विदेश में पढ़ाई का सपना टूटा, लेकिन भारत में शिक्षा की नई रोशनी
लेख: स्वदेश ज्योति
अमेरिकी वीज़ा संकट के बीच भारतीय छात्रों का रुझान बदला, भारत में शिक्षा बना नया विकल्प
इस साल हज़ारों भारतीय छात्रों के लिए एक गहरा झटका लेकर आया है। वे छात्र जो वर्षों से अमेरिका में पढ़ाई के सपने संजोए बैठे थे, उन्हें अब वीज़ा संकट, स्लॉट्स की कमी और बढ़ते रिजेक्शन ने गहरी निराशा में डाल दिया है।
2025 की जून- जुलाई तिमाही में भारतीय छात्रों के अमेरिका जाने के मामलों में 70% तक की गिरावट आई है। कारण है—अमेरिकी ट्रम्प प्रशासन की सख्त नीतियाँ, जिनके चलते न केवल वीज़ा इंटरव्यू में देरी हो रही है, बल्कि सेक्शन 214(b) जैसे कानूनों का इस्तेमाल कर छात्रों को बड़ी संख्या में वीज़ा देने से रोका जा रहा है।

🇺🇸 अमेरिका में पढ़ाई का सपना, अब मुश्किल राह
हैदराबाद ओवरसीज कंसल्टेंट्स के संजीव राय ने NDTV से बताया कि इस साल स्थिति इतनी खराब है कि रोज़ाना पोर्टल चेक करने के बावजूद वीज़ा स्लॉट नहीं मिल रहे। “कई सालों में इतनी बदतर स्थिति नहीं देखी,” उन्होंने कहा।
I20 फीवर कंसल्टेंसी के अरविंद मांडुवा ने चेतावनी दी कि यदि अगले कुछ दिनों में स्थिति नहीं सुधरी, तो हज़ारों छात्रों का साल बर्बाद हो सकता है। दूसरी ओर, विंडो ओवरसीज एजुकेशन कंसल्टेंसी के अंकित जैन का कहना है कि अमेरिका शायद अपने सिस्टम की टेस्टिंग कर रहा है—स्लॉट बुक होने के बावजूद कन्फर्मेशन नहीं मिल रहा।
अमेरिकी विदेश मंत्री मार्को रुबियो ने दो महीने पहले F, M और J कैटेगरी के नए स्टूडेंट वीज़ा इंटरव्यू पर अस्थायी रोक लगा दी थी। उन्होंने आदेश में कहा था कि जब तक नई समीक्षा नहीं हो जाती, नए इंटरव्यू शेड्यूल नहीं किए जाएं।
इस सख्ती के कारण हज़ारों छात्र अब कनाडा, ऑस्ट्रेलिया, जर्मनी जैसे देशों की ओर रुख कर रहे हैं।

🇮🇳 तो क्या अब विदेश जाना ही एकमात्र विकल्प नहीं रहा?
जहां एक ओर अमेरिका जैसे देशों में अनिश्चितता और रुकावटें हैं, वहीं दूसरी ओर भारत में शिक्षा व्यवस्था में सकारात्मक बदलाव देखे जा रहे हैं। अब भारत में ही ऐसे कई संस्थान, पाठ्यक्रम और अवसर हैं, जो वैश्विक स्तर की शिक्षा और शोध उपलब्ध करवा रहे हैं।
🏛️ भारत के प्रमुख संस्थानों की चमक
- आईआईटी, आईआईएम, एम्स, IISc, जैसे संस्थान आज सिर्फ देश में ही नहीं, विश्व रैंकिंग में भी स्थान बना रहे हैं।
- अशोका यूनिवर्सिटी, शिव नाडर यूनिवर्सिटी, टाटा इंस्टीट्यूट्स, इसरो अकादमी जैसे आधुनिक संस्थान छात्रों को उच्च स्तरीय शिक्षण और नवाचार का मंच दे रहे हैं।
- नेशनल एजुकेशन पॉलिसी (NEP) के तहत अब भारत की शिक्षा प्रणाली को लचीला, व्यवहारिक और रिसर्च उन्मुख बनाया जा रहा है।
💰 कम खर्च में विश्वस्तरीय पढ़ाई
जहां अमेरिका में पढ़ाई का सालाना खर्च 20-40 लाख रुपए तक जाता है, वहीं भारत में 5-10 लाख रुपए में उतने ही स्तर की शिक्षा प्राप्त की जा सकती है।
यही नहीं, भारत में पढ़ाई करते हुए छात्र अपनी संस्कृति, भाषा, परिवार और सामाजिक पहचान से भी जुड़े रहते हैं। यह एक स्थायित्व और मानसिक शांति का आधार भी बनता है।
🌍 अब भारत में भी है वैश्विक पहचान
भारत के कई संस्थानों को QS वर्ल्ड रैंकिंग, Times Higher Education जैसी अंतरराष्ट्रीय रैंकिंग में शामिल किया गया है। भारतीय छात्रों को अब Google, Amazon, Microsoft, Tesla जैसी कंपनियों में नौकरी के प्रस्ताव भी मिल रहे हैं—वह भी भारत में रहकर ही।
🧠 शोध, नवाचार और स्टार्टअप संस्कृति का नया केंद्र बनता भारत
सरकार और निजी क्षेत्र मिलकर शिक्षा क्षेत्र में निवेश कर रहे हैं। डिजिटल इंडिया, स्टार्टअप इंडिया और आत्मनिर्भर भारत जैसे अभियानों ने छात्रों को सिर्फ नौकरियों तक सीमित नहीं रखा, बल्कि नवाचार और उद्यमिता की राह भी खोली है।

🙋♂️ छात्रों की सोच में बदलाव
अब छात्र सिर्फ यह नहीं सोचते कि “विदेश जाएं”, बल्कि सोचते हैं कि “कहाँ उन्हें सशक्त और सुरक्षित भविष्य मिलेगा।” भारत अब सिर्फ एक विकल्प नहीं, बल्कि एक मजबूत समाधान बन रहा है।
📌 निष्कर्ष: भविष्य की चाबी हमारे हाथ में ही है
जब अमेरिका जैसे देश विदेशियों के लिए अपने दरवाज़े बंद कर रहे हों, तब भारत अपने छात्रों के लिए अवसरों के द्वार खोल रहा है।
अब ज़रूरत इस बात की है कि हम विदेश में पढ़ने की मजबूरी को पीछे छोड़ें और अपने देश में मिल रहे विश्वस्तरीय शिक्षा और करियर के अवसरों को समझें।
भारत अब सपनों को पीछे छोड़ने की नहीं, उन्हें यहीं साकार करने की भूमि बन चुका है।
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