October 15, 2025 11:44 PM

राज्यसभा के सुचारू संचालन पर उपराष्ट्रपति की अपील : राजनीतिक दलों से सहयोग मांगा, विपक्ष ने प्रमुख मुद्दों पर चर्चा की रखी मांग

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  • मतभेदों के बावजूद सदन के कार्य को सुचारू रूप से चलाने में सहयोग दें

नई दिल्ली । संसद के उच्च सदन राज्यसभा के प्रभावी संचालन और संसदीय परंपराओं को सुदृढ़ बनाने के उद्देश्य से उपराष्ट्रपति सीपी राधाकृष्णन ने मंगलवार को सभी प्रमुख राजनीतिक दलों के नेताओं के साथ पहली औपचारिक बैठक की। उपराष्ट्रपति, जो राज्यसभा के सभापति भी हैं, ने इस अवसर पर कहा कि सदन तभी जनता की आकांक्षाओं को पूरा कर सकता है, जब उसमें संवाद, सहयोग और अनुशासन का वातावरण हो। उन्होंने सभी दलों से आग्रह किया कि वे मतभेदों के बावजूद सदन के कार्य को सुचारू रूप से चलाने में सहयोग दें।

उपराष्ट्रपति बोले – “संसद की गरिमा बनाए रखना हम सबकी जिम्मेदारी”

बैठक के दौरान उपराष्ट्रपति राधाकृष्णन ने कहा कि राज्यसभा राष्ट्र की नीति निर्धारण प्रक्रिया का महत्वपूर्ण अंग है। उन्होंने कहा, “हमारा लक्ष्य केवल वाद-विवाद करना नहीं, बल्कि जनहित से जुड़े मुद्दों पर ठोस निर्णय लेना है। संसद की गरिमा और कार्यकुशलता बनाए रखना सभी दलों की साझा जिम्मेदारी है।” उन्होंने नेताओं से सुझाव मांगे कि किस प्रकार सदन की कार्यप्रणाली को और अधिक उत्पादक और जनकेंद्रित बनाया जा सकता है।

नेताओं ने रखे अपने सुझाव

बैठक में स्वास्थ्य मंत्री और सदन के नेता जेपी नड्डा, कांग्रेस के उप नेता प्रमोद तिवारी, कानून मंत्री अर्जुन राम मेघवाल, और सूचना एवं प्रसारण राज्यमंत्री एल मुरुगन उपस्थित थे। इस दौरान विभिन्न दलों के प्रतिनिधियों ने अपनी राय रखी कि कैसे सदन में अधिक समय जनता के मुद्दों को समर्पित किया जा सकता है।
कई नेताओं ने कहा कि विपक्ष को महत्वपूर्ण विषयों पर बोलने का पर्याप्त अवसर दिया जाना चाहिए ताकि संसद में जनभावनाओं का सही प्रतिनिधित्व हो सके।

विपक्ष ने उठाई चर्चा की मांग

बैठक में कांग्रेस के मुख्य सचेतक जयराम रमेश ने मांग की कि विपक्ष द्वारा उठाए गए गंभीर मुद्दों पर ध्यानाकर्षण प्रस्ताव और अल्पकालिक चर्चा की अनुमति दी जाए। उन्होंने कहा कि कई ऐसे विषय हैं जिन पर पिछले वर्षों में चर्चा नहीं हो पाई है, जिनमें राष्ट्रीय सुरक्षा, चीन सीमा विवाद और आंतरिक प्रशासनिक पारदर्शिता जैसे मुद्दे प्रमुख हैं। उन्होंने कहा कि यदि इन विषयों पर सार्थक चर्चा हो, तो जनता का विश्वास संसद के प्रति और मजबूत होगा।

विपक्ष के नेता खरगे और पूर्व प्रधानमंत्री देवगौड़ा अनुपस्थित

इस बैठक में राज्यसभा में विपक्ष के नेता मल्लिकार्जुन खरगे और पूर्व प्रधानमंत्री एच.डी. देवगौड़ा स्वास्थ्य कारणों से शामिल नहीं हो सके। कांग्रेस के उप नेता प्रमोद तिवारी ने बैठक के बाद कहा कि उपराष्ट्रपति ने सभी दलों से संवाद की पहल कर एक नई परंपरा शुरू की है। उन्होंने कहा, “यह पहली बार हुआ है जब सभापति ने सत्र से पहले सभी दलों से व्यक्तिगत रूप से राय ली है। यह सकारात्मक पहल संसद की कार्यक्षमता बढ़ाने में सहायक होगी।”

सहयोग और संवाद की दिशा में सकारात्मक पहल

राज्यसभा सचिवालय के अधिकारियों के अनुसार, यह बैठक उपराष्ट्रपति के उस प्रयास का हिस्सा है, जिसके तहत सत्र के दौरान व्यवधान कम करने और चर्चा का समय बढ़ाने की दिशा में सभी दलों को शामिल किया जा रहा है। उपराष्ट्रपति का मानना है कि लोकतंत्र में संवाद और सहमति सबसे बड़ा हथियार है। उन्होंने कहा कि राजनीतिक मतभेद लोकतंत्र की सुंदरता हैं, लेकिन उन्हें कार्य में बाधा नहीं बनना चाहिए।

आगामी सत्र पर नजर

सूत्रों के अनुसार, आगामी शीतकालीन सत्र से पहले इस तरह की और बैठकें आयोजित की जा सकती हैं, ताकि सदन में मुद्दों पर पहले से सहमति बन सके और अवरोधों की संभावना घटे। यह पहल संसद की कार्य संस्कृति में नई सकारात्मक सोच लाने की दिशा में महत्वपूर्ण मानी जा रही है।

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