवेदक की पहचान की पुख्ता पुष्टि की जाएगी। इसके तहत आवेदन करने वाले व्यक्ति के रजिस्टर्ड मोबाइल नंबर पर वन-टाइम पासवर्ड (OTP) भेजा जाएगा। केवल सही OTP डालने के बाद ही आवेदन आगे बढ़ पाएगा।

क्यों जरूरी हुआ ई-वेरिफिकेशन
अधिकारियों ने बताया कि पहले कई बार ऐसी शिकायतें मिलीं कि फर्जी तरीके से फॉर्म भरे जाते थे। कोई व्यक्ति किसी और का नाम या मोबाइल नंबर इस्तेमाल कर देता था, जिससे मतदाता सूची में गड़बड़ियां सामने आती थीं। इस कारण न केवल वास्तविक मतदाताओं को परेशानी होती थी बल्कि चुनावी प्रक्रिया की विश्वसनीयता भी प्रभावित होती थी। अब ई-वेरिफिकेशन से ऐसे दुरुपयोग को रोका जा सकेगा।

पहले और अब का फर्क
23 सितंबर तक इस तरह का ई-वेरिफिकेशन जरूरी नहीं था। मतदाता सूची में बदलाव करने या नया नाम जुड़वाने के लिए साधारण आवेदन स्वीकार कर लिया जाता था। अब हर आवेदन को ई-साइन प्रक्रिया से गुजरना होगा। इससे यह सुनिश्चित होगा कि जिस नाम या नंबर से आवेदन किया गया है, वही व्यक्ति वास्तव में उसके पीछे है।

चुनाव आयोग का उद्देश्य
चुनाव आयोग लंबे समय से मतदाता सूची को त्रुटिहीन बनाने की दिशा में प्रयासरत है। आयोग का मानना है कि निष्पक्ष और पारदर्शी चुनावों के लिए मतदाता सूची का सटीक होना बेहद आवश्यक है। ई-साइन फीचर को इसी दिशा में एक महत्वपूर्ण सुधार के रूप में देखा जा रहा है। अधिकारियों का कहना है कि यह तकनीक न केवल धोखाधड़ी को रोकने में सहायक होगी, बल्कि वास्तविक मतदाताओं को भी अपनी जानकारी अपडेट कराने में सुविधा देगी।
आगे की संभावना
चुनाव आयोग की योजना है कि भविष्य में ई-साइन और डिजिटल वेरिफिकेशन को अन्य चुनावी प्रक्रियाओं से भी जोड़ा जाए। विशेषज्ञों का मानना है कि इससे मतदाता सूची में गड़बड़ियों और फर्जीवाड़े पर अंकुश लगेगा। साथ ही यह कदम ‘डिजिटल इंडिया’ अभियान के तहत चुनावी व्यवस्थाओं को और आधुनिक बनाने की दिशा में महत्वपूर्ण साबित होगा।
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