1500 साल पुराना कल्प केदार मंदिर भी ढहा, विशेषज्ञों ने 10 साल पहले दी थी चेतावनी, नहीं लिया गया संज्ञान

धराली/देहरादून। उत्तराखंड के उत्तरकाशी जिले के धराली गांव में मंगलवार दोपहर करीब 1.45 बजे हुए भीषण बादल फटने की घटना ने पूरा क्षेत्र हिला कर रख दिया। महज 34 सेकंड में पूरा गांव तबाही की चपेट में आ गया, जिसमें अब तक 4 लोगों की मौत की पुष्टि हो चुकी है और 50 से ज्यादा लोग अभी भी लापता हैं। बुधवार सुबह तलाशी अभियान के दौरान एक और शव बरामद हुआ है, जिसकी पहचान की प्रक्रिया जारी है।

घटना के बाद से गांव और आसपास के इलाकों में आर्मी, एसडीआरएफ, एनडीआरएफ और आईटीबीपी की टीमें राहत और बचाव कार्य में जुटी हैं। अब तक 150 से अधिक लोगों को सुरक्षित बचाया जा चुका है।

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🌧️ 34 सेकंड में बह गया सब कुछ: धराली में मौत की बारिश

धराली गांव, जो गंगोत्री तीर्थ मार्ग पर तीर्थयात्रियों का प्रमुख पड़ाव माना जाता है, अब मलबे और तबाही का मैदान बन चुका है। खीर गंगा नदी में अचानक आए मलबे और तेज बहाव ने बाजार, घर, दुकानें, होटल सब कुछ बहा दिया।

घटना के वक्त वहां मौजूद लोगों ने बताया कि आवाज़ भी नहीं आई, बस पहाड़ की ओर से मलबे का एक तेज़ सैलाब आया और सब कुछ उजड़ गया। कई लोग उस समय होटल, घरों और दुकानों में मौजूद थे।


📞 प्रधानमंत्री ने की मुख्यमंत्री से बात, धामी ने किया हवाई सर्वे

घटना की गंभीरता को देखते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बुधवार सुबह मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी से फोन पर बात की। इसके बाद धामी ने धराली और आसपास के प्रभावित क्षेत्रों का हवाई सर्वे किया और अधिकारियों के साथ आपदा प्रबंधन की उच्चस्तरीय बैठक कर निर्देश जारी किए।

मुख्यमंत्री ने कहा कि प्राथमिकता लापता लोगों की खोज और सुरक्षित रेस्क्यू है। साथ ही उन्होंने कहा कि राज्य सरकार केंद्र के संपर्क में है और ज़रूरत पड़ने पर अतिरिक्त बलों को भी भेजा जाएगा।

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🧭 धराली – एक भूगर्भीय टाइम बम, जिसे वर्षों से नजरअंदाज किया गया

वरिष्ठ भूगर्भ वैज्ञानिक प्रो. एसपी सती ने धराली की स्थिति पर चेताया कि यह गांव ट्रांस हिमालय के मेन सेंट्रल थ्रस्ट (MCT) क्षेत्र में स्थित है, जो एक सक्रिय भूकंपीय दरार है।

"धराली पूरी तरह एक टाइम बम की तरह है। यह क्षेत्र भूस्खलन, भूकंप और जलसैलाब के लिए अतिसंवेदनशील है। पहले भी 1864, 2013 और 2014 में यहां बादल फटने की घटनाएं हो चुकी हैं। हमने सरकार को इसे स्थानांतरित करने की सिफारिश दी थी, लेकिन कोई कदम नहीं उठाया गया।" – प्रो. एसपी सती

उन्होंने यह भी बताया कि करीब 6 महीने पहले खीर गंगा नाले के ऊपर एक बड़ा चट्टानी हिस्सा दरककर अटक गया था। माना जा रहा है कि इसी हिस्से के टूटकर गिरने से यह आपदा हुई।

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🕉️ कल्प केदार मंदिर भी तबाह – 1500 साल पुराना इतिहास मलबे में दबा

इस त्रासदी में धराली गांव स्थित कल्प केदार महादेव मंदिर भी पूरी तरह ध्वस्त हो गया है। यह मंदिर पंच केदार परंपरा से जुड़ा था और स्थानीय लोगों की गहरी आस्था का केंद्र था।

भागीरथी नदी के किनारे स्थित इस मंदिर का इतिहास लगभग 1500 साल पुराना बताया जाता है। इस मंदिर में हर वर्ष हज़ारों श्रद्धालु दर्शन को आते थे। अब यह भी मलबे में पूरी तरह दफन हो गया है।

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🪖 सेना के 11 जवान लापता, पुल बहने से संपर्क टूटा

घटना के समय पास के हर्षिल क्षेत्र में तैनात सेना के 11 जवानों के लापता होने की खबर है। तलाश अभियान जारी है।

इस प्राकृतिक आपदा के कारण कैलाश मानसरोवर यात्रा को भी फिलहाल रोक दिया गया है। भारी मलबे और जलप्रवाह के कारण दो प्रमुख पुल बह गए हैं, जिससे आवागमन पूरी तरह बाधित हो गया है।

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🚧 500 से ज्यादा सड़कें बंद, गांवों का संपर्क कटा

केवल धराली ही नहीं, उत्तराखंड के कई अन्य क्षेत्र भी इस समय संकट में हैं। भारी बारिश और भूस्खलन के कारण पूरे राज्य में 500 से अधिक सड़कें बंद हो गई हैं।

चंडीगढ़-मनाली नेशनल हाईवे समेत कई राष्ट्रीय राजमार्गों पर भारी चट्टानें और मलबा गिर गया है, जिससे यातायात पूरी तरह से ठप हो गया है।

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🚜 27 बागान, 9 घराट और वाहन बह गए

धराली और आसपास के क्षेत्रों में सेब के बागों को भारी नुकसान हुआ है। अब तक की जानकारी के अनुसार –

  • 27 वाहन
  • 9 घराट
  • सेब से लदे 27 बागान
    सैलाब में पूरी तरह बह गए हैं। एक स्थान पर चलती कार पर पेड़ गिरने से एक व्यक्ति की मौत भी हुई है।

❗ राज्य सरकार के लिए चेतावनी: अब और देर नहीं

धराली जैसी संवेदनशील जगहों को लेकर वैज्ञानिकों और विशेषज्ञों द्वारा वर्षों से चेतावनी दी जाती रही है, लेकिन अब तक न तो गांव को शिफ्ट किया गया और न ही आपदा प्रबंधन की ठोस व्यवस्था की गई।

यह हादसा एक बार फिर सरकारी उदासीनता और लापरवाही की ओर इशारा करता है।



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