करूर में विजय की रैली में भगदड़: 40 मौतें, 95 घायल, हाईकोर्ट और केंद्र सरकार सख्त

तमिलनाडु के करूर में रविवार को अभिनेता से नेता बने विजय की राजनीतिक रैली के दौरान मची भगदड़ ने भयावह रूप ले लिया। ताज़ा आंकड़ों के अनुसार, मृतकों की संख्या बढ़कर 40 तक पहुँच गई है। इनमें 16 महिलाएं और 10 बच्चे शामिल हैं। इसके अलावा 95 लोग घायल बताए जा रहे हैं, जिनमें से 51 की हालत गंभीर है और ICU में भर्ती हैं। प्रशासन का कहना है कि मरने वालों की संख्या और बढ़ सकती है।


हादसे पर अदालत और सरकार की नजर

मद्रास हाईकोर्ट आज इस भीषण घटना पर सुनवाई करेगा। यह सुनवाई उस याचिका पर होगी, जिसमें एक घायल पीड़ित ने मांग की है कि जब तक जांच पूरी नहीं हो जाती, तब तक विजय और उनकी पार्टी तमिलगा वेत्री कझगम (TVK) की सभी रैलियों पर रोक लगाई जाए।

वहीं, गृह मंत्रालय ने राज्य सरकार से इस पूरे मामले पर विस्तृत रिपोर्ट मांगी है। हादसे की गंभीरता को देखते हुए राज्य सरकार और केंद्रीय एजेंसियां अब सक्रिय हो गई हैं।

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FIR और सियासी मोर्चाबंदी

पुलिस ने विजय की पार्टी TVK नेताओं के खिलाफ FIR दर्ज कर ली है। दूसरी ओर, पार्टी का दावा है कि यह हादसा "प्राकृतिक भगदड़" नहीं बल्कि "एक सोची-समझी साजिश" है। इस बाबत पार्टी ने भी मद्रास हाईकोर्ट में अपील की है।

सुप्रीम कोर्ट के वकील जी.एस. मणि ने करूर भगदड़ को लेकर सीधे अभिनेता विजय के खिलाफ FIR दर्ज करने और विशेष जांच दल (SIT) से जांच कराने की मांग की है। इससे यह मामला अब कानूनी और राजनीतिक दोनों स्तरों पर और गहराता दिखाई दे रहा है।


भीड़ कैसे काबू से बाहर हुई?

प्रत्यक्षदर्शियों और प्रशासनिक सूत्रों के मुताबिक, हादसे की बड़ी वजह आयोजन की कमजोर व्यवस्था रही। आयोजकों को रैली के लिए सिर्फ 10 हजार लोगों की अनुमति मिली थी, लेकिन वहाँ 50 हजार से अधिक भीड़ उमड़ पड़ी।

इस दौरान 60 फीट लंबी प्रचार बस को भीड़भरी 100 फीट चौड़ी सड़क पर निकालने की कोशिश की गई। आयोजकों ने दूसरा रास्ता अपनाने के बजाय भीड़ को चीरने की रणनीति चुनी। इससे दबाव बढ़ा और लोग एक-दूसरे पर गिरते चले गए। बच्चे और महिलाएं सबसे पहले दबाव में आकर गिरने लगीं और कुछ ही मिनटों में भगदड़ ने विकराल रूप ले लिया।

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मदद पहुँचने में हुई देरी

हादसे के समय विजय मंच पर भाषण दे रहे थे। प्रत्यक्षदर्शियों का कहना है कि उन्होंने शांति की अपील भी की, लेकिन तब तक देर हो चुकी थी। भीड़ इतनी घनी हो गई थी कि एम्बुलेंस और वॉलंटियर्स घायल लोगों तक समय पर पहुँच ही नहीं पाए। इसी वजह से मौतों की संख्या अधिक रही।

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विजय का रवैया और आलोचना

हादसे के बाद विजय ने न तो घायलों से अस्पताल जाकर मुलाकात की और न ही तुरंत संवेदना व्यक्त की। रिपोर्ट्स के अनुसार, वे सीधे चार्टर्ड फ्लाइट से चेन्नई लौट गए। इस रवैये पर विपक्षी दलों और कई सामाजिक संगठनों ने कड़ी आलोचना की है।

हालांकि देर रात विजय ने अपनी पार्टी के आधिकारिक X हैंडल से पोस्ट करते हुए लिखा—
"करूर में जो हुआ, उस दर्द को शब्दों में बयां नहीं कर सकता। मेरा दिल टूट गया है। मैं मृतकों के परिजन को 20 लाख और घायलों को 2 लाख की आर्थिक मदद दूँगा।"


राजनीति में नया मोड़

यह हादसा ऐसे समय में हुआ है जब विजय ने फरवरी 2024 में अपनी पार्टी TVK बनाई और ऐलान किया कि वह 2026 विधानसभा चुनाव में उतरेंगे। इसके बाद से वे लगातार राज्यभर में रैलियां कर रहे हैं। करूर की रैली भी इसी अभियान का हिस्सा थी।

लेकिन अब इस त्रासदी ने उनकी राजनीतिक यात्रा को कटघरे में खड़ा कर दिया है। सवाल उठ रहा है कि क्या उनकी पार्टी की जल्दबाजी और भीड़ प्रबंधन की नाकामी ने इतने निर्दोष लोगों की जान ले ली?

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जांच और जिम्मेदारी पर टिकी निगाहें

अब निगाहें अदालत और जांच एजेंसियों पर हैं। क्या पुलिस और प्रशासन आयोजकों की जवाबदेही तय करेगा? क्या विजय को भी सीधे जिम्मेदार ठहराया जाएगा? और क्या TVK की आगामी रैलियों पर रोक लगेगी?

करूर की यह घटना केवल एक रैली की भीड़भाड़ की समस्या नहीं बल्कि राजनीतिक महत्वाकांक्षाओं और जनसुरक्षा के बीच टकराव का प्रतीक बन चुकी है।