वीएलजीसी शिवालिक की पहली यात्रा आत्मनिर्भर भारत का प्रतीक : सर्बानंद सोनोवाल
नई दिल्ली, 6 अक्टूबर (हि.स.)।
भारत की समुद्री शक्ति और आत्मनिर्भरता के क्षेत्र में एक और मील का पत्थर जुड़ गया है। केंद्रीय पोत परिवहन, बंदरगाह और जलमार्ग मंत्री सर्बानंद सोनोवाल ने ‘वीएलजीसी शिवालिक’ (Very Large Gas Carrier Shivalik) के विशाखापत्तनम बंदरगाह पर आगमन को देश के समुद्री इतिहास का ऐतिहासिक क्षण बताया है। उन्होंने कहा कि यह जहाज आत्मनिर्भर भारत के उस संकल्प का जीवंत प्रतीक है, जिसे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में नए भारत की दिशा में साकार किया जा रहा है।

भारत की समुद्री शक्ति को नई दिशा
सोनोवाल ने कहा कि वीएलजीसी शिवालिक का आगमन न केवल भारत की समुद्री क्षमता में नई ऊर्जा भरता है, बल्कि यह देश की ‘ब्लू इकोनॉमी’ (नीली अर्थव्यवस्था) को भी नई गति प्रदान करेगा। यह जहाज भारत की ऊर्जा आपूर्ति शृंखला को और अधिक स्थिर, सुरक्षित और आत्मनिर्भर बनाएगा।
उन्होंने एक्स पोस्ट में लिखा, “भारत की समुद्री शक्ति के लिए यह एक ऐतिहासिक क्षण है। वीएलजीसी शिवालिक का आगमन आत्मनिर्भर भारत के प्रति हमारी प्रतिबद्धता और प्रधानमंत्री मोदी के नेतृत्व में समुद्री क्षेत्र में हो रहे सकारात्मक बदलावों का प्रमाण है।”
दूसरा अति विशाल गैस वाहक भारतीय बेड़े में शामिल
सोनोवाल ने बताया कि यह इस वर्ष का दूसरा अति विशाल गैस वाहक (VLGC) है जिसे भारतीय बेड़े में शामिल किया गया है। इससे भारत की स्थिति अंतरराष्ट्रीय गैस व्यापार में और अधिक सशक्त होगी। उन्होंने कहा कि ऐसे जहाजों की संख्या में वृद्धि से भारत न केवल ऊर्जा आयात में आत्मनिर्भरता की दिशा में आगे बढ़ेगा, बल्कि यह देश की वैश्विक आपूर्ति शृंखला में विश्वसनीय भागीदार बनने की दिशा में भी एक बड़ा कदम होगा।
आत्मनिर्भरता की दिशा में निर्णायक पहल
केंद्रीय मंत्री ने कहा कि प्रधानमंत्री मोदी के नेतृत्व में भारत का समुद्री क्षेत्र अब एक नए युग में प्रवेश कर चुका है। देश में ही अब जहाजों का डिज़ाइन, निर्माण, वित्तपोषण, स्वामित्व, मरम्मत और पुनर्चक्रण (रीसाइक्लिंग) जैसी सभी प्रक्रियाएं विकसित की जा रही हैं।
उन्होंने कहा कि इस क्षेत्र में भारत अब आयातक नहीं बल्कि उत्पादक और निर्यातक देश बनने की दिशा में तेजी से आगे बढ़ रहा है। सोनोवाल ने इसे “विकसित भारत और आत्मनिर्भर भारत” की दिशा में एक निर्णायक पहल बताया।

‘शिवालिक’ का आगमन — आत्मनिर्भरता का सशक्त प्रतीक
शनिवार को ‘वीएलजीसी शिवालिक’ ने भारतीय तट पर अपनी पहली यात्रा पूरी करते हुए विशाखापत्तनम बंदरगाह पर दस्तक दी। यह जहाज भारतीय ध्वज के अंतर्गत पंजीकृत है और शिपिंग कॉर्पोरेशन ऑफ इंडिया (SCI) के स्वामित्व में है। इस जहाज के शामिल होने से भारतीय समुद्री क्षेत्र की क्षमता और वैश्विक पहचान दोनों में वृद्धि हुई है।
जानकारी के अनुसार, ‘शिवालिक’ जैसे जहाजों का उपयोग मुख्य रूप से तरलीकृत पेट्रोलियम गैस (LPG) के परिवहन के लिए किया जाता है। इससे देश में ऊर्जा आपूर्ति की निर्भरता घटेगी और विदेशी आयात पर दबाव कम होगा।
भारत के समुद्री क्षेत्र में बढ़ता आत्मविश्वास
भारत अब उन चुनिंदा देशों में शामिल हो गया है जो अपने बेड़े में अति विशाल गैस वाहक जहाजों का स्वामित्व रखते हैं। विशेषज्ञों के अनुसार, आने वाले वर्षों में देश में एलएनजी (Liquefied Natural Gas) और एलपीजी व्यापार का दायरा कई गुना बढ़ने वाला है।
सोनोवाल ने कहा कि यह उपलब्धि प्रधानमंत्री मोदी की उस दृष्टि को साकार करती है जिसमें भारत को एक वैश्विक समुद्री शक्ति (Maritime Power) के रूप में स्थापित करने का लक्ष्य रखा गया है।
नए युग की ओर बढ़ता भारत
भारत में इस समय बंदरगाहों के आधुनिकीकरण, तटीय नौवहन (Coastal Shipping), अंतर्देशीय जलमार्ग (Inland Waterways) और समुद्री उद्योगों में निवेश तेजी से बढ़ रहा है। सरकार ‘सागरमाला’ और ‘भारत माला’ जैसी योजनाओं के माध्यम से बंदरगाह आधारित विकास को प्राथमिकता दे रही है।
‘शिवालिक’ जैसे जहाज इस दिशा में तकनीकी आत्मनिर्भरता और वैश्विक प्रतिस्पर्धा के नए द्वार खोलेंगे।
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