October 15, 2025 3:06 PM

उत्तराखंड में तेज बारिश बनी आफत: नदियों का जलस्तर खतरे के करीब, चार राष्ट्रीय राजमार्ग सहित 117 सड़कें बंद

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उत्तराखंड में मूसलधार बारिश से तबाही, नदियों में उफान और 117 सड़कें बंद

देहरादून। उत्तराखंड में मानसून का कहर लगातार दूसरे दिन भी जारी है। पर्वतीय और मैदानी इलाकों में हो रही तेज बारिश ने जनजीवन को बुरी तरह प्रभावित किया है। मंगलवार को भी मौसम विभाग ने राज्य के कई जिलों में भारी से बहुत भारी बारिश की चेतावनी जारी की है। देहरादून, नैनीताल, चंपावत, ऊधमसिंहनगर, बागेश्वर और टिहरी जिलों में ऑरेंज अलर्ट, जबकि अन्य जिलों के लिए येलो अलर्ट जारी किया गया है।

स्कूलों में छुट्टी, सुरक्षा को लेकर अलर्ट

भारी बारिश की चेतावनी को देखते हुए देहरादून, टिहरी, पौड़ी और हरिद्वार जिलों में मंगलवार को सभी स्कूल बंद रखने के आदेश दिए गए हैं। प्रशासन ने लोगों को पहाड़ी क्षेत्रों की यात्रा से बचने और सतर्क रहने की अपील की है।


नदियों का बढ़ता जलस्तर चिंता का कारण

लगातार हो रही वर्षा के चलते कई नदियों का जलस्तर खतरे के निशान के करीब पहुंच गया है। हालांकि, अधिकांश स्थानों पर जलस्तर स्थिर है या धीरे-धीरे घट रहा है, लेकिन फिर भी स्थिति पूरी तरह सामान्य नहीं है:

  • गंगा नदी, मायाकुंड (ऋषिकेश): खतरे का स्तर 340.50 मीटर, वर्तमान जलस्तर 338.60 मीटर (घटाव की स्थिति)
  • हरिद्वार में गंगा: खतरे का स्तर 294 मीटर, वर्तमान जलस्तर 292.75 मीटर
  • यमुना नदी, नौ गांव: खतरे का स्तर 1060.40 मीटर, वर्तमान जलस्तर 1058.64 मीटर
  • सरयू नदी, पिथौरागढ़ (चमगाढ़): खतरे का स्तर 453 मीटर, वर्तमान जलस्तर 448 मीटर
  • काली नदी, धारचूला: खतरे का स्तर 890 मीटर, जलस्तर 889 मीटर
  • रामगंगा नदी, चौखुटिया: खतरे का स्तर 923.45 मीटर, जलस्तर 921.75 मीटर
  • सरयू नदी, कपकोट: खतरे का स्तर 1034 मीटर, जलस्तर 1030.95 मीटर
  • सरयू नदी, बागेश्वर: खतरे का स्तर 870.70 मीटर, जलस्तर 866.60 मीटर

इसके अलावा, जोशीमठ में अलकनंदा और सत्यनारायण में सौंग नदी का जलस्तर लगातार बढ़ रहा है, जिससे इन क्षेत्रों में अतिरिक्त सतर्कता बरती जा रही है। टिहरी डैम में अधिकतम जलस्तर 830 मीटर निर्धारित है जबकि वर्तमान जलस्तर 803.14 मीटर दर्ज किया गया है।


चार राष्ट्रीय राजमार्ग और 117 सड़कें बंद

भारी बारिश के कारण राज्य में कुल 117 सड़कें बंद हो गई हैं, जिनमें चार राष्ट्रीय राजमार्ग, पांच राज्य मार्ग और 79 ग्रामीण सड़कें शामिल हैं। सबसे गंभीर स्थिति उत्तरकाशी, पिथौरागढ़, पौड़ी और नैनीताल जिलों में देखी गई है।

प्रमुख मार्गों पर स्थिति:

  • ऋषिकेश-यमुनोत्री राजमार्ग: महरगांव और स्यानाचट्टी के बीच 25 मीटर भू-स्खलन हुआ है, जिससे मार्ग अवरुद्ध है। यात्रियों को सुरक्षित स्थानों पर रोका गया है।
  • ऋषिकेश-गंगोत्री राजमार्ग: डबरानी के पास मलबा और चट्टानें गिरने से बंद।
  • तवाघाट-सोबला राजमार्ग, पिथौरागढ़: पहाड़ी से भारी पत्थर गिरने से अवरुद्ध।
  • तवाघाट-घटियाबगड़-लिपुलेख मार्ग: किलोमीटर 61.600 पर चट्टानें गिरने की वजह से यातायात बाधित।

जिलेवार बंद सड़कें:

  • अल्मोड़ा: 2 सड़कें
  • बागेश्वर: 4 सड़कें
  • चमोली व देहरादून: 8-8 सड़कें
  • नैनीताल: 13 सड़कें
  • पौड़ी: 20 सड़कें
  • रुद्रप्रयाग: 13 सड़कें
  • टिहरी: 8 सड़कें

प्रशासन सतर्क, लगातार निगरानी

राज्य आपदा प्रबंधन केंद्र और सिंचाई विभाग की टीमें लगातार जलस्तर पर नजर बनाए हुए हैं। सभी जिलों के आपदा नियंत्रण कक्षों को अलर्ट पर रखा गया है और मलबा हटाने का कार्य युद्ध स्तर पर जारी है। कई स्थानों पर जेसीबी और बुलडोजर तैनात कर सड़कें खोलने की कोशिशें चल रही हैं।


आने वाले दिनों में भी राहत की उम्मीद नहीं

मौसम विज्ञान केंद्र के निदेशक रोहित थपलियाल के अनुसार, 10 अगस्त तक राज्य भर में भारी बारिश की संभावना बनी हुई है, विशेषकर पर्वतीय जिलों में। उन्होंने लोगों को बिना आवश्यकता पहाड़ों की यात्रा न करने की सलाह दी है और स्थानीय प्रशासन को भी आपदा से निपटने की तैयारियों को सुदृढ़ करने के निर्देश दिए हैं।



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