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June 1, 2025 3:27 PM

विवादित बयान पर हाईकोर्ट की सख्ती, मध्यप्रदेश के मंत्री विजय शाह पर दर्ज हुई एफआईआर

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📰 स्वदेश ज्योति विशेष रिपोर्ट:

इंदौर/जबलपुर — मध्यप्रदेश के मंत्री विजय शाह द्वारा सेना की महिला अधिकारी कर्नल सोफिया कुरैशी को आतंकियों की बहन कहे जाने पर अब उन्हें कानूनी कार्रवाई का सामना करना पड़ रहा है। जबलपुर हाईकोर्ट की सख्ती के बाद बुधवार रात इंदौर के मानपुर थाने में विजय शाह के खिलाफ एफआईआर दर्ज की गई।

यह कार्रवाई तब हुई जब मध्यप्रदेश हाईकोर्ट की दो सदस्यीय खंडपीठ ने इस बयान को गंभीरता से लेते हुए स्वत: संज्ञान लिया। जस्टिस अतुल श्रीधरन और जस्टिस अनुराधा शुक्ला की बेंच ने प्रदेश के डीजीपी को स्पष्ट निर्देश देते हुए कहा कि एफआईआर दर्ज न करने पर कोर्ट की अवमानना मानी जाएगी और डीजीपी के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाएगी।

▶️ विवादित बयान और वायरल वीडियो
मंत्री विजय शाह ने 12 मई, रविवार को इंदौर के महू क्षेत्र के रायकुंडा गांव में आयोजित एक सार्वजनिक कार्यक्रम में यह बयान दिया था। उन्होंने सेना की महिला अधिकारी कर्नल सोफिया कुरैशी के खिलाफ आपत्तिजनक टिप्पणी करते हुए उन्हें “आतंकियों की बहन” कह दिया था। यह बयान कुछ दिन बाद सोशल मीडिया पर वायरल हुआ और देशभर में निंदा झेलनी पड़ी।

▶️ कोर्ट ने कहा: यह भारत की अखंडता पर हमला
हाईकोर्ट ने कहा कि विजय शाह का बयान न केवल असंवैधानिक है, बल्कि यह भारत की एकता, अखंडता और सामाजिक सौहार्द के लिए गंभीर खतरा है। कोर्ट ने इसे भारतीय न्याय संहिता (BNS) 2023 की धारा 152, 196(1)(बी) और 197(1)(सी) के अंतर्गत अपराध माना है। इन धाराओं के तहत भारत की संप्रभुता को खतरे में डालने, समुदायों के बीच वैमनस्य फैलाने और धर्म विशेष के अपमान से जुड़े मामलों में सख्त सजा का प्रावधान है।

▶️ पुलिस ने देर रात दर्ज की एफआईआर
कोर्ट के सख्त निर्देशों के बाद देर रात करीब 11 बजे इंदौर के मानपुर थाने में मंत्री विजय शाह के खिलाफ केस दर्ज कर लिया गया। पुलिस सूत्रों के अनुसार, मंत्री के बयान की ऑडियो-वीडियो फुटेज को भी केस फाइल का हिस्सा बनाया गया है और मामले की विस्तृत जांच शुरू कर दी गई है।

▶️ अदालत ने सख्त लहजे में कहा —
“यह एक गंभीर मामला है। एक महिला सैन्य अधिकारी को उसकी धार्मिक पहचान के आधार पर आतंकियों से जोड़ना सीधे तौर पर भारतीय संविधान और न्याय प्रणाली की आत्मा का अपमान है। यदि समय पर एफआईआर दर्ज नहीं की गई होती, तो यह न्यायालय डीजीपी के खिलाफ अवमानना की कार्रवाई करता।”

▶️ अगली सुनवाई 15 मई को
कोर्ट ने इस प्रकरण की अगली सुनवाई के लिए 15 मई की तारीख तय की है और इसे प्राथमिकता से सूचीबद्ध करने का आदेश दिया है। अब यह देखना दिलचस्प होगा कि मंत्री विजय शाह को पार्टी व सरकार की ओर से क्या रुख देखने को मिलता है।

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