विश्व हिंदू परिषद की केंद्रीय मार्गदर्शक मंडल की बैठक संपन्न

माघ कृष्ण पक्ष एकादशी, विक्रम संवत 2081

आज 24 जनवरी, शुक्रवार को विश्व हिंदू परिषद (विहिप) की केंद्रीय मार्गदर्शक मंडल की बैठक का आयोजन किया गया। इस बैठक में देशभर के प्रमुख संतों ने हिस्सा लिया। केंद्रीय मार्गदर्शक मंडल, विहिप की वैधानिक इकाई है, और इसके मार्गदर्शन में ही विहिप का संचालन होता है। इस विशेष बैठक के बाद आयोजित पत्रकार वार्ता में जगतगुरु आचार्य महामंडलेश्वर अवधेशानंद गिरि जी, आचार्य महामंडलेश्वर विशोकानंद जी (अध्यक्ष), विहिप के केंद्रीय अध्यक्ष श्री आलोक कुमार जी और केंद्रीय महामंत्री श्री बजरंग लाल बागड़ा जी ने महत्वपूर्ण जानकारी साझा की।

बैठक में चर्चा और मार्गदर्शन के मुख्य बिंदु:

1. मंदिरों को सरकारी नियंत्रण से मुक्त करने का आह्वान

केंद्रीय मार्गदर्शक मंडल ने हिंदू मंदिरों को सरकारी नियंत्रण से मुक्त करने के लिए जागरण अभियान शुरू करने का निर्णय लिया। इस अभियान की शुरुआत आंध्र प्रदेश के विजयवाड़ा में बड़े स्तर पर की गई। संतों ने मांग की कि मंदिरों का प्रबंधन भक्तों को सौंपा जाए और सरकारी नियंत्रण से संबंधित कानूनों को समाप्त किया जाए।

2. हिंदू समाज में घटती जन्मदर पर चिंता

संतों ने हिंदू समाज में घटती जन्मदर को लेकर चिंता व्यक्त की। उन्होंने कहा कि यह समस्या समाज में जनसंख्या असंतुलन का कारण बन रही है। संतों ने हर हिंदू परिवार से कम से कम तीन बच्चों के जन्म का आह्वान किया, ताकि हिंदू समाज की सुरक्षा और अस्तित्व को सुनिश्चित किया जा सके।

3. वक्फ बोर्ड के अधिकारों पर सुधार

वक्फ बोर्ड के असीमित और निरंकुश अधिकारों पर रोक लगाने के लिए केंद्र सरकार द्वारा प्रस्तावित कानून सुधार का स्वागत किया गया। संतों ने सभी दलों के सांसदों से अपील की कि वे इस कानून को पारित करने में सहयोग करें।

4. अयोध्या, मथुरा और काशी मंदिरों का संकल्प

संतों ने 1984 की धर्म संसद के संकल्प को दोहराते हुए अयोध्या, मथुरा और काशी के मंदिरों की पुनः स्थापना के लिए संकल्पबद्ध होने की बात कही। उन्होंने कहा कि हिंदू समाज, संत समाज, विहिप और संघ इस संकल्प को पूरा करने के लिए दृढ़ हैं।

5. सामाजिक समरसता और हिंदू संस्कारों पर जोर

संतों ने सामाजिक समरसता, पर्यावरण संरक्षण, कुटुंब प्रबोधन और हिंदू संस्कारों को संरक्षित करने पर बल दिया। उन्होंने समाज की कुप्रथाओं को समाप्त करने और राष्ट्रीय चरित्र के विकास के लिए नैतिक शिक्षा पर जोर दिया।

बैठक में उपस्थित संत

इस बैठक में जगतगुरु शंकराचार्य वासुदेवानंद सरस्वती जी, आचार्य महामंडलेश्वर अवधेशानंद गिरि जी, आचार्य महामंडलेश्वर विशोकानंद जी, महामंडलेश्वर विश्वात्मानंद भारती जी, महामंडलेश्वर बालकानंद जी, स्वामी चिदानंद मुनि जी, स्वामी राजेंद्र देवाचार्य जी, स्वामी कौशल्यानंद गिरि जी, स्वामी अश्विलेश्वरानंद जी, स्वामी हरिहरानंद जी, महंत निर्मोही अखाड़ा राजेंद्र दास जी, पूज्य महंत रविंद्र पुरी जी (महानिर्वाणी), पूज्य महामंडलेश्वर चूड़ामणि जी (भोपाल), पूज्य महामंडलेश्वर जितेंद्रानंद जी (महामंत्री, संत समिति), पूज्य बालयोगी उमेशनाथ जी महाराज, महामंडलेश्वर आत्मानंद जी (नेपाल), पूज्य संग्राम सिंह जी (आंध्र प्रदेश), पूज्य केवलानंद जी सरस्वती (आंध्र प्रदेश), पूज्य भास्कर गिरि जी (देवगढ़), पूज्य बाबू सिंह जी (बंजारा समाज) जैसे कई प्रतिष्ठित संत और धर्माचार्य उपस्थित रहे।

बैठक में लिए गए निर्णय और संत समाज के मार्गदर्शन ने हिंदू समाज की धार्मिक, सांस्कृतिक और सामाजिक चुनौतियों के समाधान के लिए ठोस कदम उठाने की दिशा में मार्ग प्रशस्त किया है। केंद्रीय मार्गदर्शक मंडल ने हिंदू समाज के लिए एक स्पष्ट संदेश दिया कि धार्मिक और सांस्कृतिक धरोहर की रक्षा सर्वोपरि है।