अमेरिका ने भारत की 6 कंपनियों पर लगाया प्रतिबंध, ईरान से तेल व्यापार का आरोप
नई दिल्ली। अमेरिका ने ईरान पर आर्थिक दबाव बढ़ाने के तहत भारत की छह कंपनियों सहित विश्व की कुल 20 कंपनियों पर व्यापारिक प्रतिबंध लगाए हैं। इन कंपनियों पर ईरान से जानबूझकर प्रतिबंधित पेट्रोलियम और पेट्रोकेमिकल उत्पाद खरीदने का आरोप है। अमेरिका के विदेश मंत्रालय ने इन प्रतिबंधों की घोषणा करते हुए कहा कि इन कंपनियों ने अमेरिकी प्रतिबंधों की खुली अवहेलना की और इससे ईरान को आर्थिक लाभ पहुंचाया गया, जो अमेरिका के अनुसार, वैश्विक अस्थिरता फैलाने में संलग्न है।
यह कदम अमेरिका की उस रणनीति का हिस्सा माना जा रहा है, जिसमें वह ईरान के ऊर्जा क्षेत्र को सीमित कर अंतरराष्ट्रीय स्तर पर उसके प्रभाव को कमजोर करना चाहता है।

🔎 भारत की कौन-सी कंपनियां आईं प्रतिबंधों की चपेट में?
- ग्लोबल इंडस्ट्रियल केमिकल्स लिमिटेड
➤ जुलाई 2024 से जनवरी 2025 के बीच ईरान से 510 लाख डॉलर से अधिक के मेथेनॉल व पेट्रोकेमिकल उत्पाद खरीदे। - रमणीक लाल एस गोसालिया एंड कंपनी
➤ ईरान से 220 लाख डॉलर से अधिक के पेट्रोलियम उत्पादों की खरीद। - परसिस्टेंट पेट्रोकेम प्राइवेट लिमिटेड
➤ अक्टूबर से दिसंबर 2024 के बीच 140 लाख डॉलर का मेथेनॉल आयात किया। - अल्केमिकल सॉल्यूशंस प्राइवेट लिमिटेड
➤ जनवरी से दिसंबर 2024 तक ईरान से करीब 840 लाख डॉलर का पेट्रोकेमिकल व्यापार किया। - जुपिटर डाईकेम प्राइवेट लिमिटेड
➤ 490 लाख डॉलर से अधिक मूल्य के उत्पादों का आयात। - कंचन पॉलीमर्स
➤ ईरान से 13 लाख डॉलर मूल्य की पॉलिथीन खरीदी।
🧾 प्रतिबंधों का असर क्या होगा?
- अमेरिका या अमेरिकी नियंत्रण वाले क्षेत्रों में इन कंपनियों की संपत्तियां जब्त (फ्रीज) कर दी जाएंगी।
- इन कंपनियों की यदि किसी साझेदार फर्म में 50% या उससे अधिक हिस्सेदारी है, तो वे भी प्रतिबंध के दायरे में आएंगी।
- अंतरराष्ट्रीय व्यापार, विशेष रूप से अमेरिकी डॉलर में लेन-देन पर सीधा प्रभाव पड़ेगा।
- कंपनियों को वैश्विक बैंकिंग और आपूर्ति चैन में मुश्किलें झेलनी पड़ सकती हैं।
🌐 दुनियाभर की 20 कंपनियां भी निशाने पर
भारत की छह कंपनियों के अलावा अमेरिका ने ईरान से व्यापार करने के आरोप में चीन, तुर्की, UAE और अन्य देशों की कुल 14 और कंपनियों को भी ब्लैकलिस्ट किया है।
⚠️ अमेरिका का बड़ा आरोप: ईरान फैला रहा वैश्विक अस्थिरता
अमेरिकी विदेश मंत्रालय का कहना है कि ईरान दुनिया में आतंकवाद और अशांति को प्रोत्साहन देने वाले संगठनों को आर्थिक सहयोग पहुंचा रहा है।
- अमेरिका के मुताबिक, ईरान मिडिल ईस्ट में संघर्ष को बढ़ावा देने के लिए धन जुटा रहा है।
- इसी धन का प्रयोग आतंकी संगठनों और चरमपंथी गतिविधियों को समर्थन देने में हो रहा है।
- अमेरिका की रणनीति है कि तेल और गैस व्यापार को बाधित करके ईरान की अर्थव्यवस्था को कमजोर किया जाए।
🔐 ईरान से जुड़ी अन्य इकाइयों पर भी कार्रवाई
- ईरान के सर्वोच्च नेता अयातुल्ला अली खामेनेई के राजनीतिक सलाहकार अली शमखानी के बेटे मोहम्मद हुसैन शमखानी और उनसे जुड़ी 50 कंपनियों और व्यक्तियों पर प्रतिबंध।
- UAE में रहने वाले भारतीय मूल के व्यापारी पंकज नागजी भाई पटेल पर भी प्रतिबंध लगाए गए हैं।
- आरोप है कि पंकज पटेल, शमखानी से जुड़ी टेओडोर शिपिंग कंपनी के माध्यम से ईरान के साथ तेल व्यापार में शामिल थे।
🧩 क्या भारत-अमेरिका संबंधों पर पड़ेगा असर?
- अमेरिका का यह कदम ऐसे समय आया है जब भारत और अमेरिका के बीच रणनीतिक साझेदारी मजबूत हो रही है।
- हालांकि भारत सरकार की ओर से इस पर कोई आधिकारिक प्रतिक्रिया नहीं आई है, लेकिन यह कदम भारत की ऊर्जा कंपनियों और निर्यात व्यापार को प्रभावित कर सकता है।
- इसके साथ ही यह सवाल भी खड़ा होता है कि क्या अमेरिका एकतरफा प्रतिबंधों से भारत की कारोबारी संप्रभुता को चुनौती दे रहा है?
अमेरिका द्वारा लगाए गए ताजा प्रतिबंध केवल कुछ कंपनियों तक सीमित नहीं हैं, बल्कि इसके भविष्य के कूटनीतिक और व्यापारिक परिणाम गहरे हो सकते हैं। भारत के लिए यह चुनौती है कि वह अमेरिका और ईरान दोनों के साथ अपने संबंधों का संतुलन बनाए रखते हुए अपनी आर्थिक गतिविधियों की स्वतंत्रता और वैश्विक व्यापार में साख को भी सुरक्षित रखे।
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