अमेरिकी ब्याज दर कटौती की उम्मीद से सेंसेक्स और निफ्टी में तेजी
मुंबई। अमेरिकी फेडरल रिजर्व (Federal Reserve) द्वारा आगामी सप्ताह ब्याज दर में कटौती की बढ़ती उम्मीदों के बीच भारतीय शेयर बाजार में शुक्रवार को शुरुआत से ही तेजी देखने को मिली। निवेशकों की धारणा है कि अमेरिकी ब्याज दरों में संभावित कमी से वैश्विक स्तर पर पूंजी प्रवाह बढ़ सकता है और जोखिम भरे एसेट्स जैसे कि शेयरों की मांग मजबूत हो सकती है। इस परिप्रेक्ष्य में बीएसई सेंसेक्स और एनएसई निफ्टी दोनों ही प्रमुख सूचकांक कारोबार के पहले घंटे में सकारात्मक क्षेत्रों में खुलकर तेजी दिखा रहे थे।
बाजार का ओपनिंग प्रदर्शन
शुरुआती कारोबार में 30 शेयरों वाला बीएसई सेंसेक्स 287.93 अंक की मजबूती के साथ 81,836.66 के स्तर पर पहुंच गया। वहीं, 50 शेयरों वाला एनएसई निफ्टी 84.25 अंक चढ़कर 25,089.75 के स्तर पर कारोबार कर रहा था। बाजार विशेषज्ञों का कहना है कि अमेरिकी आर्थिक संकेतक और फेडरल रिजर्व की मौद्रिक नीति से जुड़े संकेत भारतीय शेयर बाजार में प्रवाह को प्रभावित कर रहे हैं।
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प्रमुख सेक्टर और कंपनियों का प्रदर्शन
आईटी और ऑटोमोबाइल सेक्टर में तेजी देखने को मिली। विशेष रूप से, इंफोसिस में 1.50 प्रतिशत की बढ़त दर्ज की गई। कंपनी ने हाल ही में अपने 18,000 करोड़ रुपये के शेयर बायबैक कार्यक्रम को मंजूरी दी है, जो अब तक का सबसे बड़ा शेयर बायबैक है। यह कदम निवेशकों के लिए सकारात्मक संकेत माना जा रहा है।
ऑटोमोबाइल सेक्टर की प्रमुख कंपनियां भी लाभ में रहीं। टाटा मोटर्स, मारुति, महिंद्रा एंड महिंद्रा, एक्सिस बैंक और लार्सन एंड टुब्रो ने शुरुआती कारोबार में मजबूती दिखाई। वहीं, कुछ अन्य प्रमुख कंपनियां जैसे हिंदुस्तान यूनिलीवर, एचडीएफसी बैंक, भारतीय स्टेट बैंक और टाइटन शुरुआती कारोबार में पिछड़ती नजर आईं।
विदेशी और घरेलू निवेशकों की भूमिका
बाजार में विदेशी संस्थागत निवेशकों (एफआईआई) और घरेलू संस्थागत निवेशकों (डीआईआई) की गतिविधियों ने भी असर डाला। एक्सचेंज के आंकड़ों के अनुसार, गुरुवार को एफआईआई ने 3,472.37 करोड़ रुपये के शेयर बेचे, जबकि डीआईआई ने 4,045.54 करोड़ रुपये के शेयर खरीदे। विशेषज्ञों का मानना है कि घरेलू संस्थागत निवेशकों की खरीदारी ने बाजार में संतुलन बनाए रखा और शुरुआती तेजी में योगदान दिया।
विशेषज्ञों की राय
वित्तीय विश्लेषकों का कहना है कि अमेरिकी फेडरल रिजर्व की ब्याज दर में कटौती की उम्मीदों ने वैश्विक निवेशकों के रुझान को प्रभावित किया है। अगर अमेरिका में दरें घटती हैं, तो यह उधारी की लागत कम करेगा और निवेशकों को शेयर बाजार की ओर आकर्षित करेगा। इसके साथ ही, भारत में भी कंपनियों के मजबूत फंडामेंटल और शेयर बायबैक जैसी घोषणाएं बाजार में सकारात्मक भावना बनाए रखती हैं।
विशेषज्ञ यह भी चेतावनी देते हैं कि जबकि शुरुआती तेजी उत्साहजनक है, निवेशकों को अमेरिका और वैश्विक आर्थिक संकेतकों पर नजर बनाए रखनी होगी। बाजार में उतार-चढ़ाव की संभावनाएं बनी हुई हैं, और कोई भी अचानक वैश्विक आर्थिक खबर या फेडरल रिजर्व की आधिकारिक घोषणा तेजी या कमजोरी को प्रभावित कर सकती है।
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