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April 18, 2025 3:51 PM

विक्रमादित्य के जीवन और शासन व्यवस्था से जन-जन को अवगत कराएगी सरकार

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  • विक्रमोत्सव का आयोजन 12-14 अप्रैल को नई दिल्ली में होगा
  • मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री और गृह मंत्री को किया आमंत्रित

भोपाल। मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भारतीय ज्ञान परंपरा को आगे बढ़ाते हुए देश को विकास के पथ पर अग्रसर कर रहे हैं। इसी कड़ी में सम्राट विक्रमादित्य के जीवन और उनकी सुशासन नीति से जन-जन को परिचित कराने के उद्देश्य से भव्य विक्रमोत्सव का आयोजन किया जा रहा है। आगामी 12, 13 और 14 अप्रैल को नई दिल्ली में होने वाले इस आयोजन में राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह को आमंत्रित किया गया है। मुख्यमंत्री ने विक्रमोत्सव को लेकर अपने संदेश में कहा कि भगवान श्रीराम के बाद सम्राट विक्रमादित्य का शासन ही सुशासन की मिसाल माना जाता है। यह आयोजन सम्राट विक्रमादित्य के जीवन के महत्वपूर्ण पहलुओं को उजागर करेगा और उनकी शासन पद्धति को प्रेरणास्रोत के रूप में प्रस्तुत करेगा।

सम्राट विक्रमादित्य: न्यायप्रिय शासक और विक्रम संवत के प्रवर्तक

मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने बताया कि सम्राट विक्रमादित्य 2082 वर्ष पहले विक्रम संवत की स्थापना कर चुके थे। वे न्यायप्रियता, ज्ञान, पराक्रम, वीरता और प्रशासनिक दक्षता के लिए विख्यात थे। उन्होंने विदेशी आक्रांताओं को पराजित कर भारत में सुशासन के नए आयाम स्थापित किए। उनकी राजसभा में नौ रत्नों का विशेष महत्व था, जो विभिन्न क्षेत्रों के विशेषज्ञ थे। इनके सहयोग से उन्होंने अपनी शासन नीति को प्रभावी बनाया।

सम्राट विक्रमादित्य ने न केवल एक शक्तिशाली शासन स्थापित किया, बल्कि उन्होंने लोकतांत्रिक प्रणाली को भी प्रोत्साहित किया। उनके शासनकाल में मंत्रिपरिषद की जवाबदेही जनता के प्रति होती थी। यह प्रणाली शासन में पारदर्शिता और सुशासन का प्रतीक थी। उनके शासन में व्यापार और अर्थव्यवस्था को बढ़ावा देने के लिए शून्य प्रतिशत ब्याज पर ऋण देने की व्यवस्था थी, जिससे समाज के हर वर्ग को आर्थिक रूप से सक्षम बनाया गया।

विक्रमादित्य की शासन व्यवस्था और मोदी सरकार में समानता

मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने सम्राट विक्रमादित्य और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की शासन नीति में अद्भुत समानताएं बताते हुए कहा कि दोनों ही शासनकाल में आर्थिक सुधार, गरीबों के लिए आवास योजना और न्याय व्यवस्था में सुधार को प्राथमिकता दी गई

सम्राट विक्रमादित्य ने जिस तरह व्यापारियों को बिना ब्याज के आर्थिक सहायता दी, उसी तरह प्रधानमंत्री मोदी ने मुद्रा योजना के तहत बिना गारंटी लोन उपलब्ध कराकर छोटे व्यापारियों को आत्मनिर्भर बनाने की पहल की। विक्रमादित्य के समय में राज्य की अर्थव्यवस्था को मजबूत बनाने पर जोर दिया गया था, वही दृष्टिकोण वर्तमान सरकार में भी देखने को मिलता है।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा हर व्यक्ति के लिए पक्के मकान की व्यवस्था, आर्थिक सुधारों और सुशासन की नीति को विक्रमादित्य के कार्यकाल से जोड़ते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि उनकी शासन व्यवस्था से प्रेरणा लेकर आज भी कई योजनाएं लागू की जा रही हैं

विक्रमादित्य के शासन की विशेषताएं

  1. न्यायिक प्रशासन: विक्रमादित्य न्यायप्रिय राजा थे, उनके न्याय की मिसालें आज भी दी जाती हैं।
  2. विज्ञान और शिक्षा: उनके शासनकाल में गणित, खगोल विज्ञान, आयुर्वेद और साहित्य को विशेष प्रोत्साहन मिला।
  3. आर्थिक सुधार: व्यापारियों और किसानों को कर में रियायतें और बिना ब्याज के ऋण उपलब्ध कराए गए।
  4. संस्कृति और कला: विक्रमादित्य के दरबार में कालिदास जैसे विद्वानों ने साहित्य को नई ऊंचाइयों तक पहुंचाया।
  5. लोकतांत्रिक शासन प्रणाली: मंत्रिपरिषद में विशेषज्ञों को शामिल किया गया, जिससे शासन में पारदर्शिता आई।

विक्रमोत्सव के तहत विभिन्न कार्यक्रम

मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने कहा कि गुड़ी पड़वा के अवसर पर प्रदेशभर में सम्राट विक्रमादित्य के जीवन और उनके कार्यों पर आधारित भव्य आयोजन किए जाएंगे। दिल्ली के बाद मध्य प्रदेश सहित देश के विभिन्न राज्यों में महानाटिका के माध्यम से सम्राट विक्रमादित्य की गाथा जन-जन तक पहुंचाने का प्रयास किया जाएगा। पिछले वर्ष हैदराबाद में इसी तरह का कार्यक्रम किया गया था, जिसे आगे भी जारी रखा जाएगा।

मुख्यमंत्री ने कहा कि विक्रमोत्सव भारतीय ज्ञान परंपरा को जीवंत बनाए रखने का एक प्रयास है। सम्राट विक्रमादित्य की शासन नीति को आधुनिक संदर्भ में समझने और लागू करने से देश को और अधिक सशक्त बनाया जा सकता है

स्वदेश ज्योति के द्वारा

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