मुख्यमंत्री निवास पर वैदिक घड़ी का अनावरण और मोबाइल ऐप लॉन्च, सूर्योदय से समय गणना पर जोर
भोपाल। मुख्यमंत्री निवास के नवनिर्मित प्रवेश द्वार पर रविवार को परंपरा और विज्ञान का अनूठा संगम देखने को मिला। मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने यहां स्थापित की गई विक्रमादित्य वैदिक घड़ी का अनावरण किया। इस मौके पर प्रदेश भाजपा अध्यक्ष हेमंत खंडेलवाल, सांसद आलोक शर्मा, मंत्री कृष्णा गौर, विधायक रामेश्वर शर्मा और विष्णु खत्री सहित कई जनप्रतिनिधि मौजूद रहे। घड़ी के साथ ही इससे जुड़ा मोबाइल एप भी लॉन्च किया गया, जिसके माध्यम से लोग अपने मोबाइल पर भी वैदिक समय की जानकारी प्राप्त कर सकेंगे।


सूर्योदय से सूर्यास्त तक की गणना पर जोर
मुख्यमंत्री ने कहा कि समय की वास्तविक गणना सूर्योदय से शुरू होकर सूर्यास्त तक होती है। उन्होंने स्पष्ट किया कि रात 12 बजे दिन बदलने की परंपरा हमारी संस्कृति में कभी नहीं रही। भारत की प्राचीन परंपरा में समय की गणना घटी-पल प्रणाली से होती थी, जिसमें एक दिन को 60 घटियों में बांटा जाता था। एक घटी 24 मिनट और एक पल 24 सेकंड का होता है। यानी हमारी प्राचीन पद्धति पूरी तरह अनुभवजन्य और वैज्ञानिक थी।
उन्होंने कहा कि अंग्रेज़ी कैलेंडर या पश्चिमी समय प्रणाली हमारी परंपराओं से मेल नहीं खाती। हमारे सभी त्योहार तिथियों और ऋतुओं के आधार पर ही निर्धारित होते हैं। यही कारण है कि समय की गणना में सूर्योदय को आधार माना जाना चाहिए।

उज्जैन को बताया समय का केंद्र
अपने संबोधन में मुख्यमंत्री ने कहा कि भारत का केंद्र बिंदु उज्जैन को माना गया है। इतिहास में समय की गणना का केंद्र कभी उज्जैन तो कभी पास के डोंगला क्षेत्र में स्थित रहा। उन्होंने बताया कि भगवान श्रीकृष्ण भी समय गणना का रहस्य समझने डोंगला के पास नारायणा गांव आए थे, जहां बलराम और सुदामा भी उनके साथ थे।
उन्होंने दावा किया कि आज के अत्याधुनिक कंप्यूटर भी हजारों साल पुराने सूर्यग्रहण और चंद्रग्रहण की सटीक गणना नहीं कर सकते, जबकि वैदिक पद्धति यह काम सहजता से कर लेती थी। सावन में छाता लेकर चलने की परंपरा भी इसी अनुभवजन्य गणना का परिणाम है।
पश्चिम से पूर्व की ओर समय का झुकाव
मुख्यमंत्री ने कहा कि अब तक दुनिया पर पश्चिमी समय पद्धति का प्रभाव था, लेकिन अब पूर्व का समय आया है। भारत की अच्छाइयों और परंपराओं को दुनिया में स्थापित करने का यही उचित समय है। उन्होंने उदाहरण दिया कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 2014 में योग को विश्व स्तर पर पुनः स्थापित किया। उसी प्रकार यह वैदिक घड़ी भी भारत की पहचान को पूरी दुनिया में पहुंचाने का कार्य करेगी।
उन्होंने कहा कि “यह घड़ी भारत की हलचल दुनिया को दिखा रही है। सबकी गति अलग-अलग है, लेकिन हमारी ज्ञानगंगा की धारा और आगे तक जाएगी।”

मोबाइल ऐप और क्यूआर कोड से होगी जानकारी
कार्यक्रम के दौरान मुख्यमंत्री ने उपस्थित लोगों से कहा कि वे मोबाइल पर क्यूआर कोड स्कैन कर वैदिक घड़ी का ऐप डाउनलोड करें। इस अवसर पर उन्होंने सभी से अपने मोबाइल की टॉर्च जलाने को कहा, जिससे वातावरण उत्साहपूर्ण हो गया।
इस कार्यक्रम में उज्जैन से विशेष रूप से आए 51 ब्राह्मणों ने मंत्रोच्चार और पूजा-अर्चना के बीच अनावरण समारोह को वैदिक वातावरण से भर दिया।

वैदिक घड़ी की मुख्य विशेषताएँ
- घटी-पल प्रणाली : 1 दिन = 60 घटी, 1 घटी = 24 मिनट, 1 पल = 24 सेकंड।
- सूर्योदय से समय गणना : घड़ी की गिनती स्थानीय सूर्योदय के साथ शुरू होती है।
- पंचांग आधारित जानकारी : यह घड़ी तिथि, वार, नक्षत्र, योग और करण की जानकारी देती है।
- भौगोलिक स्थिति पर आधारित : समय की गणना स्थान विशेष की देशांतर-अक्षांश और सूर्य की स्थिति के अनुसार।
- धार्मिक और वैज्ञानिक महत्व : अनुष्ठान, व्रत-त्योहार और शुभ मुहूर्त के निर्धारण में सहायक।
परंपरा और आधुनिकता का संगम
यह घड़ी केवल समय बताने का साधन नहीं, बल्कि भारतीय संस्कृति, ज्योतिष और खगोल विज्ञान की गहरी समझ को भी सामने लाती है। मोबाइल ऐप के रूप में इसका आधुनिक संस्करण युवाओं को जोड़ने का प्रयास है। मुख्यमंत्री ने कहा कि आने वाले समय में विधानसभा सहित अन्य महत्वपूर्ण संस्थानों में भी इस परंपरा को अपनाने की कोशिश की जाएगी।

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