‘वंदे मातरम्’ स्मरणोत्सव का भव्य शुभारंभ: एक वर्ष तक चलेगा राष्ट्रभक्ति से ओत-प्रोत कार्यक्रम


शौर्य स्मारक में भव्य आयोजन

भोपाल। भारतीय स्वतंत्रता संग्राम की आत्मा और राष्ट्रभक्ति की प्रेरणा का प्रतीक गीत ‘वंदे मातरम्’ अपने 150 वर्ष पूरे कर चुका है। इस ऐतिहासिक अवसर पर राजधानी भोपाल के शौर्य स्मारक में बुधवार को इसका भव्य स्मरणोत्सव प्रारंभ हुआ। देशभक्ति और भारतीय संस्कृति से ओत-प्रोत इस समारोह में मुख्यमंत्री मोहन यादव मुख्य अतिथि के रूप में उपस्थित रहे। कार्यक्रम की शुरुआत भारत माता के चित्र पर पुष्पांजलि अर्पित कर और दीप प्रज्ज्वलन से हुई। जैसे ही राष्ट्रगीत ‘वंदे मातरम्’ की गूंज परिसर में फैली, पूरा वातावरण देशप्रेम के रंग में सराबोर हो गया।


मुख्यमंत्री मोहन यादव ने कहा — ‘वंदे मातरम्’ भारत माता की आत्मा का स्वर

मुख्यमंत्री मोहन यादव ने कहा कि ‘वंदे मातरम्’ केवल एक गीत नहीं, बल्कि भारत माता की आत्मा का स्वर है। रवींद्रनाथ टैगोर ने वर्ष 1896 में इसे पहली बार सुरबद्ध किया था, जिसने भारतीय स्वतंत्रता संग्राम को नई दिशा और ऊर्जा प्रदान की। उन्होंने कहा कि इस गीत की प्रेरणा से लाखों भारतीयों ने आज़ादी के आंदोलन में अपनी आहुति दी। नेताजी सुभाषचंद्र बोस की आज़ाद हिंद फौज ने भी ‘वंदे मातरम्’ की भावना को अपने मिशन का आधार बनाया था।

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स्वतंत्रता संग्राम की प्रेरणा बना राष्ट्रगीत

मुख्यमंत्री ने कहा कि ‘वंदे मातरम्’ उस कालखंड का प्रतीक है जब भारतीय जनता ने गुलामी की जंजीरों को तोड़ने का संकल्प लिया था। इस गीत ने लोगों के दिलों में मातृभूमि के प्रति श्रद्धा और समर्पण की भावना जागृत की। उन्होंने कहा कि जब-जब यह गीत गूंजता था, तब-तब लोगों के हृदय में देशभक्ति की ज्वाला प्रज्वलित होती थी। यह गीत स्वतंत्रता संग्राम के दौरान जनमानस की ऊर्जा का स्रोत बना।

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‘जन गण मन’ और ‘वंदे मातरम्’ दोनों समान रूप से पूज्य

मुख्यमंत्री ने कहा कि स्वतंत्रता प्राप्ति के बाद कुछ लोगों ने राष्ट्रगीत को लेकर भ्रम फैलाने का प्रयास किया था। लेकिन सरदार वल्लभभाई पटेल ने स्पष्ट कहा था कि ‘जन गण मन’ और ‘वंदे मातरम्’ दोनों का समान महत्व रहेगा। एक राष्ट्र का प्रतीक है तो दूसरा उसकी आत्मा। डॉ. यादव ने कहा कि भारत की यह सांस्कृतिक एकता और विविधता ही हमारी सबसे बड़ी शक्ति है।

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वर्षभर चलेगा ‘वंदे मातरम्’ स्मरणोत्सव

मुख्यमंत्री मोहन यादव ने घोषणा की कि यह स्मरणोत्सव पूरे एक वर्ष — 7 नवंबर 2026 तक — चलेगा। इस अवधि में राज्यभर में विविध सांस्कृतिक, शैक्षणिक, साहित्यिक और राष्ट्रप्रेम से जुड़ी गतिविधियाँ आयोजित की जाएंगी। विद्यालयों, विश्वविद्यालयों, संगीत संस्थानों और सामाजिक संगठनों को इसमें भाग लेने के लिए आमंत्रित किया जाएगा। उन्होंने कहा कि इस आयोजन का उद्देश्य नई पीढ़ी को यह संदेश देना है कि ‘वंदे मातरम्’ केवल इतिहास नहीं, बल्कि जीवंत प्रेरणा है।

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कार्यक्रमों में जनभागीदारी को मिलेगा प्रोत्साहन

मुख्यमंत्री ने बताया कि स्मरणोत्सव के दौरान भारत की स्वतंत्रता यात्रा, राष्ट्रनिर्माण और सांस्कृतिक विरासत से जुड़ी प्रदर्शनी, वाद-विवाद प्रतियोगिताएँ, देशभक्ति गीतों के कार्यक्रम और जनभागीदारी के आयोजन होंगे। इन कार्यक्रमों के माध्यम से नागरिकों में राष्ट्रीय एकता और गर्व की भावना को मजबूत किया जाएगा।


देशभक्ति से सराबोर रहा शौर्य स्मारक

कार्यक्रम स्थल शौर्य स्मारक को तिरंगे के रंगों में सजाया गया था। जैसे ही दीप प्रज्ज्वलन हुआ, शौर्य की ज्वाला के सामने भारत माता के जयकारे गूंज उठे। संस्कृति विभाग और शिक्षा विभाग के सहयोग से इस आयोजन का आरंभ हुआ, जिसमें बड़ी संख्या में विद्यार्थी, शिक्षक, साहित्यकार और कलाकार उपस्थित रहे।

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मुख्यमंत्री का संदेश — राष्ट्रगीत हमारी आत्मा की पुकार

कार्यक्रम के समापन पर मुख्यमंत्री ने कहा कि जब तक भारत भूमि पर यह गीत गूंजता रहेगा, तब तक देशभक्ति की भावना अमर रहेगी। उन्होंने कहा कि “‘वंदे मातरम्’ केवल शब्द नहीं, बल्कि करोड़ों भारतीयों की आत्मा की पुकार है।” उन्होंने युवाओं से इस गीत की भावना को जीवन में आत्मसात करने का आह्वान किया।